नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से बुधवार तक नीट-यूजी पेपर लीक मामले में एफआईआर की जांच की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मामले की सुनवाई गुरुवार को फिर होगी. सुप्रीम कोर्ट ने NTA और केंद्र से सभी सवालों के जवाब देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन सवालों के जवाब के आधार पर दोबारा परीक्षा कराने का फैसला लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में नीट-यूजी परीक्षा को रद्द करने समेत उससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कई सवाल उठाए. CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? ये भी देखना होगा की पेपर लिक किस तरह से हुआ है. लॉकर से पेपर कब निकाले गए? परीक्षा किस समय हुई? अगर परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है तो दुबारा परीक्षा के आदेश दे सकते है.
तब परीक्षा रद्द करना लास्ट ऑप्शन
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र और NTA की तरफ से गलत करने वाले और लाभार्थियों पर क्या कार्रवाई की गई है? NTA ने कहा कि बिहार मामले में जानकारी ले कर अदालत को बताएंगे. वहीं, गुजरात मामले में पेपर लिक नहीं हुआ था. परीक्षा शुरू होने से पहले जालाराम सेंटर पर करवाई हुई और पेपर ले लिए गए थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर सारे लाभार्थियों की पहचान नहीं हुई है, और पहचान की प्रक्रिया जारी है, तो परीक्षा रद्द करनी होगी. 24 लाख छात्रों का पेपर रद्द कर दोबारा करना हमारे लिए आखिरी ऑप्शन है. 1563 छात्रों ने दुबारा परीक्षा दी, जिन्हे ग्रेस मार्क दिए गए थे. क्या हम लाभार्थी छात्रों का पता लगाने में सक्षम है, अगर ऐसा नही है तो परीक्षा को रद्द किया जा सकता है. इस लिए हम सारी जानकारी चाहते है.
एक बात तो साफ है कि पेपर लीक हुआ
सीजेआई ने पूछा कितने FIR दर्ज हुए है? NTA की तरफ से कहा गया की एक पटना में हुआ है. बाकी याचिकाकर्ता 6 एफआइआर का जिक्र रहे हैं. बाकी जानकारी अगर अदालत चाहे तो हम कल दे सकते है? कोर्ट ने कहा, “हम जानना चाहते है कि लीक का तरीका क्या है? ये कहां तक फैला है, क्योंकि हम 24 लाख छात्रों के भविष्य की बात कर रहे हैं. इसमें छात्रों का केंद्र तक आने जाने का खर्च आदि भी शामिल है. एक बात तो साफ है कि पेपर लीक हुआ. इसमें कोई संदेह नहीं है कि परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया गया है. लीक की सीमा क्या है? लीक की प्रकृति क्या है, यह हमें पता लगाना होगा. हमें दोबारा परीक्षा का आदेश देते समय सावधान रहना होगा, क्योंकि हम 24 लाख छात्रों के करियर से जुड़े हैं.
सरकार ने इस मामले में क्या किया है?
सीजेआई ने केंद्र से कहा, “इस मामले में मल्टी डिस्पेलनरी कमेटी का गठन होना चाहिए. सेल्फ डिनायल मोड में नहीं रहना चाहिए. हम देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा के बारे में डील कर रहे हैं. हम सरकार से ये जानना चाहते है कि इस मामले में क्या किया है? हमें इस बात को भी देखना है कि भविष्य में इस तरह से पेपर लीक न हो, उसको लेकर क्या किया जा सकता है. मिडिस क्लास के अभिभावक बच्चों को मेडिकल मैं जाने के लिए कहते हैं. 100 फीसदी अंक 67 छात्रों को मिले है,
हमें इस बात को समझना होगा कि मार्क देने का पैटन क्या है?
क्या फोरेंसिक डेटा एनालिसिस किया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र से निर्देश लेकर बताएं कि क्या इस मामले में फोरेंसिक डेटा एनालिसिस किया जा सकता है. सीबीआई भी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. CJI ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, हम यह जानना चाहते हैं कि सरकार से निर्देश लें, क्या हम साइबर फोरेंसिक विभाग में डेटा एनालिटिक्स प्रोग्राम के माध्यम से यह पता नहीं लगा सकते, क्योंकि हमें यह पहचानना है कि (ए) क्या पूरी परीक्षा प्रभावित हुई है. (बी) क्या गलत करने वालों की पहचान करना संभव है, जिस स्थिति में केवल उन छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जा सकता है.
…तो शायद लीक इतनी व्यापक नहीं होती
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है, तो दुबारा परीक्षा के आदेश दे सकते हैं.हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि 24 लाख छात्र हैं. ये भी देखना होगा की पेपर लिक किस तरह से हुआ है. अगर छात्रों को परीक्षा की सुबह याद करने के लिए कहा जाता, तो शायद लीक इतनी व्यापक नहीं होती. अगर हम गलत काम करने वाले उम्मीदवारों की पहचान नहीं कर सकते, तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा. सीजेआई ने कहा, “अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? इस पर हमें विस्तार से बताइए, जो भी हम फैसला लेंगे उससे लाखों छात्र प्रभावित होंगे.
अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ, तो…
सीजेआई ने कहा, “अगर लीक इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हुआ है? इस पर हमें विस्तार से बताइए, जो भी हम फैसला लेंगे उससे लाखों छात्र प्रभावित होंगे. यदि हम देखें कि लीक सोशल मीडिया पर हुआ था तो यह अत्यंत व्यापक है. यदि यह टेलीग्राम व्हाट्सएप के माध्यम से हुआ है, तो यह जंगल की आग की तरह फैल गया. और हमें लीक के समय के साथ संतुलन भी देखना होगा. जैसे कि यदि यह 5 मई की सुबह थी और छात्र परीक्षा देने गए थे.”
क्या इसमें एक्सपर्ट कमेटी की जरूरत है?
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए कि 720 अंक जिन 67 छात्रों को मिले है उनमें से कितने छात्रों को ग्रेस मार्क मिले. क्या इसमें एक्सपर्ट कमेटी की जरूरत है? क्या ये खतरे की घंटी है कि कुछ छात्रों को कुछ विषय में पूरे अंक मिले और कुछ में बहुत कम? ऐसा बहुत कम होता है कि ऐसे छात्रों ने दूसरे विषय की तैयारी ना की हो 720 अंक जिन छात्रों को मिले है उनमें से कोई रेड फ्लैग तो नही? अगर ऐसा हो तो क्या इसकी जांच हो सकती है? हम NEET का पैटर्न समझना चाहते हैं
शिक्षा मंत्रालय का हलफनामा
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया, “अखिल भारतीय परीक्षा में किसी बड़ी गड़बड़ी के सबूत के अभाव में पूरी परीक्षा और पहले से घोषित परिणाम को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा. बड़ी संख्या में छात्रों के हितों को भी खतरे में नहीं डाला जाना चाहिए, जिन्होंने बिना किसी कथित अनुचित साधन को अपनाए परीक्षा दी है.”
साभार : एनडीटीवी
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