नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का विरोध करने के चक्कर में कई बार विरोधी ऐसा कुछ कर जाते हैं कि बाद में उन्हें अपने कदम पीछे लेने पड़ते हैं. गलती किसी से भी हो सकती है. पर क्या यह गलती मात्र एक संयोग है या फिर कोई प्रयोग. ताजा मामला वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और भाजपा की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू से जुड़ा हुआ है.
प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट की थी. इस फोटो में भाजपा गठबंधन प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू और संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत दिखाई दे रहे हैं. प्रशांत भूषण पोस्ट में लिखते हैं कि द्रौपदी मुर्मू ने नागपुर के संघ मुख्यालय जाकर मोहन भागवत से मुलाकात की. क्या अब भी कोई संदेह है कि वो (द्रौपदी मुर्मू) सिर्फ एक रबर स्टैम्प होंगी और स्वतंत्र रहकर कार्य नहीं कर पाएंगी? जब मातृभूमि समाचार ने इस पोस्ट का स्क्रीन शॉट लिया था, तब तक इसे 3200 से अधिक लोग पसंद कर चुके थे और लगभग 800 लोग retweet (शेयर) कर चुके थे.
उन्होंने इस पोस्ट के लगभग 2.30 घंटे बाद इसे हटा दिया. प्रशांत भूषण ने पोस्ट हटाने का कारण बताते हुए लिखा ‘मेरी जानकारी में लाया गया है कि श्रीमती मुर्मू की श्री मोहन भागवत के साथ फोटो morphed (बदली हुई) है. इसलिए मैं इसे हटाते हुए श्रीमती मुर्मू से माफी मांगता हूँ.’ अर्थात उन्होंने यह तो स्वीकार किया कि उनके द्वारा पोस्ट की गई फोटो फर्जी है, लेकिन उन्होंने माफी सिर्फ मुर्मू से मांगी, जबकि उनकी इस पोस्ट से डॉ. भागवत और आरएसएस दोनों की छवि भी खराब करने का प्रयास किया गया था.
एक अन्य प्रश्न यह उठता है कि प्रशांत भूषण ने गलत पोस्ट कर माफी मांग ली, लेकिन उन्होंने बिना कोई विचार किये सिर्फ आरएसएस और भाजपा पर आरोप लगाने के लिए ऐसी पोस्ट कैसे कर दी? प्रशांत किशोर के ट्विटर पर 22 लाख फोलोवेर्स हैं. जब ऐसे लोग कोई पोस्ट करते हैं, तो वह तेजी से वायरल होता है. किसान आंदोलन का टूलकिट काण्ड इस बात का उदहारण है कि कभी-कभी पोस्ट किसी साजिश के अंतर्गत भी बदनाम करने के लिए किये जाते हैं. प्रशांत भूषण एक वरिष्ठ वकील हैं, इसलिए उन्होंने थोड़ी ही देर में पोस्ट हटाकर माफी मांग ली, लेकिन तब तक यह हजारों लोगों तक पहुंच चुका था. इसलिए शंका होती है कि यह सब कहीं बदनाम करने की कोई साजिश तो नहीं.
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