भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (टीईपीए) 1 अक्टूबर 2025 को प्रभावी होगा। इस समझौते पर 10 मार्च 2024 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे । टीईपीए एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी समझौता है। यह भारत द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में पहली बार निवेश और रोजगार सृजन से जुड़ी प्रतिबद्धता को शामिल करता है।
इस समझौते में 14 अध्याय हैं। इनमें मुख्य रूप से वस्तुओं से संबंधित बाजार पहुंच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा, व्यापार उपाय, स्वच्छता और पादप स्वच्छता के उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, निवेश प्रोत्साहन, सेवाओं पर बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार और सतत विकास तथा अन्य कानूनी और क्षैतिज प्रावधानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
टीईपीए के अंतर्गत ईएफटीए की बाज़ार पहुंच पेशकश में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों (पीएपी) पर टैरिफ रियायत शामिल है। फार्मा , चिकित्सा उपकरण और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को प्रस्ताव देते समय ध्यान में रखा गया है।
यह समझौता वस्तुओं और सेवाओं से आगे बढ़कर निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका उद्देश्य अगले 15 वर्षों में भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाना तथा ऐसे निवेशों के माध्यम से भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन को सुगम बनाना है।
समझौते की मुख्य विशेषताएं:
ईएफटीए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह है। इसके पास वस्तुओं और सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाने के कई अवसर हैं। ईएफटीए यूरोप के तीन (अन्य दो – यूरोपीय संघ और ब्रिटेन) आर्थिक समूहों में से एक महत्वपूर्ण समूह है। ईएफटीए देशों में, स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, उसके बाद नॉर्वे है।
टीईपीए भारत के निर्यातकों को विशिष्ट इनपुट तक पहुंच प्रदान करके सशक्त बनाएगा और अनुकूल व्यापार एवं निवेश वातावरण तैयार करेगा। इससे भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही सेवा क्षेत्र को और अधिक बाज़ारों तक पहुंच के अवसर मिलेंगे।
निवेश और रोज़गार प्रतिबद्धताएं
टीईपीए के अनुच्छेद 7.1 के अनुसार, ईएफटीए सदस्य देशों का लक्ष्य समझौते के लागू होने के 10 वर्षों के भीतर अपने निवेशकों से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना और उसके बाद के 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब अमेरिकी डॉलर, यानी 15 वर्षों में कुल 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना होगा। साथ ही, ईएफटीए सदस्य देशों का लक्ष्य इन निवेश प्रवाहों के परिणामस्वरूप भारत में 10 लाख प्रत्यक्ष रोज़गारों के सृजन को सुगम बनाना होगा।
इस निवेश प्रतिबद्धता में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) को स्पष्ट रूप से शामिल नहीं किया गया है। साथ ही उत्पादक क्षमता निर्माण के लिए दीर्घकालिक पूंजी पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच
ईएफटीए ने टीईपीए के तहत भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करते हुए 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश की है। इसमें 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों (पीएपी) पर टैरिफ रियायतें शामिल हैं।
