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दुबई से लौटे केरल निवासी युवक में मिले मंकीपॉक्स के लक्षण

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तिरुवनंतपुरम. स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि केरल के मलप्पुरम में 38 साल के एक व्यक्ति में एमपॉक्स के मामले की पुष्टि हुई है. दुबई से लौटे एक युवक को केरल के मलप्पुरम जिले के मंजेरी स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एमपॉक्स के लक्षणों को देखते हुए भर्ती कराया गया था. कुछ दिन पहले केरल के मलप्पुरम जिले में हाल ही में दुबई से लौटे एक व्यक्ति में मंकी पॉक्स (एमपीओएक्स) के लक्षण दिखाई दिए. जिसके बाद युवक को  सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दिल्ली के बाद केरल के इस मामले के बाद भारत में इस बीमारी का दूसरा मामला होगा.

मलप्पुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया

हाल ही में दुबई से लौटे मरीज में बीमारी के लक्षण दिखे और उसे मलप्पुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था.उसके नमूने जांच के लिए भेजे गए थे. जिसमें बाद में एमपॉक्स संक्रमण की पुष्टि हुई. मंगलवार को केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने संवाददाताओं को बताया कि मरीज को घर पर ही आइसोलेट कर दिया गया और एहतियाती कदम उठाए गए. जिले के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मरीज कुछ दिन पहले केरल पहुंचा था और बीमार पड़ने के बाद उसे पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. पीटीआई ने अधिकारी के हवाले से बताया, वहां से उसे मंजेरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. यह संदेह होने पर कि यह मंकीपॉक्स का मामला हो सकता है.

बीमारी एमपॉक्स के लक्षण

चेचक से संबंधित वायरल बीमारी एमपॉक्स की विशेषता त्वचा पर चकत्ते, बुखार और फ्लू जैसे लक्षण हैं. यह त्वचा से त्वचा के संपर्क से फैलता है और खुद को सीमित कर सकता है. हालांकि कुछ मामलों में यह घातक भी हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद अगस्त से केरल एमपॉक्स के लिए अलर्ट पर है. राज्य ने पहले 2022 में बीमारी के मामलों की सूचना दी थी.

मंकीपॉक्स कौन सी बीमारी है

मंकीपॉक्स को एमपॉक्स भी कहते हैं. यह एक संक्रामक बीमारी है, जो स्मॉलपॉक्स यानी चेचक से काफी मिलती जुलती है. इसे चेचक की फैमिली का सदस्य ही माना जाता है. मंकीपॉक्स पहली बार 1958 में एक बंदर में मिला था, जिसके बाद 1970 में 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया. 2022 में इसका आउटब्रेक हुआ और पहली बार अफ्रीका से निकलकर ब्रिटेन पहुंच गया. इसके बाद यह संक्रमण दुनिया के 70 से ज्यादा देशों में फैल गया. WHO के मुताबिक, कुछ समय पहले मंकीपॉक्स उन पुरुषों में ज्यादा मिला था, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं. हालांकि, इसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज नहीं माना गया है.

WHO की चिंता क्या है

2022 में मंकीपॉक्स जब दुनिया में फैला था तब इसकी वजह से 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे थे. तब मंकीपॉक्स के सिर्फ दो स्ट्रेन थे, जो कम खतरनाक थे लेकिन नया स्ट्रेन clade1a बेहद खतरनाक है. डब्यूएचओ को डर है कि अगर यह दूसरे देशों तक पहुंचा तो खतरनाक हो सकता है.

मंकीपॉक्स कितनी तेजी से फैल सकता है

WHO के अनुसार, MPox संक्रामक है तो एक इंसान से दूसरे इंसान में पहुंचता है. ये रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स यानी छींकने, स्किन के संपर्क में आने, जेनिटल्स से निकलने वाले फ्लूइड, म्यूकल्सल सर्फेसेस या रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के संपर्क से शरीर में पहुंच सकता है. मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर के संपर्क में रहने पर भी इसका खतरा रहता है. यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह से शरीर में पहुंच सकता है और इससे बहुत जल्द दूसरा इंसान भी संक्रमित हो सकता है.

साभार : एबीपी न्यूज़

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