नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज यहां जन परामर्श के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) के मसौदे को प्रस्तुत किया। शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी; कौशल विकास, उद्यमिता, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर; सचिव अनिता करवाल; उच्च शिक्षा सचिव संजय मूर्ति; कौशल विकास और उद्यमिता सचिव अतुल कुमार तिवारी; एनसीवीईटी के अध्यक्ष डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी और शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्रिय नेतृत्व में परिकल्पित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के विजन को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) विकसित किया है ताकि अकादमिक और व्यावसायिक क्षेत्रों का एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके जिससे दोनों के बीच लचीलापन और गतिशीलता आए। एनसीआरएफ एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित होगा। ये छात्रों की आगे की प्रगति के लिए कई विकल्पों को खोलेगा और व्यावसायिक शिक्षा व अनुभवात्मक शिक्षा के साथ स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच रिश्ता कायम करेगा, जिससे कौशल प्रदानता और वोकेशनल शिक्षा को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा। जो विद्यार्थी मुख्यधारा की शिक्षा से बाहर हो गए हैं, एनसीआरएफ उन्हें शिक्षा इकोसिस्टम में फिर से प्रवेश करने में सक्षम करेगा।
इस अवसर प्रधान ने कहा कि जन-भागीदारी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुशासन का एक प्रमुख स्तंभ है और एनईपी 2020 भी जन-भागीदारी की भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि एनईपी के अंतर्गत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क दरअसल अगली पीढ़ी वाला, बहुआयामी साधन है। हम एनसीआरएफ को और अधिक गतिशील बनाने के लिए ‘जन-परामर्श’ हेतु समर्पित कर रहे हैं। प्रधान ने आगे कहा कि शैक्षिक व कौशल संस्थानों और कार्यबल में हमारे लोगों को शामिल करते हुए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क उनके कौशल प्रशिक्षण, पुन: कौशल, अप-स्किलिंग, मान्यता और मूल्यांकन के लिए एक अंब्रैला फ्रेमवर्क है।
प्रधान ने जोर देकर कहा कि हमें भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है, अगले 25 वर्षों में एक विकसित भारत के विजन को पूरा करना है और अपनी शतप्रतिशत आबादी को सशक्त बनाना है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एनईपी के तहत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क सबसे महत्वपूर्ण साधन साबित होगा। भारत अभूतपूर्व गति से प्रौद्योगिकी को अपना रहा है। हमें ज्ञान, कौशल और अनुभव को प्रोत्साहन देने के लिए सुधार लाने होंगे। उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन वर्षों में 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के लिए ज्ञान प्राप्ति, व्यावहारिक प्रशिक्षण, सकारात्मक सामाजिक परिणामों के लिए क्रेडिट्स महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।
मंत्री ने सभी संस्थानों, स्कूलों, आईटीआई, एआईसीटीई से संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों, केंद्र द्वारा वित्त पोषित एचईआई, राज्य विश्वविद्यालयों और नियामक प्राधिकरणों/निकायों से अपील की है कि वे नागरिकों से सुझाव लेने के लिए अपनी वेबसाइट पर नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के लिए जन परामर्श की मेजबानी करें।
यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीवीईटी, एनआईओएस, सीबीएसई, एनसीईआरटी, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग और उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, डीजीटी और कौशल विकास मंत्रालय के सदस्यों के साथ सरकार द्वारा गठित समिति केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री के मार्गदर्शन में इस समावेशी अंब्रैला फ्रेमवर्क का उद्देश्य उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा में मल्टीपल एंट्री-मल्टीपल एक्जिट के विकल्पों को सुलभ करना और लागू करना है, जिससे छात्रों को अपने खुद के सीखने के रास्ते और कार्यक्रम चुनने की सुविधा मिलती है।
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढांचा (एनएचईक्यूएफ), राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचा (एनएसक्यूएफ) और राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा योग्यता ढांचा (एनएसईक्यूएफ) को शामिल करके नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट्स को निर्बाध रूप से एकीकृत करेगा। यह उन छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा में तेजी को समर्थन देता है जिनके पास सीखने की अनूठी प्रतिभा है और ये उस कार्यबल के पहले से सीखे होने को मान्यता देता है जिन्होंने पारंपरिक पारिवारिक विरासत, काम के अनुभव या अन्य तरीकों से अनौपचारिक रूप से ज्ञान और कौशल हासिल किया है।
सरकार ने अब इस दस्तावेज़ पर टिप्पणियां और राय आमंत्रित की हैं जिन्हें यहां भेजा जा सकता है: comments.ncrf[at]gmail[dot]com.
