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सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों में बढ़ती आत्महत्या को रोकने के लिए राज्यों से उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी

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नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि वे आठ हफ्तों के भीतर यह बताएं कि छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और आत्महत्या के मामलों से निपटने के लिए अदालत द्वारा तय की गई दिशानिर्देशों को लागू करने की स्थिति क्या है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र सरकार को भी आठ हफ्तों के भीतर अनुपालन हलफनामा (compliance affidavit) दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें इन दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देना होगा।

यह मामला 25 जुलाई को दिए गए उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे दो महीने के भीतर निजी कोचिंग संस्थानों के लिए अनिवार्य पंजीकरण, छात्र सुरक्षा मानक और शिकायत निवारण प्रणाली से संबंधित नियम अधिसूचित करें।

मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी

सोमवार की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि जुलाई के फैसले में केंद्र सरकार को 90 दिनों के भीतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था। इस पर पीठ ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मामले में प्रतिवादी (respondents) के रूप में शामिल करने का निर्देश दिया और कहा कि वे आठ हफ्तों में अपने जवाब दाखिल करें। अब इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।

छात्रों में बढ़ती आत्महत्याओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त

छात्रों में बढ़ती आत्महत्याओं को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में मानसिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए थे। अदालत ने कहा था कि देश में छात्रों, शैक्षणिक संस्थानों और कोचिंग केंद्रों से जुड़ी आत्महत्या रोकथाम के लिए कोई एकीकृत और लागू होने वाला कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है, जिससे “विधायी और नियामक शून्य” बना हुआ है।

इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने 15 दिशानिर्देश जारी किए और कहा कि जब तक सक्षम प्राधिकारी कोई विधेयक या नियामक ढांचा तैयार नहीं कर देता, ये दिशानिर्देश प्रभावी और बाध्यकारी रहेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी शैक्षणिक संस्थान एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाएं और उसे लागू करें। यह नीति ‘उम्मीद’ (Understand, Motivate, Manage, Empathise, Empower, Develop) ड्राफ्ट दिशानिर्देश, ‘मनोदर्पण’ पहल और राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति से प्रेरित हो सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि इस नीति की हर साल समीक्षा की जाए और इसे संस्थान की वेबसाइट तथा नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए।

पीठ ने यह भी नोट किया था कि केंद्र सरकार ने छात्रों में आत्महत्या की घटनाओं को रोकने और सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। शिक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2023 में स्कूल स्तर पर ‘उम्मीद’ दिशानिर्देश जारी किए थे। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए ‘मनोदर्पण’ कार्यक्रम शुरू किया गया था।

25 जुलाई का यह फैसला आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर आया था, जिसमें विशाखापट्टनम में 17 वर्षीय नीट अभ्यर्थी की संदिग्ध मृत्यु की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया गया था।

अमर उजाला

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