ईएफटीए को भारत की पेशकश 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों को कवर करती है, जो ईएफटीए निर्यात का 95.3 प्रतिशत है। इन आयातों में से 80 प्रतिशत से अधिक सोना है, और सोने पर प्रभावी शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है। संवेदनशील क्षेत्रों को संरक्षित किया गया है। इनमें फार्मा, चिकित्सा उपकरण, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पाद शामिल हैं।

सेवाओं और गतिशीलता को बढ़ावा:
भारत ने 105 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं पेश की हैं। इसके अतिरिक्त, ईएफटीए प्रतिबद्धताएं 128 (स्विट्जरलैंड), 114 (नॉर्वे), 107 (लिकटेंस्टीन), 110 (आइसलैंड) हैं। टीईपीए नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों को सक्षम बनाता है।
टीईपीए आईटी, व्यावसायिक सेवाओं, सांस्कृतिक और मनोरंजक सेवाओं, शिक्षा और दृश्य-श्रव्य सेवाओं में मजबूत अवसर प्रस्तुत करता है।
बेहतर पहुंच के माध्यम से : मोड 1: सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी, मोड 3: वाणिज्यिक उपस्थिति और मोड 4: प्रमुख कर्मियों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए अधिक निश्चितता है।
बौद्धिक संपदा अधिकार
टीईपीए ट्रिप्स स्तर पर बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) की प्रतिबद्धताओं को सुनिश्चित करता है। स्विट्जरलैंड के साथ आईपीआर अध्याय में बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के उच्च मानक हैं, जो सुदृढ़ बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) व्यवस्था को दर्शाता है। जेनेरिक दवाओं में भारत की रुचि और पेटेंट के सदाबहार उपयोग से संबंधित चिंताओं का पूरी तरह से समाधान किया गया है।
सतत एवं समावेशी विकास
टीईपीए सतत विकास, समावेशी वृद्धि, सामाजिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण पर जोर देता है। यह व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता, सरलीकरण, सामंजस्य और एकरूपता को बढ़ावा देगा।
रोजगार, कौशल और प्रौद्योगिकी सहयोग
टीईपीए भारत में अगले 15 वर्षों में भारत के युवा आकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष नौकरियों के सृजन में तेजी लाएगा, जिसमें व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण की बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। टीईपीए सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास में विश्व की अग्रणी तकनीकों तक प्रौद्योगिकी सहयोग और पहुंच को भी सुविधाजनक बनाता है।
टीईपीए के तहत क्षेत्रवार लाभ
भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में अवसरों को बढ़ाता है। ईएफटीए की पेशकश में 92 प्रतिशत टैरिफ लाइनों को कवर करने के साथ, मशीनरी, कार्बनिक रसायन, वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यातक टीईपीए के माध्यम से ईएफटीए बाजारों तक काफी बेहतर पहुंच हासिल कर लेंगे ।
कृषि और संबद्ध वस्तुएं
- ईएफटीए को भारत का निर्यात केंद्रित है, और 2024-25 में निर्यात बास्केट में ग्वार गम का हिस्सा 70 प्रतिशत से अधिक होगा। अन्य निर्यातों में प्रसंस्कृत सब्जियां, बासमती चावल, दालें, ताजे फल, अनाज से बनी चीज़ें और अंगूर शामिल हैं।
- नॉर्वे और स्विटजरलैंड मिलकर भारत के ईएफटीए को कृषि निर्यात का 99 प्रतिशत से अधिक हिस्सा निर्यात करते हैं।
- 2024 में ईएफटीए को भारत का निर्यात 72.37 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो ईएफटीए के कुल आयात का 0.41 प्रतिशत था। इस समझौते से टैरिफ बाधाओं में कमी आने और प्रमुख वस्तुओं में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है।
- अपेक्षित लाभ : व्यापार पैटर्न और एफटीए टैरिफ रियायतों के आधार पर निम्नलिखित श्रेणियां भारत के लिए उच्च अवसर वाले क्षेत्र हैं-
