ढाका. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाने वाली हिंसा की घटनाओं में एक और दुखद अध्याय जुड़ गया है। मेहराबारी इलाके में एक सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत बजेंद्र बिस्वास की गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी गई है। इस घटना ने एक बार फिर देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना का विवरण
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बजेंद्र बिस्वास अपनी ड्यूटी पर तैनात थे जब आरोपी ने उन्हें निशाना बनाया। चश्मदीदों का कहना है कि आरोपी ने बिस्वास पर बहुत करीब से गोली चलाई, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।
आरोपी का दावा: ‘सिर्फ एक मजाक था’
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद आरोपी ने जो बयान दिया, उसने सभी को चौंका दिया है। आरोपी ने हत्या के पीछे किसी रंजिश से इनकार करते हुए इसे एक ‘मजाक’ (Prank) का नाम दिया। हालांकि, स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पीड़ित परिवार ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे सोची-समझी हत्या करार दिया है।
अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा का सिलसिला
यह घटना कोई अकेली वारदात नहीं है। हाल के महीनों में बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में भारी वृद्धि देखी गई है:
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लक्ष्य बनाकर हमले: धार्मिक स्थलों, घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुँचाया जा रहा है।
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सुरक्षा का अभाव: स्थानीय समुदायों का आरोप है कि प्रशासन इन हमलों को रोकने और दोषियों को कड़ी सजा देने में विफल रहा है।
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भय का वातावरण: बजेंद्र बिस्वास की हत्या के बाद मेहराबारी और आसपास के हिंदू बाहुल्य क्षेत्रों में दहशत का माहौल है।
“एक निर्दोष व्यक्ति की जान लेने को ‘मजाक’ कहना न केवल अपराध है, बल्कि पीड़ित के परिवार और पूरे समुदाय के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।” — स्थानीय हिंदू नेता
इस घटना के विरोध में स्थानीय संगठनों ने न्याय की माँग को लेकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने और बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाने की अपील की जा रही है।
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