नई दिल्ली (मा.स.स.). औषध उद्योग में भारत के मौजूदा विनिर्माण कौशल को और बढ़ाने के उद्देश्य से भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय का फार्मास्यूटिकल्स विभाग, ‘औषध उद्योग को मजबूत बनाने के लिए एसपीआई के बैनर तले कई पहलें शुरू करने की योजनाएं बना रहा है। इस क्षेत्र में लघु एवं मझौले उद्योगों (एमएसएमई) की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए तथा इस बात पर भी ध्यान देते हुए कि एमएसएमई क्लस्टर में बढ़ते हैं, ये योजनाएं यूनिट स्तर और क्लस्टर स्तर पर प्रौद्योगिकी उन्नयन के मुद्दों को संबोधित करेंगी। एमएसएमई इस उद्योग को महत्वपूर्ण फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज प्रदान करते हैं।
औषध उद्योग की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए जहां एमएसएमई एक अभिन्न अंग हैं, भारत सरकार एक उप-योजना औषध उद्योग प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (पीटीयूएएस) के जरिए निर्धारित एम प्रमाणन या डब्ल्यूएचओ जीएमपी प्रमाणन प्राप्त करने के लिए उत्सुक एमएसएमई इकाइयों को लाभ प्रदान करेगी। एमएसएमई इकाइयों को पूंजीगत सब्सिडी या ब्याज सबवेंशन में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा। क्लस्टर स्तर पर उप-योजना ‘सामान्य सुविधाओं के लिए औषध उद्योग को सहायता’ (एपीआईसीएफ) के तहत सरकार 20 करोड़ रुपए अधिकतम सीमा की सूरत में 70 प्रतिशत पूंजी अनुदान के रूप में सरकारी सहायता प्रदान करके परीक्षण प्रयोगशालाओं, सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों और ऐसी अन्य सामान्य सुविधाओं के निर्माण का समर्थन करेगी। ज्ञान के अंतर को पाटने के लिए, तीसरी उप-योजना के तहत जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित करने के साथ-साथ, क्षेत्रीय अध्ययन कराने और इस संबंध में नीति बनाने के लिए सॉफ्ट इनपुट हासिल करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया 21 जुलाई, 2022 को डॉ. भीमराव अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में इन पहलों की औपचारिक रूप से शुरुआत करेंगे। इस अवसर पर रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा भी उपस्थित होंगे। इनके साथ-साथ इस अवसर पर रसायन और उर्वरक विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, सिडबी, एनएसआईसी तथा बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा उद्योग के प्रतिनिधि, उद्यमी तथा स्टार्टअप्स आदि के प्रतिनिधि भी उपस्थित होंगे।