मुंबई. हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर लागू करने को लेकर उठे तूफान के बाद महाराष्ट्र सरकार आखिरकार बैकफुट पर आ गई है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को 16 अप्रैल और 17 जून को जारी किए गए दोनों सरकारी आदेश (GR) रद्द कर दिया है. ये आदेश स्कूलों में त्रिभाषा नीति के तहत हिंदी को अनिवार्य करने से जुड़े थे. सरकार ने अब इस विवादित मुद्दे पर पुनर्विचार के लिए एक नई समिति बनाने का ऐलान किया है. इसकी अध्यक्षता शिक्षाविद् और राज्यसभा के पूर्व सांसद डॉ. नरेंद्र जाधव करेंगे.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में राज्य की राजनीति में ‘हिंदी थोपने’ के मुद्दे पर जबरदस्त गरमी देखी गई. शिवसेना (उद्धव गुट) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने मिलकर इस GR के खिलाफ मोर्चा खोला. कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह GR की प्रतियां जलाकर विरोध जताया और 5 जुलाई को बड़े आंदोलन की घोषणा की गई. उद्धव ठाकरे ने तो यहां तक कहा कि “हम हिंदी के खिलाफ नहीं, लेकिन जबरन थोपे जाने वाली शक्ति के खिलाफ हैं.”
‘हिंदी थोपी’ नहीं, पिछली सरकार का फैसला था- फडणवीस का पलटवार
सीएम फडणवीस ने स्पष्ट कहा कि सरकार पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे “गलत प्रचार” का हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, “हमने हिंदी नहीं थोपी है. यह निर्णय तो उद्धव ठाकरे की सरकार ने लिया था. अब सरकार बदलने पर लोग पुराने फैसलों को भूल जाते हैं.” उन्होंने मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर भी तंज कसते हुए कहा, “राज ठाकरे को ये सवाल उद्धव ठाकरे से पूछना चाहिए.”
नई समिति का गठन: त्रिभाषा नीति पर होगी दोबारा समीक्षा
फडणवीस ने बताया कि अब डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक नई समिति बनाई जा रही है, जो यह तय करेगी कि त्रिभाषा फार्मूले के तहत किस कक्षा से हिंदी लागू हो. बच्चों को क्या विकल्प मिलें और इसे कैसे लागू किया जाए. जाधव एक अनुभवी शिक्षाविद् हैं और उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला होगा.
क्या ठाकरे बंधुओं के विरोध से सरकार दबाव में आई?
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि हाल ही में शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे के संयुक्त मार्च और GR जलाने के विरोध प्रदर्शन के चलते सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा. 5 जुलाई को प्रस्तावित हिंदी विरोधी महापड़ाव से पहले ही सरकार ने अध्यादेश वापसी की घोषणा कर दी. इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या ठाकरे बंधुओं के आंदोलन ने सरकार को झुकने पर मजबूर किया?
उद्धव ठाकरे का सरकार के फैसले पर रिएक्शन
उद्धव ठाकरे ने सरकार के फैसले पर कहा, आज सरकार ने मराठी मानुस की एकता की ताकत देख ली. जनता के एकजुट विरोध के चलते सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा. ये सरकार मराठी मानुस को बांटना चाहती थी, लेकिन जब उसने हमारी एकता देखी तो सरकारी आदेश (GR) रद्द कर दिया. अब वो नहीं चाहती कि 5 जुलाई को मराठी भाषा के समर्थन में बड़ी रैली हो. लेकिन अब उसी दिन हम जश्न का आयोजन करेंगे. इसकी तारीख और जानकारी जल्द देंगे.
फडणवीस खुद मराठी भाषा के खिलाफ- उद्धव
उन्होंने आगे कहा मैं अजित पवार को बधाई देता हूं, जिन्होंने सच में मराठी भाषा के लिए दिल से बात की. लेकिन बाकी उपमुख्यमंत्री ने क्या कहा? कुछ नहीं! मुख्यमंत्री खुद मराठी भाषा के खिलाफ खड़े हैं. यह पूरी साजिश थी मराठी और गैर-मराठी लोगों के बीच दरार डालने की, ताकि गैर-मराठी वोटों को साधा जा सके.
साभार : न्यूज18
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