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ओडिशा के 10 FSTPs पर संचालन की जिम्मेदारी संभाल रहे ट्रांसजेंडर्स

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स्वच्छता में FSTPs अहम भूमिका निभाते हैं, जहां ‘मल एवं दूषित जल’ का सुरक्षित निपटान किया जाता है। इस प्रक्रिया से पानी की गुणवत्ता और उपलब्धता बढ़ती है, साथ ही कई बीमारियों में कमी आने से मानव जीवन में सुधार होता है। यहां दूषित पानी को साफ कर, उसे शौचालयों की सफाई, बागवानी और कृषि के लिए पुन: इस्तेमाल में लाया जाता है। जलशोधन प्रक्रिया के बाद बचा साफ पानी फिर से जल निकायों में छोड़ने योग्य हो जाता है। यह प्लांट्स शहरीकरण के साथ बढ़ती सीवेज संबंधी समस्याओं को कम करने के साथ-साथ जल संसाधन संरक्षण में भी मददगार होते हैं। इस तरह वातावरण स्वच्छ बनाने, जल प्रदूषण कम करने और पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं दूर करने में मदद मिलती है।

स्वच्छ भारत मिशन, अपने सफल 10 वर्ष पूरे होने के बाद भी निरंतर देश भर में गहरी छाप छोड़ रहा है। हर वर्ग और हर क्षेत्र के नागरिक माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में स्वच्छता के इस मिशन का हिस्सा बन रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन, आज देशवासियों को स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण मुहैया कराने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहा है। आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के अंतर्गत चल रहा स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) केवल बेहतर स्वच्छता व्यवस्थाएं ही उपलब्ध नहीं करा रहा, बल्कि महिलाओं और युवाओं से लेकर ट्रांसजेंडर्स समुदाय को भी आत्मनिर्भर बना रहा है। ओडिशा के शहरी निकायों में एक-दो नहीं, बल्कि ऐसे 10 फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट्स (FSTPs) हैं, जो इस तरह की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। यहां विभिन्न प्लांट्स के संचालन की जिम्मेदारी संभालकर ट्रांसजेंडर्स समाज के सदस्य भी स्वच्छ एवं स्वस्थ भविष्य के सारथी बन रहे हैं।

द वॉटर कॉर्पोरेशन ऑफ ओडिशा (WATCO) और भुवनेश्वर नगर निगम ने 2018 में सर्वप्रथम शहर की सफाई व्यवस्था में ट्रांसजेंडर्स SHG को शामिल करके ट्रांसजेंडर समुदायों को सामाजिक-आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ने करने के लिए सक्रिय कदम उठाए। WATCO ने भुवनेश्वर के बसुआघाई में 75-KLD क्षमता वाले FSTP के संचालन और प्रबंधन के लिए स्वीकृति नामक ट्रांसजेंडर्स SHG के साथ साझेदारी की। इसके बाद, अन्य ULBs ने भी संबंधित क्षेत्रों में सुचारू संचालन के लिए ट्रांसजेंडर SHGs के साथ साझेदारी की। आबादी के साथ निरंतर बढ़ते अपशिष्ट के प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए ढेंकनाल, संबलपुर और भुवनेश्वर जैसे शहरों में कई नए FSTPs स्थापित किए गए और अधिकांश को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए आधुनिक तरीके से डिजाइन कराया गया।

विभिन्न शहरी क्षेत्रों में घनी बस्तियों, अधिक अस्थायी आबादी और दैनिक अपशिष्ट उत्पादन में वृद्धि के चलते कई चुनौतियां रहती हैं। इसके लिए ओडिशा सरकार ने FSTPs स्थापित कर सभी ULBs में एक सेंट्रलाइज फीकल स्लज और सेप्टेज मैनेजमेंट (FSSM) दृष्टिकोण को अपनाया। इन सुविधाओं के प्रभावी संचालन में कुशल और किफायती मानव संसाधन की कमी दूर करने और समुदाय के सशक्तीकरण के लिए राज्य ने ट्रांसजेंडर्स को शामिल करके एक समावेशी और अभिनव समाधान शुरू किया। जो ट्रांसजेंडर SHGs वर्तमान में इन FSTPs के संचालन का प्रबंधन कर रहे हैं उनमें बहुचरमाता, स्वीकृति और सुरवी शामिल हैं। ओडिशा के इन प्लांट्स में फिलहाल कुल 51 ट्रांसजेंडर सदस्य सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जो कि पूर्ण संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारियां संभालते हुए कुशल एवं स्थायी सेवाएं सुनिश्चित कर रहे हैं।

ओडिशा के कुल 115 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) में मिशन के अंतर्गत 120 FSTPs का संचालन हो रहा है, मगर उनमें से जिन 10 जगह रखरखाव एवं संचालन की जिम्मेदारी अलग-अलग सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHGs) से जुड़े ट्रांसजेंडर्स संभाल रहे हैं। जिन नगर निकायों में ट्रांसजेंडर्स ने FSTPs के माध्यम से स्वच्छता का बीड़ा उठाया हुआ है, उनमें भुवनेश्वर, कटक, बरहमपुर-2 म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, परलाखेमुंडी, जलेश्वर म्यूनिसिपैलिटी, कोणार्क, निमापाड़ा, पिपली, तुसुरा, बालुगांव नोटिफाइड एरिया शामिल हैं। इनमें 10 से 20, 60 और 75 किलो लीटर प्रतिदिन (KLD) तक की जलशोधन क्षमता वाले प्लांट शामिल हैं और इन 10 FSTPs की कुल जलशोधन क्षमता 275 KLD है। ट्रांसजेंडर्स समाज के कर्मचारियों द्वारा संचालित इन FSTPs पर होने वाले जलशोधन से आसपास के क्षेत्रों में रहने वाली तकरीबन 26 लाख की आबादी को बेहतर स्वच्छता, स्वास्थ्य सहित सुरक्षित वातावरण मिल रहा है।

ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों ने अपने काम से न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समुदाय के लिए भी एक नई दिशा दिखाई है। उन्होंने साबित किया है कि वे किसी भी क्षेत्र में काम कर सकते हैं और समाज में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। ओडिशा की स्वच्छता यात्रा में ट्रांसजेंडर समुदाय की अनूठी पहल इसका जीवंत उदाहरण है कि कैसे समाज का कोई भी वर्ग स्वच्छता के प्रति अपने हिस्से की जिम्मेदारी उठाकर बड़े परिवर्तन ला सकता है। यह पहल न केवल स्वच्छता व्यवस्थाओं एवं सुविधाओं में सुधार कर रही है, बल्कि ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को भी सशक्त बना रही है।

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