जम्मू. जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार को हुए राज्यसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने जलवा बिखेरा। पार्टी ने चार सीटों में से तीन पर जीत दर्ज की। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा भी विजयी रहे। नेशनल कॉन्फ्रेंस के चौधरी रमजान, सज्जाद किचलू और शम्मी ओबरॉय ने आसानी से जीत हासिल की जबकि चौथी सीट भाजपा के सत शर्मा के खाते में गई। शर्मा ने कड़े मुकाबले में एनसी के इमरान नबी डार को हराया। सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा परिसर में मतदान हुआ और देर शाम मतगणना के साथ संपन्न हुआ।
जीत का जश्न मनाते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह परिणाम क्षेत्रीय एकता और जनता के विश्वास की पुष्टि है। उन्होंने कहा, उनके विधायकों ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि जम्मू और कश्मीर की आवाज संसद में जोरदार तरीके से सुनी जाएगी। हम इस महत्वपूर्ण लड़ाई में हमारे साथ खड़े होने के लिए अपने सहयोगियों का धन्यवाद करते हैं। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एनसी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ये नतीजे जम्मू-कश्मीर के हितों की रक्षा के लिए क्षेत्रीय ताकतों के एकजुट रुख को दर्शाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि एनसी उम्मीदवारों का समर्थन करने का पार्टी का फैसला संसद में जनता के मुद्दों की रक्षा के व्यापक हित में लिया गया है।
गौरतलब है कि नवनिर्वाचित सदस्यों के अगले संसदीय सत्र के दौरान शपथ लेने की उम्मीद है, जो जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक बहाली के बाद से क्षेत्रीय दलों और भाजपा के बीच विधायी शक्ति का पहला बड़ा परीक्षण होगा।
नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद-राजनीति में कितनी गहरी हैं जड़ें
1. सत शर्मा (भाजपा)
भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष 64 वर्षीय शर्मा पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। उन्हें पिछले साल केंद्र शासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा का जम्मू-कश्मीर प्रमुख नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर भाजपा प्रमुख के रूप में यह उनका दूसरा कार्यकाल है। उन्होंने 2015 से 2018 तक यहां भाजपा का नेतृत्व किया था। शर्मा दो महीने तक पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री रहे। उन्होंने 2014 का विधानसभा चुनाव भाजपा के टिकट पर जम्मू पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से जीता था।
2. चौधरी मोहम्मद रमजान (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
75 वर्षीय नेता चार बार के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री हैं, जो पहली बार 1983 में उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा से विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने 1987 और 1996 के चुनावों में यह सीट बरकरार रखी। 2002 के चुनावों में हारने के बाद रमजान 2008 में विधानसभा में लौट आए। हालांकि, 2014 और 2024 के विधानसभा चुनावों में वह सज्जाद गनी लोन से हार गए। रमजान 1996 में फारूक अब्दुल्ला सरकार में मंत्री थे।
3. सज्जाद अहमद किचलू (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
60 वर्षीय किचलू जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता बशीर अहमद किचलू पार्टी के एक महत्वपूर्ण नेता थे और उन्होंने 1980 और 1996 में फारूक अब्दुल्ला सरकार में महत्वपूर्ण पद संभाला था। बशीर अहमद का निधन 2001 में हो गया था, तब वे समाज कल्याण मंत्री थे। सज्जाद चुनावी राजनीति में कूद पड़े और 2002 के चुनावों में किश्तवाड़ सीट से जीत हासिल की। 2008 के चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी। हालांकि सज्जाद अहमद किचलू 2014 और 2024 के विधानसभा चुनाव हार गए। 2015 में वे जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के एमएलसी चुने गए।
4. गुरविंदर सिंह ओबेरॉय (नेशनल कॉन्फ्रेंस)
56 वर्षीय ओबेरॉय जम्मू-कश्मीर के पहले सिख सांसद हैं। शम्मी ओबेरॉय के नाम से भी जाने जाने जाते हैं। यह एक व्यवसायी हैं और होटल प्रबंधन में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में नेशनल कॉन्फ्रेंस के कोषाध्यक्ष, ओबेरॉय दिवंगत पार्टी नेता और एमएलसी धर्मवीर सिंह ओबेरॉय के पुत्र हैं। उनके पिता 1999 में उमर अब्दुल्ला के संसदीय चुनाव के दौरान उनके मुख्य मतदान एजेंट भी थे। अक्तूबर 2021 में देवेंद्र सिंह राणा के पार्टी छोड़ने के बाद शम्मी ओबेरॉय नेशनल कॉन्फ्रेंस में प्रमुखता से उभरे। उन्होंने राज्यसभा चुनावों के लिए पीडीपी और कांग्रेस का समर्थन हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दोनों का प्रमुख सहयोगी माना जाता है और उन्हें मार्च 2017 में पार्टी कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।
साभार : अमर उजाला
‘गांधी जी की राजनीतिक यात्रा के कुछ पन्ने’ पुस्तक के बारे में जानने के लिए लिंक पर क्लिक करें :
https://matribhumisamachar.com/2025/12/10/86283/
आप इस ई-बुक को पढ़ने के लिए निम्न लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं:
Matribhumisamachar


