नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें दो लड़कियों के अपहरण और हत्या के मामले में ”दुर्भावनापूर्ण जांच” करने के लिए एक पुलिस अधिकारी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। अधिकारी द्वारा जांच किए गए मामले में आरोपी को बरी कर दिया गया था।जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ पुलिस निरीक्षक चैन सिंह उइके द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी।
व्यक्ति की मौत की सजा को पलटा था
इसमें दो लड़कियों के अपहरण और हत्या के दोषी एक व्यक्ति की मौत की सजा को पलट दिया गया था और कहा गया था कि पुलिस की जांच ‘दुर्भावनापूर्ण’ थी। शीर्ष अदालत ने मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की सीमित शिकायत यह है कि उच्च न्यायालय ने कोई अवसर दिए बिना ही विवादित निर्णय और आदेश के पैराग्राफ 55 और 57(3) में प्रतिकूल टिप्पणियां की हैं और याचिकाकर्ता पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है…नोटिस जारी किया जाए।
अगले आदेश तक फैसले पर रहेगी रोक
बेंच ने कहा, ”अगले आदेश तक, हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए निर्णय और आदेश के पैराग्राफ 57(3) पर रोक रहेगी। शीर्ष अदालत पुलिस अधिकारी की ओर से अधिवक्ता अश्विनी दुबे के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दलील दी गई थी कि उच्च न्यायालय ने बिना किसी सहायक सामग्री, अनुशासनात्मक जांच या तथ्यात्मक निष्कर्ष के व्यापक अवलोकन के बिना टिप्पणियां कीं।
साभार : नवभारत टाइम्स
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