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सहकारिता का मूल मंत्र Mass production की जगह Mass production by Masses है : अमित शाह

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नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में इफ्को नैनो डीएपी (तरल) का लोकार्पण किया। इस अवसर पर सहकारिता मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश कुमार और इफ्को के चेयरमैन दिलीप संघानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि इफ्को नैनो डीएपी(तरल) प्रोडक्ट का लॉन्च फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण शुरुआत है। उन्होंने कहा कि इफ्को का यह प्रयास सभी राष्ट्रीय सहकारी समितियों को अनुसंधान और नए क्षेत्रों में पदार्पण के लिए प्रेरित करने वाला है।

उन्होंने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में इफ्को नैनो डीएपी (तरल) प्रोडक्ट का लॉन्च आने वाले दिनों में भारत के कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा और किसानों की समृद्धि के अंदर बहुत बड़ा योगदान देगा और उत्पादन व फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा। शाह ने कहा कि तरल डीएपी के उपयोग से सिर्फ पौधे पर छिड़काव के माध्यम से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाने के साथ-साथ भूमि का भी संरक्षण किया जा सकेगा। इससे भूमि को फिर से पूर्ववत करने में बहुत बड़ा योगदान मिलेगा और केमिकल फर्टिलाइजर युक्त भूमि होने के कारण करोड़ों भारतीयों के स्वास्थ्य को जो खतरा बन रहा था वह भी समाप्त हो जाएगा।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वे दानेदार यूरिया व DAP की जगह लिक्विड नैनो यूरिया व DAP का प्रयोग करें, यह उससे अधिक प्रभावी है। दानेदार यूरिया के उपयोग से भूमि के साथ-साथ फसल और उस अनाज को खाने वाले व्यक्ति की सेहत का भी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी नई चीज को स्वीकारने की क्षमता अगर किसी में सबसे ज्यादा है तो वह किसान में है। नैनो तरल डीएपी की 500 ग्राम की एक बोतल का फसल पर असर 45 किलो दानेदार यूरिया की बोरी के बराबर है। लिक्विड होने के कारण DAP से भूमि बहुत कम मात्रा में केमिकल युक्त होगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए महत्वपूर्ण है कि भूमि में केमिकल ना जाए और केंचुओं की मात्रा बढ़े।

अधिक संख्यां में केंचुए अपने आप में फर्टिलाइजर के कारखाने की तरह काम करते हैं। तरल डीएपी और तरल यूरिया का उपयोग कर किसान भूमि में केंचुओं की संख्या में वृद्धि कर सकता है और अपने उत्पादन व आय को कम किए बगैर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ सकता है। इससे भूमि का संरक्षण भी किया जा सकेगा। शाह ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां साठ प्रतिशत आबादी आज भी कृषि और इसके संलग्न व्यवसायों के साथ जुड़ी हुई है, ये क्रांतिकारी कदम आने वाले दिनों में कृषि को बहुत आगे ले जाएगा और अन्न उत्पादन व  फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।

अमित शाह ने कहा कि वर्तमान में देश में 384 लाख मीट्रिक टन फर्टिलाइजर का उत्पादन होता है, जिसमें से 132 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन सहकारी समितियों द्वारा किया गया है। इस 132 लाख मीट्रिक टन में से इफ्को ने 90 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा कि फर्टिलाइजर, दुग्ध उत्पादन व मार्केटिंग के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता में इफ्को,कृभको जैसी सहकारी समितियों का बहुत बड़ा योगदान है। शाह ने कहा कि सहकारिता का मूल मंत्र  Mass production की जगह Mass production by Masses  है अर्थात् उत्पादन से हुए मुनाफे में कई लोगों की हिस्सेदारी हो। एक जमाने में माना जाता था कि यह मूल मंत्र 70-80 के दशक के बाद सफल नहीं हो सकता लेकिन इफ्को, कृभको जैसी कई सहकारी समितियों ने इस मंत्र पर चलकर सहकारिता के हर क्षेत्र में अपने प्रोफेशनलिज्म के साथ-साथ अनुसंधान, कैपिसिटी व कैपेबिलिटी का परिचय देते हुए सहकारिता की आत्मा को जीवित रखा और इसे जमीनी स्तर तक लेकर गयीं। उन्होंने कहा कि कोऑपरेटिव का सबसे बड़ा उदाहरण और सक्‍सेस स्टोरी है यह है कि आज इफ्को अगर एक रुपया कमाता है तो उसमें से इनकम टैक्स हटा कर  80 पैसा सीधा किसानों के पास पहुंच जाता है।