- प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद – बिस्कुट, कन्फेक्शनरी, चॉकलेट, माल्ट अर्क, सॉस और विविध खाद्य तैयारियां।
- चावल (बासमती और गैर-बासमती) – टैरिफ उन्मूलन से इटली, थाईलैंड और पाकिस्तान के विरुद्ध प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
- ग्वार गम और दालें – यहां पहले से ही भारत की मजबूत उपस्थिति है। एफटीए से बाजार का बड़ा हिस्सा सुरक्षित हो जाएगा।
- ताजे अंगूर, आम, सब्जियां और बाजरा – टैरिफ रियायतें बाजार में प्रवेश और स्थिति में सुधार करती हैं।
- काजू गिरी और अन्य मेवे – ईएफटीए में मांग बड़ी है और भारत निर्यात बढ़ा सकता है।
- देश विशिष्ट लाभ : –
| ईएफटीए देश | उत्पाद/एचएस कोड | टैरिफ रियायतें/अवसर |
| स्विट्जरलैंड | भोजन की तैयारी | 127.5 सीएचएफ/100 किग्रा तक के टैरिफ समाप्त; भारतीय निर्यात के लिए गुंजाइश |
| कंफेक्शनरी, बिस्कुट | शुल्क में कटौती से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवसर पैदा हुए | |
| ताजे अंगूर | 272 सीएचएफ/100 किग्रा तक के टैरिफ समाप्त | |
| मेवे और बीज, ताजी सब्जियां | एफटीए के बाद शून्य टैरिफ, प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा | |
| नॉर्वे | खाद्य तैयारी, मसाले | कई टैरिफ लाइनों पर शुल्क-मुक्त पहुंच |
| चावल | टैरिफ में कटौती (गैर-फ़ीड उद्देश्यों के लिए) से नए बाज़ार खुलते हैं | |
| प्रसंस्कृत सब्जियां और फल | चयनित लाइनों पर शुल्क-मुक्त पहुंच | |
| बिस्कुट, माल्ट एक्सट्रैक्ट, पेय पदार्थ | टैरिफ राहत से भारतीय ब्रांडों की पहुंच में सुधार | |
| आइसलैंड | प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ | उच्च एमएफएन टैरिफ (97 आईएसके/किग्रा तक) को शून्य कर दिया गया |
| चॉकलेट और कन्फेक्शनरी | शुल्क समाप्त; प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात की प्रबल संभावना | |
| ताज़ी/फ्रोजन सब्जियां | टैरिफ समाप्त |
कॉफी
- ईएफटीए के सदस्य देश अर्थात स्विट्जरलैंड (145 मिलियन अमेरिकी डॉलर), नॉर्वे (27 मिलियन अमेरिकी डॉलर) और आइसलैंड (3 मिलियन अमेरिकी डॉलर) मिलकर 175 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की कॉफी का आयात करते हैं। यह वैश्विक कॉफी आयात का लगभग 3 प्रतिशत है।
- ईएफटीए ने कॉफी से संबंधित सभी एचएस लाइनों पर 0 प्रतिशत आयात शुल्क की पेशकश की है।
- स्विट्जरलैंड और नॉर्वे उच्च मूल्य वाले बाजार हैं, जहां उच्च गुणवत्ता वाली कॉफी की मजबूत मांग है।
- टीईपीए, ईएफटीए बाजार में भारतीय कॉफ़ी के लिए सर्वाधिक अनुकूल बाजार पहुंच प्रदान करता है।
- टीईपीए कॉफी निर्यातकों को स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड के प्रीमियम बाजारों तक पहुंचने में मदद कर सकता है। इससे भारत की उच्च गुणवत्ता वाली छाया में उगाई गई, हाथ से चुनी गई और धूप में सुखाई गई कॉफी को ईएफटीए बाजार में पेश करने का अवसर मिलेगा।
चाय
- ईएफटीए का संयुक्त चाय बाजार आकार लगभग 3.0 मिलियन किलोग्राम है।
- टीईपीए के बाद की अवधि में, औसत इकाई निर्यात मूल्य प्राप्ति में उल्लेखनीय वृद्धि (वर्ष 2024-25 में 6.77 डॉलर/किग्रा, जबकि वर्ष 2023-24 में 5.93 डॉलर /किग्रा) हुई है।
समुद्री उत्पाद
- नॉर्वे: मछली/झींगा आहार पर 13.16 प्रतिशत तक शुल्क में छूट। इससे भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी बनेंगे और भारत से नॉर्वे को मछली आहार और मछली/झींगा आहार के लिए कच्चे माल का निर्यात बढ़ेगा।
- आइसलैंड: फ्रोजन, तैयार और संरक्षित झींगा और प्रॉन्स, स्क्विड और कटलफिश पर 10 प्रतिशत तक तथा मछली के चारे पर 55 प्रतिशत तक टैरिफ समाप्त।
- स्विट्ज़रलैंड: मछली के वसा और तेल (यकृत तेल के अलावा) पर शून्य शुल्क
