लखनऊ. नकली नोट छापकर बाजार में खपाने वाले गिरोह का गोरखपुर पुलिस ने पर्दाफाश किया है। गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर गगहा पुलिस ने इनके पास से नकली नोट समेत कई सामान बरामद किए हैं। बांसगांव धनौड़ा का रहने वाला गिरोह का सरगना राहुल वाराणसी की पूर्व विधायक का पौत्र है, जो अपने बेटों के सहारे धंधे को चला रहा था। गिरफ्तार आरोपितों में सरगना राहुल सिंह, इसका दूसरे नंबर का बेटा अवनीश सिंह उर्फ अवनीश राय और बड़हलगंज, बेदौली निवासी चांद मोहम्मद शामिल हैं। राहुल का बड़ा बेटा विकास और देवरिया के गड़ही का रहने वाला विक्रम जायसवाल फरार है। यह गिरोह सात वर्षों से नकली नोट बनाने का कारोबार कर रहा था। अब तक लाखों रुपये के नोट बाजार में उतार चुका है। राहुल व विक्रम पहले भी जेल जा चुके हैं।
वीडियो से खुला राज
पुलिस अधीक्षक दक्षिणी अरुण कुमार सिंह ने पुलिस लाइन में प्रेस वार्ता कर बताया कि गगहा पुलिस को इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो मिला था। वीडियो में एक व्यक्ति नकली नोट बना रहा था। उसकी जांच करने पर पुलिस को हाटा बाजार में नकली नोट चलाने वाले एक युवक के बारे में पता चला। पुलिस ने चांद मोहम्मद को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसने बताया कि उसे एक अन्य व्यक्ति बाजार में नकली नोट चलाने के लिए देता है। पुलिस ने पुराने मामलों की जांच की तो राहुल के बारे में जानकारी मिली।
ग्राहकों को ऐसे करता था आकर्षित
पुलिस ने घर का पता करके बांसगांव के धनौड़ा से राहुल को गिरफ्तार किया। इसके बाद पूरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ। सरगना राहुल ने पूछताछ में बताया कि वह अपने बड़े बेटे विकास व दूसरे नंबर के बेटे अवनीश के साथ मिलकर नकली नोट बनाता है। उसके बेटे और देवरिया का विक्रम ग्राहकों को लाते थे। ग्राहकों के सामने दो-तीन नोट बनाकर दिखाया जाता और असली नोट के बदले दोगुणा कीमत के नोट छापने के लिए विशेष प्रकार का काला कागज व रसायन उन्हें दे दिया जाता था।
मूलरूप से वाराणसी का रहने वाला है राहुल
सरगना राहुल वाराणसी जिले के जनसा थाना क्षेत्र के सरौनी गांव का मूल निवासी है। एक वर्ष का था, तभी मां के साथ बांसगांव, धनौड़ा स्थित ननिहाल चला आया। पहले वह गगहा में किराए पर रहता था। 20 वर्ष पहले धनौड़ा में मकान बनवाकर परिवार के साथ रहने लगा। राहुल ने बताया कि वह 56 वर्ष का है। दादी धनेश्वरी देवी विधायक थीं और मामा वन विभाग में अधिकारी। किडनी की डायलिसिस होने के कारण इस समय वह वॉकर के सहारे चलता है। बेटों के सहारे वह धंधे को चला रहा था। यह एक काले पेपर पर केमिकल डालकर एक ही सीरीज के 10, 20, 50, 100, 200 व 500 रुपये के नकली नोट बनाता था।
साभार : दैनिक जागरण
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