विभिन्न हितधारकों के लिए प्रस्तावित लाभ इस प्रकार हैं:
- छात्रों के लिए:ये ढांचा मल्टीपल एंट्री और एक्जिट/कामकाज के विकल्पों के प्रावधानों के जरिए अध्ययन/पाठ्यक्रम की अवधि में लचीलापन सुनिश्चित करेगा और साथ ही शैक्षणिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक शिक्षा सहित सभी सीखने के घंटों के क्रेडिटकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह आजीवन सीखने का प्रावधान भी देगा- यानी, किसी भी समय कहीं भी सीखना।
यह छात्रों की इस प्रकार मदद करेगा:
- लचीले पाठ्यक्रम के साथ बहु-विषयक और समग्रतापूर्ण शिक्षा की स्थापना
- शिक्षा के विषयों के बीच के कठिन भेद को दूर करना और अध्ययन के चुनावों को सम्मानजनक बनाना, एक ही पीरियड में एक से अधिक की अनुमति देना
- कला, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, वाणिज्य आदि के भेद को दूर करना
- प्रत्येक शिक्षा/कौशल/अनुभव के लिए छात्र को क्रेडिट देना
- बुनियादी और संज्ञानात्मक दोनों को शामिल करके मूल शिक्षा के दायरे को बढ़ाना
- संस्थानों के लिए:राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों में एकीकरण लाएगा, जिससे छात्रों के ज्ञान का विविध और समृद्ध आधार तैयार होगा।
इसमें भी मदद मिलेगी:
- संस्थानों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देना
- क्रेडिट तंत्र को सरल और एक समान बनाना
- अनुसंधान और इनोवेशन पर बढ़ता फोकस
- डिजिटल लर्निंग, ब्लेंडेड लर्निंग और ओपन डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देना
- संस्थागत बुनियादी ढांचे का लाभ उठाना
- सरकार के लिए:उम्मीद है कि ये ढांचा छात्रों के नामांकन में बढ़ोतरी करने, जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरक बनने और भारत को विश्व की कौशल राजधानी में तब्दील करने के नेशनल विजन को पूरा करने में सरकार की सहायता करेगा।
ये निम्न कार्य भी करेगा:
- व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण/कौशल को आकांक्षापूर्ण बनाना
- आत्मनिर्भर भारत के लिए उच्च शिक्षित और प्रशिक्षित कार्यबल
- उद्योगों के लिए:उद्योगों द्वारा विकसित एनएसक्यूएफ-अनुमोदित बुनियादी कौशल प्राप्त करने और ज्यादा रोजगारपरक बनने में ये ढांचा छात्रों की मदद करेगा। इसमें जो माइक्रो-क्रेडेंशियल्स का प्रावधान है वह त्वरित शैक्षिक उन्नयन/अप-स्किलिंग के एकीकरण की अनुमति देगा।
इससे निम्न में भी मदद मिलेगी:
- मौजूदा कर्मचारियों/इंजीनियरों की री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग
- अध्ययन के एक ज्यादा समग्रतापूर्ण डिजाइन को सक्षम करके छात्रों को ज्यादा रोजगारपरक बनाना
- रोजगार योग्य युवाओं का बहु/अंतर-क्षेत्रीय स्किल पूल बनाना