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अमेरिका की आर्थिक स्थिति चिंताजनक, बढ़ा शटडाउन का खतरा

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वाशिंगटन. दुनिया के सुपरपावर्स कहे जाने वाले चीन और अमेरिका दोनों ही इन दिनों मुश्किल में हैं। दोनों ही देश अर्थव्यवस्था को मोर्चे पर घिरे हुए हैं। दुनिया की फैक्ट्री कहलाने वाला चीन अपनी गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने में लगा है तो वहीं अमेरिका पर शटडाउन का खतना मंडराने लगा है। अमेरिका में मुश्किल बढ़ने लगी है। अमेरिका की इकॉनमी कर्ज के संकट में फंसती जा रही है। कर्ज का ये संकट इतना गहराने लगा है कि वहां शटडाउन की स्थिति पैदा होने लगी है। अगर अमेरिका संकट और बढ़ा तो वहां सरकारी कर्मचारियों की सैलरी तक अटक जाएगी। अमेरिका का कर्ज 33 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है, जो उसके लिए सबसे बड़ी मुसीबत बना हुआ है ।

बढ़ सकती है अमेरिका की मुश्किल

अमेरिका मुश्किलों का सामना कर रहा है। अमेरिकी इकॉनमी की मुश्किल बढ़ सकती है। देश में फ्यूल की कीमत हाई पर है, ऑटो इंडस्ट्री के कर्मचारी हड़ताल पर हैं और महंगाई चरम पर है। दुनिया के सामने अपनी ताकत का दिखावा करने वाले अमेरिका की इकॉनमी अभी मुश्किल दौर से गुजर रही है। अर्थव्यवस्था के जानकारों का कहना है कि देश में एक बार फिर मंदी की आशंका बढ़ गई है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है। अगर यह मंदी में फंसती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है। अब पहले अमेरिका की मुश्किल को समझ लेते हैं कि आखिर ये है क्या ।

क्या है अमेरिका का शटडाउन , कैसे डालेगा असर

अमेरिका में शटडाउन की चर्चा तेज हो गई है। 30 सितंबर की मध्यरात्रि तक अगर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच अल्पकालिन खर्च बिल पर सहमति नहीं बनी तो अमेरिका नें शटडाउन की स्थिति लागू हो सकती है। शटडाउन वो स्थिति है, जब अमेरिका की सरकार, एजेंसियों और सरकारी काम के लिए पर्याप्त फंडिंग पास करने में असमर्थ हो जाएगी। हालांकि अमेरिका के लिए शटडाउन नई बात नहीं है। इसके पहले भी वहां कई बार शटडाउन हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में तो 35 दिन का लंबा शटडाउन रहा था। अमेरिका पर मंडरा रहे इस शटडाउ की वजह से कई सेवाएं बाधित हो जाएगी। इस स्थिति में सबसे ज्यादा नुकसान अमेरिका के सरकारी कर्मचारियों को होगा। दरअसल शटडाउन के दौरान सरकारी कर्मचारियों के वेतन चेक नहीं भेजे जाते हैं।

कैसे पड़ेगा अमेरिका पर इसका असर

अमेरिका में अगर शटडाउन होता है तो इसका असर उनकी इकॉनमी पर भी होगा। सरकार जो खर्च करती है और जो लेती है उसके बीच का अंतर यानी बजट घाटा बेतहाथा रूप से बढ़ जाता है। अगर अमेरिका में शटडाउन हुआ तो उसकी इकॉनमी को हर हफ्ते 6 अरब डॉलर का भारी भरकम नुकसान होगा। इतना ही नहीं यूएस की जीडीपी में 0.1 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिका में शटडाउन का खतरा ऐसे समय मंडरा रहा है जब देश आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रही है। देश में महंगाई और ब्याज दर चरम पर हैं, घाटा बेलगाम हो गया है, ऑटो इंडस्ट्री के कर्मचारी हड़ताल पर हैं और फ्यूल की कीमत आसमान छू रही है। ऐसे में अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है।

सैलरी देने तक की दिक्कत

अमेरिका में गवर्नमेंट शटडाउन से अधिकांश सरकारी एजेंसियों की सर्विसेज बंद हो जाएगी । अमेरिका में सभी गैर जरूरी सरकारी कर्मचारियों को अनपेड लीव पर जाना होगा। ईवाई के एनालिस्ट्स के मुताबिक देश में करीब 800,000 नॉन-एमरजेंसी फेडरल वर्कर हैं जिनकी एवरेज सैलरी 95,000 डॉलर है। जिसका असर अमेरिका की इकॉनमी पर होगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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