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भारत की अर्थव्यवस्था में मत्स्य क्षेत्र का परिवर्तनकारी योगदान : परषोत्तम रूपाला

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नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत प्रदेय उत्पादों (डिलिवरेबल्स) को नए सिरे से प्रोत्साहन देने के लिए स्वायत्त निकाय, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (एनपीसी) द्वारा सात प्रमुख कार्य क्षेत्र अध्ययन किए जा रहे हैं। पीएमएमएसवाई के तहत इन हस्तक्षेपों को शुरू करने के लिए एनपीसी मुख्यालय,नई दिल्ली में आयोजित एक अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, परषोत्तम रूपाला ने कहा, “देश की जीडीपी में मत्स्य पालन क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में पीएमएमएसवाई परिवर्तनकारी साबित हुई है। हितधारकों के साथ भारत सरकार द्वारा अभिनव और सक्रिय उपाय एक नई नीली क्रांति ला रहे हैं। एनपीसी द्वारा नए कार्य क्षेत्र के अध्ययन से विभाग को अपने वितरण तंत्र को और अधिक मजबूत करने में मदद मिलेगी।”

रूपाला ने सूचित किया कि एनपीसी द्वारा प्रमुख अध्ययन सात क्षेत्रों में किए जाएंगे जैसे (i) आंध्र प्रदेश की मछली विपणन प्रणाली में सर्वोत्तम कार्य प्रणाली और कार्यशाला के माध्यम से प्रसार; (ii) ऊपरी गंगा के मैदानी क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अभिनव मछली पकड़ने के तरीकों की कृषि-जलवायु क्षेत्र-विशिष्ट मैपिंग; (iii) विक्रेताओं द्वारा अंतरदेशीय और समुद्री मछलियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला में उपयोग किए जाने वाले भंडारण कंटेनरों के डिजाइन में सुधार; (iv) गाजीपुर और हावड़ा मछली बाजारों के मछली विपणन बुनियादी ढांचे में सुधार; (v) आरएएस और बायोफ्लॉक प्रौद्योगिकियों का मूल्यांकन और कार्यशाला के माध्यम से उनका प्रसार; (vi) पीएमएमएसवाई के कार्यान्वयन के निगरानी तंत्र को सुदृढ़ करना और (vii) अंतरदेशीय और समुद्री मात्स्यिकी में पोस्ट हार्वेस्ट के नुकसान का आकलन करना और इन नुकसानों को कम करने के उपायों का सुझाव देना। एनपीसी लगभग नौ महीनों में इस कार्य क्षेत्र अध्ययन को पूरा कर लेगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, देश की मत्स्यपालन क्षमता असीम है और इसका अभी भी जैविक तथा टिकाऊ तरीके से दोहन किया जाना शेष है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) मत्स्यपालन सेक्टर की क्षमता अर्जित करने की इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है।मत्स्यपालन सेक्टर के महत्व को समझते हुए सरकार ने सचेत रूप से पीएमएमएसवाई की रूपरेखा तैयार की है जिससे कि देश में टिकाऊ नीली क्रांति लाई जा सके। उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, पीएमएमएसवाई मछुआरों, मत्स्यपालकों, युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों आदि के लाभ के लिए कार्यकलापों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रस्तुत करती है। इस स्कीम ने क्लस्टर विकास, परिमाण की अर्थव्यवस्था, मत्स्यपालन सेक्टर की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि, हितधारकों के लिए उच्चतर आय का सृजन आदि में सुविधा प्रदान की है। वृद्धि दर में तेजी लाने और संगठित तरीके से सेक्टर का विस्तार करते हुए, पीएमएमएसवाई ने उद्यमशीलता के विकास के लिए और निजी सेक्टर की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण का सृजन किया है।

सरकार ने पीएमएमएसवाई के तहत मछली पालन उद्योग से जुड़े व्यक्तियों तथा समूहों और उद्योग का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे एवं आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है औरपीएमएमएसवाई को राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से बहुत उत्साहजनक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और 31.03.2023 तक सरकार द्वारा 14659.12 करोड़ रुपये के मूल्य की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। पीएमएमएसवाईको मत्स्य विभाग (DoF), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (FAHD), भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। पीएमएमएसवाई 20,050 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से देश में मत्स्य क्षेत्र के सतत और उत्तरदायी विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की योजना है। पीएमएमएसवाईवित्त वर्ष 2020-21 से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है। इसे मछली उत्पादन, उत्पादकता और गुणवत्ता से लेकर प्रौद्योगिकी, पोस्ट हार्वेस्ट के बुनियादी ढांचे और विपणन तक मत्स्य मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण अंतराल को संबोधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इस अवसर पर बोलते हुए, एनपीसी के महानिदेशक संदीप नायक ने कहा कि भारत दूसरा सबसे बड़ा जल-संसाधन उत्पादक देश है और शीर्ष मछली निर्यातक देशों में शामिल है। भारत का लगभग 17% कृषि निर्यात, मछली और मछली उत्पादों से होता है। मत्स्य क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली किसानों और मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला के साथ कई अन्य को आजीविका प्रदान करता है । पीएमएमएसवाई मछुआरों, मछली किसानों, युवाओं, महिलाओं, उद्यमियों आदि के हित के लिए गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। इस योजना ने क्लस्टर विकास, मितव्ययिता, मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और हितधारकों के लिए उच्च आय सृजन की सुविधा प्रदान की है। एक संगठित तरीके से क्षेत्र के विकास और विस्तार को गति देते हुए, पीएमएमएसवाई ने उद्यमशीलता के विकास और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार किया है।

1958 में स्थापित, राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद (NPC) उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है। एनपीसी को हितधारकों के मूल्य संवर्धन के लिए पीएमएमएसवाई के तहत प्रमुख कार्य क्षेत्र अध्ययन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। परषोत्तम रूपाला, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने एनपीसी मुख्यालय,नई दिल्ली में जतिंद्र नाथ स्वैन, सचिव, मत्स्य विभाग, संदीप कुमार नायक, महानिदेशक, एनपीसीतथा डॉ. अभिलक्ष लिखी, ओएसडी, मत्स्य विभाग और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में एनपीसी को सौंपे गए प्रमुख कार्य क्षेत्र अध्ययनों का शुभारंभ किया।

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