– डॉ घनश्याम बादल
भारत की गुणवत्तापरक विद्यालयी संस्थाओं में शुमार केंद्रीय विद्यालय संगठन का आज स्थापना दिवस है। केंद्रीय विद्यालय संगठन, भारत में केंद्रीय सरकारी स्कूलों की एक प्रिमियर संस्था है जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन स्थापित की गई थी। इसमें भारत में 1243 और मास्को, तेहरान एवं काठमांडू विदेश स्थित में तीन स्कूल शामिल हैं। केन्द्रीय विद्यालय छात्रों के चहुर्ंखी विकास करने के व उच्च शिक्षा स्तर के लिए जाने जाते हैं इनमें देश के विभिन्न भागों के लोगों के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं जिससे की छात्रों के व्यक्तित्व का संतुलित विकास होता है। 1963 में 20 रेजिमेंटल विद्यालयों को लेकर ‘सैंट्रल स्कूल समिति’ के नाम से एक देशव्यापी शिक्षण संस्थान की स्थापना की गई जिसका नाम 1986 में केंद्रसरकार ने केन्द्रीय विद्यालय संगठन कर दिया ।
केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय रक्षा सेवा कर्मियों व बार-बार स्थानांतरित होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षित करना है जो अक्सर दूरस्थ स्थानों पर तैनात होते रहते हैं। अब तो धीरे-धीरे सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के साथ माता-पिता की कैटेगरी के अधिमान के अनुसार केंद्रीय विद्यालय राज्य सरकार के कर्मचारियों स्वायत्तशासी केंद्र सरकार के संगठनों, राज्य सरकार के स्वायत्तशासी संगठनों के साथ साथ ही सीट उपलब्ध होने पर अन्य वर्गों के लोगों के बच्चों के लिए भी केंद्रीय विद्यालयों में शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।
प्रवेश माता पिता की कुल पांच कैटेगरी के अनुसार होता है । प्रथम कैटेगरी में केंद्रीय सरकार के स्थानांतरणीय कर्मचारी आते हैं जबकि दूसरी कैटेगरी में केंद्र सरकार के ही स्वायत्तशासी संस्थानों को शामिल किया गया है राज्य सरकार के कर्मचारी तीसरी श्रेणी में है और प्रादेशिक स्वायत शासन संस्थान चौथी कैटेगरी में आते हैं अन्य सभी वर्ग पांचवी कैटेगरी में शामिल किए गए हैं ।
एकरूपता व समग्रता :
देशभर में फैले केंद्रीय विद्यालय संगठन के छात्र छात्राओं को एक रूप शिक्षा देने के लिए इन विद्यालयों में केवल एनसीईआरटी अथवा सीबीएसई द्वारा तैयार की गई पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं निजी प्रकाशकों की पुस्तकों के लिए इन विद्यालयों में कोई स्थान नहीं है। इतना ही नहीं पहले केंद्रीय विद्यालय संगठन के मुख्यालय द्वारा एवं बाद में संभागीय मुख्यालयों के द्वारा भी पाठ्यक्रम का विभाजन एक वर्ष विशेष के लिए किया जाता है जिससे देशभर में लगभग एक ही गति के साथ पाठ्यक्रम आगे बढ़ता है जिससे स्थानांतरण होने की दशा में बच्चों को न पिछड़ने का डर रहता है और न ही असुविधा होती है ।
केंद्रीय विद्यालय के बच्चे एक जैसी ही यूनिफॉर्म पहनते हैं तथा सभी विद्यालयों में सदन ड्रेस भी एक सी ही है । प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय के बच्चे चार सदनों में बंटे होते हैं जिनके नाम शिवाजी, टैगोर, अशोक एवं रमन सदन हैं। केंद्रीय विद्यालयों में प्रति सप्ताह पाठ्य सहगामी क्रियाओं का भी आयोजन किया जाता है जिससे बच्चों में सांस्कृतिक धरोहर के प्रति रुचि जागृत होती है तथा क्विज, प्रश्नमंच, काव्य – पाठ, नृत्य, गायन, वाद – विवाद, संभाषण, नाटक, सुलेख, लेख, चित्रकला जैसे रोचक कार्यक्रम पाठ्य सहगामी गतिविधियों के अंतर्गत आयोजित किए जाते हैं जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है ।
समावेशी शिक्षा
