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भ्रामक विज्ञापनों एवं दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों के मुद्दों को संबोधित करने के लिए आयुष सुरक्षा पोर्टल लॉंच किया गया

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पारंपरिक दवा के क्षेत्र में उपभोक्ता संरक्षण और नियामक निगरानी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार, श्री प्रतापराव जाधव ने आज नई दिल्ली के आयुष भवन में आयुष सुरक्षा पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल का अनावरण एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान किया गया, जो आयुष क्षेत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मंत्रालय के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मौका है।

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इस कार्यक्रम में बोलते हुए, मंत्री ने कहा, “आयुष सुरक्षा पोर्टल की शुरूआत के साथ, हम नागरिकों और प्रोफेशनलों दोनों को आयुष प्रणालियों की अखंडता की रक्षा में सक्रिय भागीदार बनने के लिए सशक्त बना रहे हैं। यह मंच भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ एक सजग प्रहरी के तौर पर  काम करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों तक केवल सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पाद ही पहुंचें।”

आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “आयुष सुरक्षा पोर्टल आयुष ईकोसिस्टम  के भीतर फार्माकोविजिलेंस और नियामक कन्वर्जेंस में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों, राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों और प्रमुख नियामक हितधारकों से डेटा को एकीकृत करके, यह पोर्टल भ्रामक विज्ञापनों और दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों की रियल टाइम निगरानी, ​​व्यवस्थित विश्लेषण और समन्वित कार्रवाई की सुविधा प्रदान करता है। हमने इसे जनता के लिए सुलभ बना दिया है ताकि कोई भी नागरिक सीधे पोर्टल के माध्यम से भ्रामक विज्ञापनों या एडीआर की रिपोर्ट कर सके।”

आयुष सुरक्षा पोर्टल को रिट याचिका (सिविल) संख्या 645/2022 में सर्वोच्च न्यायालय के 30 जुलाई, 2024 के आदेश के अनुसार विकसित किया गया है, जिसमें न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों और दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों से संबंधित डेटा की निगरानी और प्रकाशन के लिए एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड की आवश्यकता पर जोर दिया था। न्यायालय ने भारत सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसी प्रणाली स्थापित की जाए जिससे राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण शिकायतों की रिपोर्ट कर सकें, अंतर-राज्यीय संदर्भ साझा कर सकें और की गई कार्रवाइयों की स्थिति को अपडेट कर सकें। आयुष मंत्रालय ने जून 2025 की न्यायालय की समय सीमा से काफी पहले इस निर्देश का पालन कर लिया है।

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पोर्टल को सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्धा (सीसीआरएस) के तकनीकी सहयोग से विकसित किया गया है और यह राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम के साथ संरेखित है। इसे उपभोक्ताओं, स्वास्थ्य पेशेवरों और नियामक प्राधिकरणों को एक निर्बाध डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से भ्रामक विज्ञापनों और दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों की रिपोर्ट करने और उनकी निगरानी करने की अनुमति देता है। यह प्रणाली सीडीएससीओ के तहत आयुष वर्टिकल, एमओ आई एंड बी, सीसीपीए, एनसीआईएसएम, एनसीएच. पीसीआई, एफएसएसएआई और राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों सहित कई प्राधिकरणों  को एकीकृत करती है, जिससे समन्वित प्रतिक्रिया और प्रवर्तन सुनिश्चित होता है। इन संगठनों के नोडल अधिकारियों के लिए एक पूर्व-लॉन्च प्रशिक्षण सत्र डॉ. कौस्तुभा उपाध्याय, सलाहकार (आयु.), आयुष मंत्रालय की अध्यक्षता में 9 अप्रैल, 2025 को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था।

इस पोर्टल के लॉन्च के साथ, आयुष मंत्रालय के पास अब रिपोर्ट किए गए मामलों का एक केंद्रीकृत और सुलभ डैशबोर्ड है, जो रियल टाइम पर ट्रैकिंग, त्वरित नियामक कार्रवाई और विस्तृत डेटा विश्लेषण को सक्षम बनाता है। यह प्रणाली यह भी सुनिश्चित करती है कि नागरिकों के पास अपनी चिंताओं को व्यक्त करने के लिए एक सीधा चैनल हो, जिसमें उनकी रिपोर्टों पर की गई कार्रवाई की पारदर्शिता दिखाई दे।

आयुष सुरक्षा पोर्टल जिम्मेदार प्रशासनसाक्ष्य-आधारित प्रथाओं और भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर भरोसा करने वाले लाखों नागरिकों की सुरक्षा के प्रति मंत्रालय की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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