नई दिल्ली. दिल्ली में बाइक-टैक्सी पर रोक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर को रद्द कर दिया। SC ने हाई कोर्ट से तेजी के साथ मामला सुनने को कहा है। दोनों पक्षों को जल्द सुनवाई की अप्लिकेशन दायर करने की छूट दी गई है। दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर्स की मांग थी कि जब तक दिल्ली सरकार नीति नहीं बनाती, तब तक उन्हें बिना लाइसेंस ऑपरेट करने दिया जाए। 19 फरवरी 2023 को दिल्ली सरकार ने एक पब्लिक नोटिस जारी किया था।
इसके जरिए दिल्ली में बाइक टैक्सी पर रोक लगा दी गई थी। रैपिडो और उबर ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका डाली। हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। दिल्ली सरकार की मुख्य दलील थी कि एग्रीगेटर्स की तरफ से दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल बिना प्रॉपर लाइसेंस और परमिट के हो रहा है। एग्रीगेटर के लिए लाइसेंस की जरूरत का प्रावधान मोटर वीइकल एक्ट की धारा 93 में है। दिल्ली सरकार की दलील थी कि ये गाइडलाइंस चार पहिया और दो पहिया, दोनों तरह के वाहनों के लिए है। ऐसे में बिना पॉलिसी लाए नॉन ट्रांसपोर्ट टी-वीलर्स का यूज एग्रीगेटर्स नहीं कर सकते। दिल्ली सरकार एक पॉलिसी बना रही है। जब तक यह लागू नहीं होती, टू वीलर वाहन के बाइक टैक्सी के रूप में इस्तेमाल पर रोक जारी रहेगी।
वहीं, रैपिडो और उबर का कहना था कि दिल्ली सरकार के फैसले पर रोक लगाना हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है। दूसरी दलील थी कि हजारों राइडर्स ऐसी बाइक टैक्सी चलाते हैं और बैन से उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। जिन प्राइवेट दोपहिया वाहनों को कॉमर्शियल/ट्रांसपोर्ट वाहन के रूप में जोड़ा गया है, उन्हें नीति बनने और लाइसेंस मिलने तक यात्री ढोने दिया जाए। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि एग्रीगेटर्स के तहत टू वीलर्स ऑपरेट करने के लिए लाइसेंस जरूरी है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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