भोपाल. हाल ही में इंदौर में मालवा एक्सप्रेस के पहियों के ब्रेक चिपकने से एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई। घटना के दौरान ट्रेन के पहियों से चिंगारी निकलने लगी, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। हालांकि, समय पर धुएं पर काबू पा लिया गया, जिससे कोई बड़ा हादसा टल गया। रेल विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार में दौड़ रही होती, तो गंभीर दुर्घटना हो सकती थी। मालवा एक्सप्रेस, जो महू से इंदौर के बीच चलती है, वैष्णो देवी कटरा (जम्मू) की ओर जाती है। ट्रेन ने महू से इंदौर के लिए सुबह 11:53 बजे यात्रा शुरू की थी और उसे 12:05 बजे इंदौर स्टेशन पर पहुंचना था। लेकिन 22 मिनट की देरी से, ट्रेन 12:27 बजे इंदौर पहुंची। इंदौर स्टेशन पर ट्रेन का स्टॉपेज मात्र 10 मिनट का था।
पहिए चिपक गए
इस घटना का मुख्य कारण राजेंद्र नगर के पास पहियों का चिपकना था। यात्रियों ने जब देखा कि AC कोच के पहियों से चिंगारी निकल रही है, तो उन्होंने तुरंत ट्रेन प्रबंधन को सूचित किया। इसके बाद ट्रेन को राऊ के पास रोका गया। यार्ड से विशेषज्ञ इंजीनियर पहुंचे और उन्होंने फायर एस्टिंग्विशर की मदद से धुएं पर नियंत्रण पाया। इसके बाद ट्रेन को राजेंद्र नगर यार्ड में कुछ देर के लिए खड़ा किया गया, जहां इसे चेक किया गया। इसी तरह 20 दिन पहले भी सीहोर में ऐसी घटना हुई थी।
लापरवाही से हुई घटना
रेल विशेषज्ञ नागेश नामजोशी ने बताया कि यह घटना मेंटेनेंस में लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अगर ट्रेन की गति अधिक होती और एक पहिया रिस्पॉन्ड नहीं करता, तो कोच पलटने का खतरा उत्पन्न हो सकता था। उन्होंने आगाह किया कि अगर ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहीं, तो रेलवे अधिकारियों को इसे गंभीरता से लेना होगा। इस घटना के बारे में रेलवे पीआरओ खेमराज मीणा ने बताया कि पहिए जाम होने पर स्पार्किंग होती है, जो सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि राऊ के स्टेशन मास्टर ने स्थिति को देखा और ब्रेक को रिलीज करने के बाद ट्रेन को रवाना कर दिया। उनका कहना था कि इसमें कोई लापरवाही नहीं थी और ट्रेन को 10 मिनट से अधिक नहीं रोका गया।
तकनीकी समस्या पहले भी आई
मालवा एक्सप्रेस मध्य प्रदेश के कई प्रमुख शहरों से होकर गुजरती है, जिनमें इंदौर, भोपाल, उज्जैन, ग्वालियर, देवास, सीहोर, विदिशा, दतिया और मुरैना शामिल हैं। यह ट्रेन लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तय करती है, इसलिए तकनीकी समस्याओं का समय पर समाधान होना आवश्यक है। अधिकारियों को यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेंटेनेंस और निरीक्षण प्रक्रियाओं को कड़ाई से पालन करना चाहिए। इस घटना ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा और संचालन प्रणाली की समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है, और ऐसे मामलों में तत्परता और सावधानी बरतने की जरूरत है।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं