नई दिल्ली (मा.स.स.). विद्युत (एलपीएस और संबंधित मामले) नियम- 2022 के लागू होने के बाद से उत्पादक कंपनी, पारेषण (ट्रांसमिशन) कंपनी और व्यापारियों सहित आपूर्तिकर्ताओं के बकाया धनराशि की वसूली में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। 03.06.2022 को राज्यों के पास कुल बकाया 1,37,949 करोड़ रुपये था। यह केवल चार ईएमआई के समय पर भुगतान के साथ 24,680 करोड़ रुपये घटाकर 1,13,269 करोड़ रुपये रह गया है। इस 24,680 करोड़ रुपये की ईएमआई के भुगतान के लिए 5 राज्यों ने पीएफसी व आरईसी से 16,812 करोड़ रुपये का ऋण लिया और 8 राज्यों ने खुद से व्यवस्था करने के विकल्प का चयन किया।
नियम के तहत नियमनों से बचने के लिए वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) भी अपने मौजूदा बकाया का समय पर भुगतान कर रही हैं। वितरण कंपनियों ने पिछले 5 महीनों में लगभग 1,68,000 करोड़ रुपये के मौजूदा बकाया का भुगतान किया है। वर्तमान में केवल एक वितरण कंपनी- जेबीवीएनएल (झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड) मौजूदा बकाया धनराशि का भुगतान न करने के लिए नियमन के अधीन है। ट्रिगर तिथि पर वितरण कंपनियों का बकाया 18.08.2022 को 5085 करोड़ रुपये से घटाकर 205 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
अब तक प्राप्त परिणामों के आधार पर यह आशा की जाती है कि एलपीएस नियमों के सख्त कार्यान्वयन से देश में विद्युत क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता वापस आ जाएगी और उपभोक्ताओं को चौबीसों घंटे विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निवेश आएगा। इस नियम ने न केवल बकाया धनराशि की वसूली, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि मौजूदा देय धनराशि का भुगतान भी समय पर किया जाए। यह देखा जा सकता है कि इस नियम ने विद्युत वितरण कंपनियों में वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।