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ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एमपी अबूबकर अमुसलियार के प्रयास से निमिषा प्रिया की फांसी हुई रद्द

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साना. भारतीय नर्स निमिषा जिन्हें यमन में सजा-ए-मौत होने वाली थी, उनकी फांसी को रद्द कर दिया गया है. इस बात की जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एमपी अबूबकर अमुसलियार के ऑफिस ने दी है. हालांकि, सरकार ने अभी इस मामले में कोई दावा नहीं किया है.

ग्रैंड मुफ्ती के बयान का दिया गया था हवाला

मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि ग्रैंड मुफ्ती के ऑफिस के जरिए जारी बयान में कहा गया है कि निमिषा प्रिया की सजा-ए-मौत को पहले स्थगित किया गया था, अब उसे पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है. हालांकि न तो भारत सरकार ने इस बारें में कोई बयान दिया है और न ही यमन की सरकार का कोई बयान नहीं आया है.

17 जुलाई को सरकार ने कही थी ये बात

17 जुलाई को साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश मंत्रालय (MEA) के आधिकारिक प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने निमिषा प्रिया के मामले को “संवेदनशील” बताया था और कहा था कि भारत सरकार हर संभव मदद कर रही है. विदेश मंत्रालय ने प्रिया के परिवार की मदद के लिए एक वकील नियुक्त किया है जो यमन में चल रही जटिल कानूनी प्रक्रिया को देखने में सहायता कर रहा है. इसमें शरीयत कानून के तहत माफी या दया की संभावना भी शामिल है. सरकार ने नियमित रूप से कांसुलर (दूतावास की) यात्राओं की व्यवस्था भी की है ताकि प्रिया की हालत की निगरानी की जा सके और इस मुश्किल समय में उसका साथ दिया जा सके.

जैसवाल ने कहा था, “यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है और भारत सरकार इस मामले में हर संभव मदद कर रही है. हमने कानूनी सहायता दी है और परिवार की मदद के लिए एक वकील नियुक्त किया है. हमने परिवार की नियमित कांसुलर यात्राओं की भी व्यवस्था की है. हम यमन के स्थानीय अधिकारियों और परिवार के सदस्यों के संपर्क में हैं ताकि इस मुद्दे का हल निकाला जा सके. बीते कुछ दिनों में हमने प्रयास किया है कि परिवार को दूसरी पार्टी के साथ कोई आपसी सहमति बनाने के लिए थोड़ा और समय मिले. यमन की स्थानीय सरकार ने 16 जुलाई को होने वाली फांसी की सजा को टाल दिया है.”

क्या है निमिषा पर केस?

निमिषा प्रिया का मामला सन 2018 का है, उन पर अपने बिजनेस पार्टनर को मारने का आरोप है. आरोप है कि उन्होंने पहले अपने पार्टनर की हत्या की और फिर उसकी लाश के टुकड़े कर दिए. निमिषा को 2018 में अपने पार्टनर की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया और 2020 में यमन की एक अदालत ने उन्हें फांसी सुनाई थी.

2008 में गईं थी यमन

34 साल की निमिषा केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, और ईसाई धर्म को मानती हैं. वह 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं. इस दौरान उनकी मुलाकात एक स्थानीय नागरिक तालाल अब्दो महदी से हुई थी. इनके साथ पार्टनरशिप में उन्होंने एक क्लीनिक की शुरुआत की थी. कुछ वक्त बाद दोनों के बीच विवाद होने लगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक महदी निमिषा का शोषण करने लगा और पब्लिकली उसे उसका पति बताने लगा. आरोप है कि उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया, ताकि वह भारत न लौट सके.

यमन के अधिकारियों ने क्या कहा?

यमन के अधिकारियों  ने कहा कि निमिशा ने 2017 में अपने पासपोर्ट लेने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की, लेकिन यह कोशिश खतरनाक साबित हुई और महदी की ओवरडोज़ से मौत हो गई. इसके बाद यमन की सिक्योरिटी एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

2018 में ठहराया गया दोषी

2018 में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. मामला इंटरनेशनल लेवल पर पहुंचा तो ह्यूमन राइट्स संगठनों ने उनकी फांसी के खिलाफ कैंपेन शुरू कर दिया. लेकिन हालात जब और बिगड़े तब 2024 में राष्ट्रपति  रशाद अल-आलीमी ने उनकी फांसी को मंजूरी दे दी, 2025 में हूती विद्रोही नेता ने भी इसकी पुष्टि कर दी थी.

साभार : जी न्यूज

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