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विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने वक्फ कानून को पश्चिम बंगाल में लागू करने पर दी सहमति

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कोलकाता. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल अप्रैल में वक्‍फ कानून में संशोधन किया था. इसमें कई नए प्रावधान जोड़े गए हैं, जिनका विपक्षी दलों और उनके द्वारा शासित राज्‍यों की सरकारों ने कड़ा विरोध किया था. पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने बहुत ही आक्रामक तरीके से इसकी मुखालफत की थी. उन्‍होंने कई मौकों पर कहा था कि वे इस संशोधित कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी. अब उनका रुख इस कानून को लेकर बदल गया है. ममता सरकार ने वक्‍फ संशोधन कानून-2025 को बंगाल में लागू करने को लेकर दिशा-न‍िर्देश जारी किए हैं. वक्‍फ संपत्तियों को केंद्रीय पोर्टल (umeedminority.gov.in) पर अपलोड करने को लेकर डेडलाइन भी फिक्‍स कर दी है. प्रदेश के माइनॉरिटी डिपार्टमेंट की ओर से 8 बिंदुओं में प्रोग्राम भी जारी किया गया है.
केंद्र के वक्फ़ संशोधन अधिनियम, 2025 को लागू करने से महीनों तक इंकार करने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने आखिरकार इस कानून को अपने यहां लागू करने पर सहमत हो गई है. अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि राज्य की लगभग 82,000 वक्फ़ संपत्तियों का विवरण 5 दिसंबर की अंतिम तारीख से पहले केंद्र के पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाए. यह कानून इस साल अप्रैल में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था. बंगाल के अल्पसंख्यक विकास विभाग के सचिव पीबी सलीम ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को पत्र भेजकर कहा कि हर ज़िले की वक्फ़ संपत्तियों की जानकारी तय समय में umeedminority.gov.in पर अपलोड की जाए.
वक्‍फ संशोधन अधिनियम- 2025 को लेकर ममता सरकार के 8 निर्देश -:
  1. वेबसाइट (उम्मीद पोर्टल) को देख लें और उससे परिचित हो जाएं.
  2. संबंधित मुतवल्लियों, इमामों/मदरसा शिक्षकों को शामिल करते हुए बैठकें/कार्यशालाएं आयोजित करें, ताकि वे केंद्रीय पोर्टल पर विवरण जल्द से जल्द अपलोड कर सकें (मुतवल्लियों की एक सूची साझा की जा चुकी है).
  3. डेटा एंट्री दो हिस्सों में की जाएगी: पहला, व्यक्तिगत मुतवल्लियों द्वारा ओटीपी-आधारित प्रारंभिक रजिस्ट्रेशन और दूसरा, वक्फ संपत्ति से जुड़े विवरणों का पंजीकरण.
  4. विवादित वक्फ संपत्तियों को (यदि कोई हों) इस चरण में रजिस्‍टर्ड करने की आवश्यकता नहीं है.
  5. कार्य के लिए अधिकारियों को विशेष रूप से नियुक्त करें और दैनिक प्रगति की निगरानी करें.
  6. राज्य स्तर के दफ्तरों से वरिष्ठ अधिकारियों को अपने-अपने ज़िलों के दौरे पर भेजा जाए.
  7. आठ जिलों में हेल्प डेस्क बनाए जा चुके हैं और बाकी ज़िले भी ऐसे ही हेल्प डेस्क बना सकते हैं.
  8. राज्य वक्फ बोर्ड की ओर से हर दिन दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक वर्चुअल मोड में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें राज्यभर के सभी दफ्तरों से लोग जुड़ सकते हैं.

क्‍यों अहम है यह फैसला?

ममता बनर्जी सरकार का यह फैसला राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने खुले मंच से कहा था कि वे इस कानून को बंगाल में लागू नहीं होने देंगी. कानून पेश किए जाने के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. ‘इंडियन एक्‍सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, 9 अप्रैल 2025 को जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कानून पारित होने के कुछ दिन बाद ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं वक्फ़ संशोधन अधिनियम को बंगाल में लागू नहीं होने दूंगी. हम यहां 33% मुसलमानों के साथ रहते हैं, और उन्हें सुरक्षा देना मेरी जिम्मेदारी है.’ लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले उनका रुख इस कानून को लेकर बदल गया है. अब वे इसे पश्चिम बंगाल में लागू करने पर सहमत हो गई हैं.

किस प्रावधान पर विरोध?

संशोधित कानून के अनुसार, वक्फ़ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. साथ ही यदि किसी संपत्ति को वक्फ़ बताया जाता है, तो अंतिम फैसला सरकार करेगी. तृणमूल सरकार ने इस कानून के खिलाफ कोर्ट भी गई, लेकिन राहत नहीं मिली. कानून की धारा 3B के अनुसार, देश की सभी रजिस्‍टर्ड वक्फ संपत्तियों की जानकारी छह महीने के भीतर केंद्र के पोर्टल पर डालना अनिवार्य है. राज्य सरकार के पत्र में कहा गया है कि बंगाल में 8,000 से अधिक वक्फ एस्टेट हैं और उनसे संबंधित सभी विवरण संबंधित मुतवल्लियों (प्रॉपर्टी मैनेजर्स) द्वारा अपलोड किए जाने चाहिए.

साभार : न्यूज18

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