अहमदाबाद (मा.स.स.). कांग्रेस ने हार्दिक पटेल को इस लिए हाशिये पर डाल दिया था क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि गुजरात के बड़े पाटीदार नेता नरेश पटेल उनके साथ जरुर आयेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लगभग 6 महीने तक विचार करने के बाद नरेश पटेल ने राजनीति में आने से मना कर दिया. अब वो युवाओं को राजनीति करना सिखायेंगे. इसका सीधा अर्थ है कि वो किसी पार्टी से जुड़कर राजनीति नहीं करेंगे.
ऐसा माना जा रहा है कि उनके युवा समर्थक तो चाहते थे कि नरेश राजनीति में आयें, चुनाव मैदान में उतरे. लेकिन बुजुर्ग समर्थक ऐसा नहीं चाहते थे. इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि गुजरात में ही हार्दिक पटेल का कांग्रेस के साथ जुड़ने के बाद क्या हुआ. यह वो सभी देख चुके थे. कांग्रेस तो पिछले विधानसभा चुनाव में पहले से मजबूत होकर उभरी लेकिन हार्दिक को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाना पड़ा. हार्दिक पटेल ने अपने आन्दोलनों के माध्यम से जो छवि बनाई थी, उस पर भी ग्रहण लग गया. शायद उनके अनुभवी समर्थकों को इसी बात का डर हो. कारण कुछ भी हो लेकिन इससे कांग्रेस के लिए गुजरात में नया संकट खड़ा हो गया है.
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