नई दिल्ली (मा.स.स.). देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क उत्पादक और इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाला सीपीएसई नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लि. (एनएमडीसी) और फिक्की ‘ट्रांजिशन टुवार्ड्स 2030 एंड विजन 2047’की विषय वस्तु पर भारतीय खनिज और धातु उद्योग पर 23 और 24 अगस्त को नई दिल्ली में एक सम्मेलन का आयोजन करेंगे। उद्योग, नीति और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े वक्ता इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। वैश्विक और घरेलू उत्पादक, खनिज संगठन, नीति निर्माता, खनन उपकरण विनिर्माता, वैश्विक कंपनियों के कंट्री हेड, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी आदि सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे और संबोधन देंगे।
इस कार्यक्राम की जानकारी देते हुए फिक्की माइनिंग कमेटी के चेयर और एनएमडीसी के चेयरमैन सह प्रबंधन निदेशक श्री सुमित देब ने कहा कि देश में खनिज संसाधनों के व्यापक आधार और कारोबारीसुगमता और नियामकीय माहौल में बदलाव को देखते हुए, घरेलू के साथ ही दिग्गज अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां भी देश की खदानों और खनिज उद्योग में दिलचस्पी दिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग, केंद्र और राज्यों सहित सभी संबंधित हितधारकों के बीच समन्वय खासा अहम है और आगामी सम्मेलन इस सहयोग को मजबूत बनाने और आगे की योजनाएं तैयार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा।
देब ने कहा कि चुनौतियों और बाधाओं को दूर करना और उनके लिए समाधानों की तलाश करना प्रगति के लिए अहम है और यह सम्मेलन इस दिशा में एक अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा, “कारोबारी सुगमता बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सुधारों के साथ भारत में खनन क्षेत्र एक व्यापक बदलाव से गुजर रहा है।” आगामी सम्मेलन में नई पीढ़ी के खनिज, डिजिटलीकरण और स्वचालन एवं अन्य प्रौद्योगिकी नवाचारों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। यह कार्यक्रम दुनिया भर में भविष्य के खनिजों और धातुओं पर एक कंट्री पैनल विचार-विमर्श का भी गवाह बनेगा।
यह सम्मेलन खनिजों और धातुओं के लिए वैश्विक कमोडिटी बाजार की समझ को संभव बनाएगा, खनिज विकास और आर्थिक विकास के बीच के अंतर संबंध, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के उन घटनाक्रमों को रेखांकित करेगा जो भारतीय खनिज और धातु उद्योग को प्रभावित कर सकते हैं और भारतीय उद्योग एवं खनिज उद्योग में अवसरों की पहचान आदि में भी अहम भूमिका निभाएगा। भारत अधिकांश खनिजों से संपन्न है और ईंधन, परमाणु, धातु, गैर-धातु और लघु खनिजों सहित 95 खनिजों का उत्पादन करता है। बेरोज़गार होने के कारण, अन्वेषण और खनन कंपनियों के पास देश को देने के लिए बहुत कुछ है। अभी तक खोज की कमी की चलते देश में अन्वेषण और खनन कंपनियों के लिए खासी संभावनाएं हैं।