- टीईपीए भारत से ईएफटीए देशों को फ्रोजन झींगों के अलावा समुद्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने का अवसर प्रदान करेगा।
- इससे आने वाले वर्षों में निर्यात बढ़कर 3.50 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वस्त्र और परिधान
- 2024 में ईएफटीए को भारत का वस्त्र और परिधान निर्यात 0.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
- यह देखते हुए कि भारत का कुल वैश्विक वस्त्र निर्यात 2024 में 36.71 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, टीईपीए टैरिफ रियायतों का लाभ उठाकर अप्रयुक्त बाजार पर कब्जा करने का अवसर प्रदान करता है।
चमड़ा और जूते
- चमड़े और जूतों के लिए ईएफटीए देशों में एम.एफ.एन. 0 प्रतिशत है, जो टीईपीए कार्यान्वयन के बाद भी जारी रखने के लिए एक लाभ है।
- टीईपीए इस अधिमान्य व्यवहार को समेकित और गारंटीकृत करता है, तथा निर्यातकों के लिए दीर्घकालिक निश्चितता और स्थिरता प्रदान करता है।
खेल के सामान और खिलौने
- टीईपीए टैरिफ लाइनों के बड़े हिस्से के लिए शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान करेगा। इससे भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
- निर्यातकों के लिए अनुपालन लागत कम करने के लिए टीईपीए के अंतर्गत सुव्यवस्थित अनुरूपता मूल्यांकन, मानकों की पारस्परिक मान्यता (एमआरए) और सरलीकृत सीई मार्किंग अनुपालन।
इंजीनियरिंग सामान
- वित्त वर्ष 2024-25 में ईएफटीए को भारत का इंजीनियरिंग निर्यात 315.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
- नॉर्वे और स्विट्जरलैंड सबसे बड़े गंतव्य बने हुए हैं। इनका कुल निर्यात में लगभग 99 प्रतिशत हिस्सा है।
- टीईपीए प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने और उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में भारतीय इंजीनियरिंग निर्यातकों के लिए नए अवसर खोलने के लिए उन्नत बाजार पहुंच और टैरिफ रियायतें प्रदान करेगा।
- इलेक्ट्रिक मशीनरी, एल्युमीनियम उत्पाद, एसी/रेफ्रिजरेशन मशीनरी, साइकिल और तांबे के उत्पादों में महत्वपूर्ण बाजार संभावनाएं मौजूद हैं। यह टिकाऊ, सटीक इंजीनियरिंग, ऊर्जा-कुशल और बुनियादी ढांचे से संबंधित वस्तुओं में विकास के लिए विविधीकरण और क्षमता को दर्शाती हैं।
रत्न और आभूषण
- रत्न एवं आभूषण निर्यात को ईएफटीए बाजारों में शुल्क मुक्त पहुंच प्राप्त है- यह एक अधिमान्य व्यवहार है जो टीईपीए के तहत भी जारी रहेगा।
- रत्न एवं आभूषण क्षेत्र के लिए देशवार बाजार क्षमता में शामिल हैं:
- आइसलैंड: सोने के आभूषण, चांदी के आभूषण और आर्टिफिशियल आभूषण।
- नॉर्वे: तराशे और पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरे, सोने के आभूषण, चांदी के आभूषण और आर्टिफिशियल आभूषण।
- स्विट्ज़रलैंड: तराशे और पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरे, सोने के आभूषण, और पॉलिश किए गए माणिक, नीलम और पन्ना।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर
- 100 बिलियन डॉलर की निवेश प्रतिबद्धता और उच्च आय वाले यूरोपीय बाजारों तक वरीयता वाली पहुंच के साथ, टीईपीए भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए एक रणनीतिक मंच प्रदान करता है – विशेष रूप से एमएसएमई और ओईएम जो वैश्विक स्तर की तलाश में हैं।
- देश-वार इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात क्षमता
- स्विट्ज़रलैंड : चिकित्सा इलेक्ट्रॉनिक्स (नैदानिक उपकरण, पहनने योग्य उपकरण), स्मार्ट सेंसर और एम्बेडेड सिस्टम, सुरक्षित संचार मॉड्यूल (फिनटेक और बैंकिंग के लिए)
रणनीतिक बढ़त: स्वामित्व तकनीक की सुरक्षा के लिए टीईपीए के आईपीआर अध्याय का लाभ उठाएं