मंत्री ने कहा कि इफ्को के प्रयासों से तरल नैनो डीएपी और तरल नैनो यूरिया आने के बाद आज विश्व में सबसे पहले नैनो डीएपी (तरल) का लोकार्पण हुआ है। उन्होंने कहा कि इफ्को ने लगभग 20 वर्ष का पैटेंट रजिस्टर किया है जिससे समग्र विश्व में 20 साल तक तरल यूरिया और तरल डीएपी की कहीं भी बिक्री होने पर 20% रॉयल्टी इफ्को को मिलेगी। उन्होने कहा कि यह एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। शाह ने  कहा कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लैब में किए गये ढेर सारे वैज्ञानिक अनुसंधानों को ‘Lab to Land’ अप्रोच के साथ खेत में पहुँचाने में इफको ने असाधारण काम किया है। इसी क्रम में सहकारिता समिति इफ्को ने एक ही साल में यूरिया के तीन संयंत्र चालू कर दिए हैं। सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 24 फरवरी 2021 को नैनो यूरिया को मंजूरी दी थी और आज 2023 में लगभग 17 करोड़ नैनो यूरिया की बोतल बनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया है। अगस्त 2021 में नैनो यूरिया की मार्केटिंग शुरू हुई थी और मार्च 2023 तक लगभग 6.3 करोड़ बोतलों का निर्माण किया जा चुका है। इससे  6.3 करोड़ यूरिया के बैग की खपत और इनके आयात को कम कर दिया गया है और देश के राजस्व व फॉरेन करेंसी की बचत हुई है। यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम और एक बड़ी सफलता की कहानी है।

शाह ने कहा कि देश में 2021-22 में यूरिया का आयात भी सात लाख मैट्रिक टन कम हुआ है। उन्होंने कहा कि अब तरल डीएपी के माध्यम से लगभग 90 लाख मीट्रिक दानेदार डीएपी के उपयोग को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। देश में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। शाह ने कहा कि आलू उगाने वाले पंजाब,हरियाणा,पश्चिम बंगाल,गुजरात और उत्तर प्रदेश किसान प्रति एकड़ भूमि में लगभग 8 बोरे डीएपी का प्रयोग करते थे जिससे उत्पादन तो बढ़ता था परन्तु भूमि व उत्पाद प्रदूषित होता था। उन्होंने कहा कि तरल डीएपी में 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16% फास्‍फोरस होता है। इसके उपयोग से  दानेदार यूरिया में लगभग 14% की कमी आएगी और डीएपी में शुरू में 6% बाद में 20% की कमी आएगी जिससे देश के फॉरेन रिजर्व में बहुत बड़ा फायदा होगा, साथ ही पौधों के पोषण में सुधार होगा और भूमि में पोषक तत्वों की आपूर्ति शत-प्रतिशत हो जाएगी। इससे किसानों के खर्च में भी बहुत कमी आएगी और  गेहूं में 6% तथा आलू व गन्ना उत्पादन में 20% कम खर्च होगा। इससे जमीन तो अच्छी होगी साथ ही उत्पाद भी खाने वाले की हेल्‍थ की दृष्टि से बहुत अच्छा उत्पन्न होगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सहकारिता के क्षेत्र को पुनर्जीवित,सुदृढ़ और डायनेमिक बनाने के लिए नये सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। इसी के चलते आज हम सहकारिता क्षेत्र में अनेक परिवर्तन ला रहे हैं। शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने के सबसे पहले लिए प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को मजबूत करना पड़ेगा। इसके लिए सहकारिता मंत्रालय ने तय किया है कि अगले 5 साल में देश की 2 लाख पंचायतों में नए मल्टीडाइमेंशनल पैक्स बनाए जाएंगे। इनके लिए डेयरी, मछुआरा कोऑपरेटिव, किसानों को कृषि लोन देने की व्यवस्था, इफ्को डीलरशिप, सस्ते अनाज की दुकान , कॉमन सर्विस सेंटर , जल व्यवस्थापन समिति जैसे 32 प्रकार के अलग-अलग काम निर्धारित होंगे। शाह ने कहा कि पैक्स के Model Bye-Laws राज्यों को भेज गये और अब तक 17 राज्यों ने इन Model Bye-Laws को अपना लिया है। उन्होंने कहा कि मल्टीडाइमेंशनल पैक्स के तहत विविध उपयोगी, मछुआरा, आर्थिक रूप से किसानों को ऋण देने वाली और डेयरी चारों तरह की पैक्स एक ही पैक्स में समाहित हो जाएंगी। इससे वे  जीवंत हो जाएंगी और उनकी इनकम भी बढ़ेगी।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत में 80% लोग सहकारिता से जुड़े हुए हैं और हम इसको सही अर्थ में बहु-आयामी बनाने जा रहे हैं। इफ्को ने इस पूरे सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए अपने अनुभव और आत्मविश्वास का प्रयोग किया है जोकि कोऑपरेटिव के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए बहुत जरुरी है। इफ्को ने डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क का विस्तार, डिजिटल ट्रांजैक्शन की बढ़ोतरी, उत्पादन पोर्टफोलियो में डायवर्सिटी और स्टेबिलिटी, कैपेसिटी बिल्डिंग और आरएंडडी पर ध्यान केंद्रित किया है।  शाह ने कहा कि भारत सरकार जैविक उत्पाद, बीज व निर्यात संबंधी तीन मल्टी स्टेट को ऑपरेटिव सोसाइटी बनाई है जिनमें इफ्को एक अग्रणी निवेशक है और इफ्को के अनुभव का फायदा इन तीनों समितियों को मिलेगा।

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