तेहरान. दक्षिणी ईरान में शनिवार को एक बंदरगाह में भीषण विस्फोट हुआ। इसके बाद वहां भयानक आग लग गई। विस्फोट का कथित तौर पर मिसाइल प्रोपेलेंट बनाने में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थ की खेप से संबंध बताया जा रहा है। विस्फोट में 40 लोगों की मौत हो गई और करीब 750 लोग घायल हो गए। शहीद राजाई बंदरगाह पर हुए विस्फोट के कुछ घंटों बाद हेलीकॉप्टरों ने भड़की आग पर हवा से पानी फेंका। विस्फोट ठीक उसी समय हुआ जब ईरान और अमेरिका शनिवार को ओमान में तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर तीसरे दौर की वार्ता के लिए मिले थे।
सबसे पहले जानते हैं कि क्या हुआ और कितने हताहत हुए…
ईरान के बंदर अब्बास शहर में शनिवार को भीषण विस्फोट के बाद आग लग गई। जानकारी के मुताबिक, अभी तक इस धमाके में 40 लोगों की मौत और 750 से ज्यादा लोगों के घायल होने की सूचना है। सभी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह विस्फोट बंदर अब्बास शहर के रजई बंदरगाह पर हुआ है।
अब जानिए कहां हुई घटना…
विस्फोट बंदर अब्बास शहर के शाहिद रजई बंदरगाह पर हुआ। होर्मोजगन प्रांत में शाहिद रजई बंदरगाह ईरान की राजधानी तेहरान से लगभग 1,050 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में होर्मुज जलडमरूमध्य पर स्थित है। यह फारस की खाड़ी का संकरा मुहाना है। इसके जरिए सभी तेल व्यापार का 20 प्रतिशत हिस्सा गुजरता है।
घटना के बाद किसने, क्या कहा?
ईरान में किसी ने भी सीधे तौर पर यह नहीं कहा कि विस्फोट किसी हमले से हुआ। हालांकि, वार्ता का नेतृत्व करने वाले ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने भी बुधवार को स्वीकार किया कि हमारी सुरक्षा सेवाएं वैध प्रतिक्रिया को भड़काने के लिए तोड़फोड़ और हत्या के प्रयासों के पिछले उदाहरणों को देखते हुए हाई अलर्ट पर हैं। ईरान के आंतरिक मंत्री एस्कंदर मोमेनी ने राज्य मीडिया को हताहतों की संख्या बताई, लेकिन इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि बंदर अब्बास के ठीक बाहर आग कैसे लगी, जो शनिवार रात तक जलती रही और कथित तौर पर अन्य कंटेनरों में भी विस्फोट हुआ।
क्यों हुई इतनी भीषण घटना?
बंदरगाह पर मार्च में चीन से आया सोडियम परक्लोरेट नामक रॉकेट ईंधन जमा किया गया था। यह रासायनिक ईंधन ईरान की मिसाइलों के लिए लाया गया था। धमाका इस खतरनाक ईंधन को गलत तरीके से रखने और संभालने की वजह से हुआ। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान ने बंदरगाह से रसायनों को क्यों नहीं हटाया? खास तौर पर 2020 में बेरूत बंदरगाह विस्फोट के बाद। सैकड़ों टन अत्यधिक विस्फोटक अमोनियम नाइट्रेट में आग लगने के बाद हुए विस्फोट में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे। हालांकि, इस्राइल ने ईरानी मिसाइल साइटों को निशाना बनाया, जहां तेहरान ठोस ईंधन बनाने के लिए औद्योगिक मिक्सर का उपयोग करता है।
कैसे हुई इतनी भीषण घटना?
सुरक्षा फर्म का कहना है कि बंदरगाह को मिसाइल ईंधन के लिए रसायन मिला था। निजी सुरक्षा फर्म एम्ब्रे ने कहा कि बंदरगाह ने मार्च में मिसाइल ईंधन रसायन की खेप ली थी। यह ईंधन चीन से दो जहाजों द्वारा ईरान को भेजे गए अमोनियम परक्लोरेट के खेप का हिस्सा है। इसके बारे में जनवरी में फाइनेंशियल टाइम्स ने पहली बार रिपोर्ट जारी की थी। रॉकेट के लिए ठोस प्रणोदक बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन का इस्तेमाल ईरान के मिसाइल भंडार को फिर से भरने के लिए किया जाना था। यह गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्ध के दौरान इस्राइल पर उसके सीधे हमलों से समाप्त हो गया था। एम्ब्रे ने कहा, ‘कथित तौर पर यह आग ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों में इस्तेमाल के लिए ठोस ईंधन के खेप के गलत भंडारण और अनुचित संचालन का परिणाम थी।’
जिम्मेदार कौन?
ईरान के सीमा शुल्क प्रशासन ने विस्फोट के लिए बंदरगाह क्षेत्र में संग्रहीत खतरनाक वस्तुओं और रासायनिक पदार्थों के भंडार को दोषी ठहराया। मीडिया रिपोर्ट में जहाज-ट्रैकिंग डेटा के हवाले से बताया गया कि ईंधन की खेप को मार्च में आसपास के क्षेत्र में लाया गया। इस दौरान यहां आने वाले जहाजों में से एक के जरिए इसे यहां लाया गया। हालांकि, ईरान ने खेप लेने की बात स्वीकार नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में ईरानी मिशन ने शनिवार को मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। यह भी स्पष्ट नहीं है कि ईरान ने बंदरगाह से रसायनों को क्यों नहीं हटाया? हालांकि, इस्राइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। इस्राइल लगातार ईरानी मिसाइल साइटों को निशाना बना रहा है। खासकर ऐसे ठिकाने, जहां तेहरान ठोस ईंधन बनाने के लिए औद्योगिक मिक्सर का उपयोग करता है।
विस्फोट के बाद कैसे हैं हालात?
विस्फोट के बाद ईरानी मीडिया की ओर से जारी फोटो और वीडियो में बंदरगाह में कई स्थानों पर आग जलती हुई दिखाई दी। इसके बाद हवा में अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे रसायनों से वायु प्रदूषण बढ़ने की चेतावनी जारी की गई। बंदर अब्बास में स्कूल और कार्यालय रविवार को भी बंद रहेंगे।
क्या पहले भी हुई ऐसी घटना?
ईरानी माल के लिए एक प्रमुख गंतव्य बंदरगाह शाहिद रजई पहले भी निशाना बन चुके हैं। 2020 में एक साइबर हमले के बाद इस्राइल ने बंदरगाह को निशाना बनाया। इस्राइल ने दावा किया कि उसने अपने जल बुनियादी ढांचे को लक्षित करने वाले साइबर हमले को विफल कर दिया है। इसके लिए ईरान जिम्मेदार है। हालांकि, इस्राइली अधिकारियों ने शनिवार के विस्फोट के बारे में टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं
Matribhumisamachar