- नॉर्वे : ईवी घटक और बैटरी प्रबंधन प्रणालियां, समुद्री इलेक्ट्रॉनिक्स (नेविगेशन, सोनार, आईओटी बॉय), स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा निगरानी उपकरण
रणनीतिक बढ़त: नॉर्वे के जलवायु तकनीक लक्ष्यों और सार्वजनिक खरीद चैनलों के साथ तालमेल बिठाना
- आइसलैंड : कॉम्पैक्ट चिकित्सा उपकरण और निदान, स्मार्ट होम और ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रॉनिक्स, शैक्षिक तकनीकी हार्डवेयर (टैबलेट, सेंसर)
रणनीतिक बढ़त: विशिष्ट वितरकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों को लक्षित करें
- लिकटेंस्टीन : औद्योगिक नियंत्रण प्रणालियां, बैंकिंग के लिए सुरक्षित एम्बेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स, ओईएम के लिए उच्च-परिशुद्धता घटक
रणनीतिक बढ़त: यूरोपीय ओईएम के लिए भारत को एक विश्वसनीय ईएमएस साझेदार के रूप में स्थापित करना।
रसायन और संबद्ध उत्पाद
- बाज़ार पहुंच के मोर्चे पर, ईएफटीए ने भारत के 95 प्रतिशत से ज़्यादा निर्यातों पर शून्य या कम टैरिफ़ की पेशकश की है। इनमें रासायनिक उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इसके बदले में, भारत ने ईएफटीए के लगभग 80 प्रतिशत निर्यातों को बाज़ार पहुंच प्रदान की है, जो ईएफटीए के 95 प्रतिशत निर्यात को कवर करते हैं।
- टीईपीए में उत्पाद-विशिष्ट उत्पत्ति नियम, उत्पत्ति प्रमाण पत्र और संचलन प्रमाण पत्र (यूरो 1) भी शामिल किए गए हैं। इससे निर्यातकों के लिए, विशेष रूप से रासायनिक और दवा क्षेत्रों में, अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित होती है और अनुपालन सरल होता है।
- एफटीए से पहले, कुछ रासायनिक क्षेत्र के उत्पादों पर 54 प्रतिशत तक का टैरिफ लगता था (स्रोत: ट्रेडमैप), लेकिन एफटीए के बाद ये टैरिफ समाप्त हो जाएंगे। इससे ईएफटीए ब्लॉक में भारतीय रासायनिक उत्पादों की पहुंच बढ़ जाएगी।
- एफटीए के बाद की अवधि में ईएफटीए को कैपेक्सिल उत्पादों का निर्यात धीरे-धीरे 49.41 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 65-70 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें पालतू पशुओं के भोजन, रबर उत्पाद, कागज, पत्थर/सिरेमिक वस्तुओं और कांच के बने पदार्थ में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है ।
प्लास्टिक और शेलैक आधारित उत्पाद
- टीईपीए भारतीय प्लास्टिक निर्यातकों को अमेरिका जैसे उच्च-शुल्क वाले बाजारों से विविधता लाने और उच्च-मूल्य वाले ईएफटीए बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। शून्य शुल्क और बेहतर व्यापार सुविधा के साथ विभिन्न पैनलों में भारत के निर्यात में स्थिर वृद्धि की उम्मीद है। इसे स्विट्जरलैंड और नॉर्वे में मौजूद अपार संभावनाओं का समर्थन प्राप्त है।
- टीईपीए उच्च मूल्य वाले वनस्पति और वन उत्पाद बाज़ारों में भारत की स्थिति को काफ़ी मज़बूत कर सकता है। इसके साथ ही निवेश आकर्षित करने और छोटे निर्यातकों को समर्थन देने में भी मदद कर सकता है।
सेवा क्षेत्र में लाभ
- भारत के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में लगभग 55 प्रतिशत का योगदान देने वाले सेवा क्षेत्र को टीईपीए से काफी लाभ होगा। भारत ने ईएफटीए के 105 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताओं की पेशकश की है, जबकि स्विट्जरलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में बेहतर पहुंच सुनिश्चित की है।

