- वेबसाइट (उम्मीद पोर्टल) को देख लें और उससे परिचित हो जाएं.
- संबंधित मुतवल्लियों, इमामों/मदरसा शिक्षकों को शामिल करते हुए बैठकें/कार्यशालाएं आयोजित करें, ताकि वे केंद्रीय पोर्टल पर विवरण जल्द से जल्द अपलोड कर सकें (मुतवल्लियों की एक सूची साझा की जा चुकी है).
- डेटा एंट्री दो हिस्सों में की जाएगी: पहला, व्यक्तिगत मुतवल्लियों द्वारा ओटीपी-आधारित प्रारंभिक रजिस्ट्रेशन और दूसरा, वक्फ संपत्ति से जुड़े विवरणों का पंजीकरण.
- विवादित वक्फ संपत्तियों को (यदि कोई हों) इस चरण में रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता नहीं है.
- कार्य के लिए अधिकारियों को विशेष रूप से नियुक्त करें और दैनिक प्रगति की निगरानी करें.
- राज्य स्तर के दफ्तरों से वरिष्ठ अधिकारियों को अपने-अपने ज़िलों के दौरे पर भेजा जाए.
- आठ जिलों में हेल्प डेस्क बनाए जा चुके हैं और बाकी ज़िले भी ऐसे ही हेल्प डेस्क बना सकते हैं.
- राज्य वक्फ बोर्ड की ओर से हर दिन दोपहर 2 बजे से 4 बजे तक वर्चुअल मोड में प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें राज्यभर के सभी दफ्तरों से लोग जुड़ सकते हैं.
क्यों अहम है यह फैसला?
ममता बनर्जी सरकार का यह फैसला राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री ने खुले मंच से कहा था कि वे इस कानून को बंगाल में लागू नहीं होने देंगी. कानून पेश किए जाने के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे. ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, 9 अप्रैल 2025 को जैन समुदाय के एक कार्यक्रम में कानून पारित होने के कुछ दिन बाद ममता बनर्जी ने कहा था, ‘मैं वक्फ़ संशोधन अधिनियम को बंगाल में लागू नहीं होने दूंगी. हम यहां 33% मुसलमानों के साथ रहते हैं, और उन्हें सुरक्षा देना मेरी जिम्मेदारी है.’ लेकिन, विधानसभा चुनाव से पहले उनका रुख इस कानून को लेकर बदल गया है. अब वे इसे पश्चिम बंगाल में लागू करने पर सहमत हो गई हैं.
किस प्रावधान पर विरोध?
संशोधित कानून के अनुसार, वक्फ़ बोर्ड और ट्रिब्यूनल में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा. साथ ही यदि किसी संपत्ति को वक्फ़ बताया जाता है, तो अंतिम फैसला सरकार करेगी. तृणमूल सरकार ने इस कानून के खिलाफ कोर्ट भी गई, लेकिन राहत नहीं मिली. कानून की धारा 3B के अनुसार, देश की सभी रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों की जानकारी छह महीने के भीतर केंद्र के पोर्टल पर डालना अनिवार्य है. राज्य सरकार के पत्र में कहा गया है कि बंगाल में 8,000 से अधिक वक्फ एस्टेट हैं और उनसे संबंधित सभी विवरण संबंधित मुतवल्लियों (प्रॉपर्टी मैनेजर्स) द्वारा अपलोड किए जाने चाहिए.
साभार : न्यूज18
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