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चुनाव आयोग पर सवाल उठाने वाले जेडीयू सांसद गिरधारी यादव को पार्टी ने थमाया नोटिस

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पटना. बिहार में जेडीयू सांसद गिरधारी यादव को SIR को तुगलकी फरमान कहना भारी पड़ने लगा है। एक्शन लेते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। यह नोटिस इन्हें अनुशासनहीनता के लिए दिया गया। सांसद गिरधारी यादव को इसका जवाब 15 दिन में देना होगा।

SIR पर गिरधारी यादव ने ये कहा था

बीते दिनों सांसद गिरधारी यादव ने कहा था कि चुनाव आयोग को व्यावहारिक ज्ञान नहीं है। आयोग बिहार का इतिहास जानता है न भूगोल जानता है। कुछ जानता ही नहीं है। हमको कागज जुटाने में 10 दिन लग गया। हमारा बेटा अमेरिका में रहता है। वो एक महीने के अंदर कैसे साइन करेगा। आयोग ने यह जबरदस्ती का थोप दिया है। कहा कि कराना ही था तो 6 महीना के समय देता या पहले करा लेता। चुनाव आयोग का ये तुगलकी फरमान है।

पार्टी विरोधी के सवाल दिया अजीब जवाब

जब तुगलकी वाले बयान पर सांसद गिरधारी से पूछा गया कि आप अपनी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे। इस पर सांसद गिरधारी ने जवाब दिया कि इसमें पार्टी का क्या मतलब पार्टी से क्या मतबल, ये हमारा व्यक्तिगत विचार है। हमारा बेटा अमेरिका में है, कैसे साइन करेगा। कहा कि पार्टी से तब मतलब है जब हम वोट डालने जाएंगे। बाकी मेरा तो कुछ स्वतंत्र विचार भी है।

कारण नोटिस में क्या है?

जदयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान ने गुरुवार को सांसद गिरधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया। उसमें लिखा कि आप जानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का आदेश दिया है। कुछ विपक्षी दल, अपने चुनावी नतीजों से हताश होकर चुनाव आयोग को बदनाम करने के लिए, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के मुद्दे पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।

जनता दल (यूनाइटेड), ने एलएनडीए गठबंधन में रहते हुए और अब एनडीए गठबंधन के हिस्से के रूप में चुनाव आयोग और ईवीएम के इस्तेमाल का लगातार समर्थन किया है। सर पर आते हुए अहमद ने लिखा कि ऐसे संवेदनशील मामले पर आपकी सार्वजनिक टिप्पणियां न केवल पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण बनती हैं, बल्कि अनजाने में विपक्ष द्वारा लगाए निराधार आरोपों को भी विश्वसनीयता प्रदान करती हैं। पार्टी आपके आचरण को अनुशासनहीनता मानता है। लिखा कि नोटिस मिलने के 15 दिनों के भीतर जवाब देना होगा, अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

साभार : न्यूज24

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