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केंद्रीय कृषि मंत्री के आतिथ्य में हुआ रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि वि.वि. का दीक्षांत समारोह

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लखनऊ (मा.स.स.). रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी का द्वितीय दीक्षांत समारोह आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। यहां तोमर ने नवनिर्मित महिला व पुरूष छात्रावास, अतिथिगृह तथा आडिटोरियम का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर तोमर ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 16 विद्यार्थियों में 14 छात्राएं होने पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में हर क्षेत्र में बहन-बेटियां अग्रणी भूमिका निभा रही है। उन्होंने कृषि के विद्यार्थियों से देश में किसान के रूप में भी योगदान देने का आह्वान किया।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है, एक समय कहा जाता था कि खेती उसी की है जिसके पास पानी है लेकिन बदलते परिवेश में कहावत बदलकर इस तरह हो गई है कि खेती उसी की है जिसके पास अच्छा ज्ञान है। उन्होंने विद्यार्थी जीवन को सबसे सुनहरा काल बताते हुए विश्वास जताया कि कृषि विद्यार्थियों का ज्ञान देश की खेती को और उन्नत एवं विकसित बनाने में योगदान करेगा। तोमर ने कहा कि बुंदेलखंड की धरती हमेशा साहस व वीरता के लिए जानी जाती है, रानी लक्ष्मीबाई व महाराजा छत्रसाल की वीरता के चर्चे देश-दुनिया में होते हैं, ऐसी पावन धरती पर मोदी सरकार द्वारा स्थापित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने अल्प अवधि में ही काफी प्रगति की है। दलहन, तिलहन, सब्जी-फल, जैविक व प्राकृतिक खेती के साथ बुंदेलखंड सहित समूचा उत्तर प्रदेश कृषि की दृष्टि से प्रगति कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इस वि.वि. तथा कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के क्षेत्रीय संस्थानों ने उ.प्र. व समीपस्थ मध्य प्रदेश में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। खुशी की बात है कि वि.वि., म.प्र. के दतिया जिले में पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान तथा मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय स्थापित करने जा रहा है, जिनके लिए भवन निर्माण कार्य प्रगति पर है। तोमर ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि जो बुंदेलखंड कभी पलायन के लिए जाना जाता था, वहां आज कृषि का विकास सुखद स्थिति है। यह क्षेत्र फल-सब्जियों व प्राकृतिक खेती के मामले में एक हब बनें, इस दिशा में प्रयास तेज गति से होना चाहिए। साथ ही, बुंदेलखंड क्षेत्र में तिलहन की खेती भी बढ़ना चाहिए।

तोमर ने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में अनेक ठोस कदम उठाए गए हैं, जिनका फायदा आज देश के किसानों व कृषि क्षेत्र को मिल रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने कुशलता से अनुसंधान कर उत्पादन बढ़ाया है और अब स्थिति यह बन गई है कि अनेक देश आईसीएआर के हमारे वैज्ञानिकों से सीखने को उत्सुक हैं। आज पूरी दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है, आज दुनिया की भूख मिटाने के लिए जिम्मेदारी भारतीय कृषि व हमारे किसानों पर आ गई है। आज हमसे अपेक्षा इतनी बढ़ गई है कि हम मांगने के बजाय देने वाला देश बन चुके हैं। तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र देश में न केवल खाद्यान्न उपलब्ध कराता है, बल्कि बड़ी संख्या में रोजगार भी देता है। किसानों के परिश्रम व वैज्ञानिकों की रिसर्च के बल पर हम देश के साथ ही दुनिया की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।

आज हम अधिकांश कृषि उत्पादों में दुनिया में पहले या दूसरे नंबर पर है, सभी में हम पहले नंबर पर आए, अब इस लक्ष्य को लेकर सबको काम करने की जरूरत है। बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के मद्देनजर वर्ष 2050 तक की जरूरतों के हिसाब से कदम उठाना होंगे। उत्पादन तभी बढ़ेगा, जब अनुसंधान बढ़ेगा, साथ ही नई पीढ़ी को कृषि की तरफ आकर्षित करने की जरूरत है। खेती में तकनीकी समर्थन बढ़ाने के लिए भारत सरकार गंभीरता से काम कर रही है अधोसरंचना की गैप्स भरने के लिए 1 लाख करोड़ रू. के एग्री इंफ्रा फंड सहित सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए भी 50 हजार करोड़ रु. से ज्यादा के प्रावधान प्रधानमंत्रीजी ने किए हैं। किसानों को सुरक्षा कवच देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, जिसके माध्यम से अभी तक 1.30 लाख करोड़ रु. क्लेम देकर किसानों के नुकसान की भरपाई करने का भी काम भी मोदीजी के नेतृत्व में हुआ है। किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) के जरिये अल्पकालिक ऋण के रूप में कम से कम 20 लाख करोड़ रु. किसानों को मिलें, प्रधानमंत्रीजी ने यह सुनिश्चित करने का काम भी किया है। छोटे किसानों को संगठित कर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 6,865 करोड़ रु. खर्च कर 10 हजार कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर प्रधानमंत्री का बल है, यह गाय आधारित खेती है, जिसके लिए सरकार ने मिशन बनाया है, वहीं अनेक समाजसेवी भी इस दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि रासायनिक खेती में कमी आएं, जिससे हर साल लगभग ढाई लाख करोड़ रु. दी जाने वाली सब्सिडी की राशि देश में विकास कार्यों के काम आ सकेगी। नैनो यूरिया व नैनो डीएपी पर भी काम हुआ है, इस दिशा में किसानों को हम जितना प्रवृत्त करेंगे, उतना स्वच्छ उत्पादन होगा, जिससे स्वस्थ शरीर व स्वस्थ मन होगा और समूचा भारत स्वस्थ बनेगा। तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट (अन्न) वर्ष घोषित किया गया है, जिसे देश-दुनिया में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। अन्न की खेती के माध्यम से हमारे छोटे किसानों की ताकत बढ़ेगी। प्रधानमंत्रीजी के आतिथ्य में 18 मार्च 2023 को दिल्ली में अन्न पर बड़ा अंतरराष्ट्रीय आयोजन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी दूर-दराज के छोटे किसानों की चिंता करते हुए उनके उत्थान के लिए सतत कदम उठा रहे हैं। ज्वार-बाजरा की मांग देश-दुनिया में बढ़ेगी तो फायदा हमारे छोटे किसानों को ही होगा।

समारोह में कुलाधिपति डॉ. पंजाब सिंह, डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि वि.वि. के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह, वि.वि. के सभी निदेशक व अधिष्ठातागण, शिक्षक एवं वैज्ञानिकगण, विद्यार्थी, किसानबंधु तथा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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