नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आर्मी के एक पूर्व ईसाई अफसर की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी थी। अफसर पर आरोप था कि उसने अपने तैनाती स्थल पर रेजिमेंट की धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने से इनकार किया था। इसके बाद आर्मी ने उसे बर्खास्त कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने अफसर को आर्मी के लिए मिस फिट माना और हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह आचरण गंभीर अनुशासनहीनता है और सेना जैसी संस्था में इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
पहले इस पूरे मामले को समझिए
यह मामला 2017 का है। अफसर सैमुअल कमलेसन 3rd कैवेलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट बने। उनकी यूनिट में मंदिर और गुरुद्वारा था, जहां हर हफ्ते धार्मिक परेड होती थी। वे अपने सैनिकों के साथ वहां तक जाते थे, लेकिन मंदिर के सबसे अंदर वाले हिस्से में पूजा, हवन या आरती के दौरान जाने से मना करते थे।
उनका कहना था कि उनकी ईसाई मान्यता इसकी अनुमति नहीं देती और उनसे किसी देवी-देवता की पूजा करवाना गलत है। अफसर का आरोप था कि एक कमांडेंट लगातार उन पर दबाव डालता था और इसी वजह से मामला बढ़ा।
दूसरी ओर सेना ने कहा कि उन्होंने कई बार समझाने के बाद भी रेजिमेंटल परेड में पूरी तरह हिस्सा नहीं लिया, जो स्पष्ट रूप से अनुशासनहीनता है। लंबे समय तक चली जांच और सुनवाई के बाद उन्हें 2022 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
साभार : दैनिक भास्कर
‘गांधी जी की राजनीतिक यात्रा के कुछ पन्ने’ पुस्तक के बारे में जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें :
https://matribhumisamachar.com/2025/12/10/86283/
आप इस ई-बुक को पढ़ने के लिए निम्न लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं:
https://www.amazon.in/dp/B0FTMKHGV6
यह भी पढ़ें : 1857 का स्वातंत्र्य समर : कारण से परिणाम तक
Matribhumisamachar