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने अपने छात्र छात्राओं के लिए पाठ्य सहगामी क्रियाओं एवं क्रीड़ा कार्यक्रमों के द्वारा सर्वांगीण विकास की सततगामी व्यवस्था की है पाठ्य सहगामी गतिविधियों एवं क्रीड़ा प्रतियोगिताओं के प्रतिभाशाली छात्र – छात्राओं को पहले विद्यालय स्तर फिर क्लस्टर लेवल बाद में संभागीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का अवसर मिलता है । इन प्रतियोगिताओं के विजेता बच्चों के प्रोत्साहन के लिए प्रमाण पत्र के साथ नकद राशि के पारितोषिक भी दिए जाते हैं। केंद्रीय विद्यालय के राष्ट्रीय स्तर पर विजेता बच्चे एसजीएफआई या अर्थात स्पोर्ट्स एंड गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की प्रतियोगिताओं में भी न केवल संभागिता करते हैं अपितु इन प्रतियोगिताओं में भी उनका प्रदर्शन उच्च स्तरीय रहता है।
समग्र विकास
केंद्रीय विद्यालय वास्तव में बच्चों के समग्र विकास के अनुकरणीय विद्यालय हैं इन विद्यालयों में समय-समय पर विद्यालय, संकुल एवं संभागीय तथा राष्ट्रीय स्तर पर एक भारत श्रेष्ठ भारत प्रदर्शनी, विज्ञान प्रदर्शनी व छात्र संसद जैसी उपयोगी एवं रोचक गतिविधियां संचालित की जाती हैं।शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग तथा नवाचार को सम्मिलित करना व बच्चों में राष्ट्रीय एकता और ’भारतीयता’ की भावना का विकास करना केंद्रीय विद्यालयों के मुख्य लक्ष्यों में शामिल हैं । स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने और गति निर्धारित करने के लिए केंद्रीय विद्यालय पेस सैटिंग विद्यालय कहे जाते हैं।
विशेषताएं
सभी केंद्रीय विद्यालयों में द्विभाषी शिक्षण माध्यम है और यें केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं। सभी केंद्रीय विद्यालय सह-शिक्षा विद्यालय हैं । उपयुक्त शिक्षक-शिष्य अनुपात द्वारा शिक्षण की गुणवत्ता को उच्च रखा जाता है।
कीर्तिमान बनाते छात्र
केन्द्रीय विद्यालय संगठन के पूर्व छात्र सुहास गोपीनाथ दुनिया के सबसे कम उम्र के सीईओ बने तो आनंद शर्मा केंद्रीय मंत्री रहे , सौरभ कालिया व अभिनंदन ने बहादुरी में झंडे गाड़े हैं । सुनील छेत्री फुटबॉल टीम के कप्तान रहे हैं । सुष्मिता सेन फिल्मों में छाई रही हैं यानी केंद्रीय विद्यालय शुरू से ही श्रेष्ठता के प्रतिमान स्थापित करने वाले विद्यालय रहे हैं । पर श्रेष्ठता की कोई सीमा नहीं होती इसलिए केंद्रीय विद्यालय संगठन को लगातार अपने विद्यालयों को अद्यतन करते रहना होगा एवं शिक्षा के साथ साथ अच्छे व चरित्रवान नागरिक तैयार करने पर और बल देना होगा।
मगर इस सत्र में जिस प्रकार केंद्रीय विद्यालयों में अचानक ही सत्र के बीच में उत्तर भारत के शिक्षकों को दक्षिण भारत में स्थानांतरित करने के आदेश जारी किए गए उससे शिक्षकों में भारी रोष देखा गया । रेशनलाई जेशन के नाम पर किए जाने वाले इन ट्रांसफर के खिलाफ शिक्षक कोर्ट में भी गए और अधिकांश के केस वहां अभी भी लटके हुए हैं । ऐसी स्थिति में न तो दक्षिण भारतीय केंद्रीय विद्यालयों का भला हुआ और नहीं उत्तर भारत के केंद्रीय विद्यालय में शिक्षा की प्रक्रिया उस समर्पण एवं निष्ठा के साथ चल पा रही है जिसके लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन जाना जाता है ।
दूसरी शिकायत केंद्रीय विद्यालय के बारे में यह भी है कि वहां पर गतिविधियों के नाम पर अति की सीमा भी पार कर दी गई है जिससे पठन-पाठन बाधित होता है एवं बच्चे तथा शिक्षक अन्य गतिविधियों एवं अभिलेख तैयार करने में ही लगे रहते हैं। देश की सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाली विद्यालय श्रृंखला को करने का कोई कारगर रास्ता ढूंढना चाहिए ।
लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं
नोट : लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से मातृभूमि समाचार का सहमत होना आवश्यक नहीं है.