- टीईपीए से आईटी और व्यावसायिक सेवाओं, सांस्कृतिक और मनोरंजक सेवाओं, शिक्षा और दृश्य-श्रव्य सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत के सेवा निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- ईएफटीए की सेवाएं डिजिटल सेवाओं की डिलीवरी (मोड 1), वाणिज्यिक उपस्थिति (मोड 3) और प्रमुख कार्मिकों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए बेहतर प्रतिबद्धताओं और निश्चितता (मोड 4) के माध्यम से बेहतर पहुंच प्रदान करती हैं।
- इसके अतिरिक्त, टीईपीए में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) के प्रावधान शामिल हैं, जिससे ईएफटीए बाजारों में भारतीय पेशेवरों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
निवेश संवर्धन
- ईएफटीए ने अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्तमान विनिमय दर के अनुसार 8 लाख करोड़ रुपये के बराबर) तक बढ़ाने के उद्देश्य से निवेश को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई है। यह “मेक इन इंडिया” के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा।
- समर्पित ईएफटीए डेस्क फरवरी 2025 से चालू हो गया है। यह भारत में निवेश, विस्तार और परिचालन स्थापित करने में ईएफटीए व्यवसायों का समर्थन करने के लिए निवेश सुविधा के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के रूप में कार्य कर रहा है।
- भारत-ईएफटीए डेस्क नवीकरणीय ऊर्जा, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग और डिजिटल परिवर्तन में निवेश को बढ़ावा देगा। इसके साथ ही ईएफटीए व्यवसायों के लिए नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा।
- टीईपीए संयुक्त उद्यमों, एसएमई सहयोग और प्रौद्योगिकी साझेदारी को सुगम बनाएगा, तथा डेस्क ईएफटीए व्यवसायों के लिए विनियामक नेविगेशन को सुव्यवस्थित करेगा।
- यह डेस्क निरंतर व्यापार-सरकार संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक चैनल के रूप में भी कार्य करेगा। इससे भारत और ईएफटीए भागीदारों के बीच निरंतर जुड़ाव सुनिश्चित होगा।
भारत महत्वपूर्ण चीज़ों की रक्षा करता है
- भारत ने डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा की है।

- भारत ने अपनी टैरिफ लाइनों का 82.7 प्रतिशत टैरिफ खोल दिया है, जो ईएफटीए निर्यात का 95.3 प्रतिशत कवर करता है। इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक आयात सोना है।
- रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्पाद – विशेष रूप से वे उत्पाद जिनमें मेक इन इंडिया और पीएलआई जैसी प्रमुख पहलों के तहत घरेलू क्षमता का निर्माण किया जा रहा है – क्रमिक टैरिफ कटौती के साथ 5, 7 या 10 वर्षों की अवधि में रियायतें प्रदान की जाती हैं।
निष्कर्ष
भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इसने चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ भारत का पहला एफटीए स्थापित किया है और 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा करने की प्रतिबद्धता जताई है। टीईपीए वस्तुओं और सेवाओं के लिए बाज़ार पहुंच को बढ़ाता है, बौद्धिक संपदा अधिकारों को मज़बूत करता है और मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहलों का समर्थन करते हुए सतत, समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
इसके पूरक के रूप में भारत-ईएफटीए डेस्क का उद्घाटन सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म के रूप में किया गया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग और डिजिटल परिवर्तन में ईएफटीए निवेश को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ संयुक्त उद्यमों, एसएमई सहयोग और प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ावा देगा।
टीईपीए एक “आदर्श समझौता” है और यह ईएफटीए के साथ एक मजबूत भविष्य के निर्माण के लिए भारत की तत्परता की पुष्टि करता है।
Matribhumisamachar


