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श्रीमती कांति देवी जैन व्याख्यानमाला में उठी प्रवासी भारतीयों को वोट के अधिकार की मांग

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नई दिल्ली (मा.स.स.). श्रीमती कांतिदेवी जैन मैमोरियल ट्रस्ट, हंसराज कॉलेज तथा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी के संयुक्त तत्वावधान में तृतीय श्रीमती कांतिदेवी जैन स्मृति तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यानमाला के पहले दिन “हमारे देश में चुनाव और प्रवासी भारतीयों की भागीदारी” विषय पर बोलते हुए भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई.कुरैशी ने अपने संबोधन में कहा कि इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन करके कांतिदेवी मैमोरियल ट्रस्ट ने भारतीय प्रजातंत्र को एक मजबूत मंच दिया है उसके लिए वास्तव में सभी पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं।

कुरैशी ने कहा कि लगभग 16- 17 देशों में भारतीय मूल के लोगो की काफी पकड़ है जिनकी संख्या 1 करोड़ 60 लाख के लगभग है। भारतीयो के ब्रेन की काबलियत से विदेशी लोगों में चिंता होने लगी है। प्रवासी भारतीयों के सम्मान में प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय प्रवासी दिवस मनाया था। उसके बाद प्रवासी भारतीयो को वोट का अधिकार देने की बात आई। यह नौकरशाही के लिए एक चुनौती थी। इस संदर्भ में कई मीटिंग हुई। जिनमें चार तरीको पर विचार किया गया। 2011 में अमेंडमेंट किया गया कि वोट देने का हक दिया जाए। उसके बाद हुए चुनावों में केरल, पंजाब व उड़ीसा राज्य में प्रवासी भारतीय वोट डालने के लिए आये। कमेटी ने सिस्टम स्टडी किया लेकिन फाइनल निर्णय नहीं हो सका। टेक्सेशन का मामला भी सामने आया। फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। जहां यह पेंडिंग पड़ा हुआ है। कुरैशी ने प्रवासी भारतीयों को वोटिंग का अधिकार दिए जाने और उसकी प्रक्रिया सरल बनाने की वकालत की। उन्होंने अपने कार्यकाल से संबंधित कई उदाहरण भी दिये जब उन्होंने प्रवासी भारतीयों,भारतीय सेना और अन्य पिछड़े समुदायों द्वारा वोट दिये जाने की प्रक्रिया को सरल बनाया।

राज्यसभा के पूर्व महासचिव तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव डॉ. योगेन्द्र नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि श्रीमती कांतिदेवी जैन की पुण्यतिथि पर प्रत्येक वर्ष व्याख्यानमाला का क्रम जारी रखना वास्तव में सराहनीय कार्य है। डॉ. योगेन्द्र नारायण ने इस अवसर पर कहा कि प्रवासी भारतीयों को वोट का अधिकार मिलना चाहिए। यदि भारत सरकार मजबूत निर्णय लेकर तय करे कि हमे यह कार्य करना है तो कोई वजह नहीं है कि उसे कार्यरूप ना दिया जा सके। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि भारत सरकार का निर्णय प्रवासी भारतीयों को वोट का अधिकार देने का हो जाये तो सभी देशों के हमारे राजदूत इस जिम्मेदारी को अपने अपने देश में आसानी से लागू करा सकते है। उन्होंने भारतीय चुनावों की प्रक्रिया को भी विस्तार से बताया।

ब्रिटेन के सुप्रसिद्ध साहित्यकार तेजेन्द्र शर्मा ने ब्रिटेन के चुनावों की प्रक्रिया को बताते हुए कहा कि यहां भारतीय मूल के लोग राजनीति में अच्छी पकड़ रखते हैं। उन्होंने कहा कि यहां की संसद भ्रष्ट नहीं है। अब ब्रिटेन में भारतीय लोग अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी बहुत अच्छी स्थिति में है। मलेशिया के व्यवसायी दिगम्बर नासवा ने बताया कि यहां मलेशिया के नागरिक ही वोट दे सकते है। भारत के राष्ट्रपति की तरह से यहां का राजा होता है। हालांकि भारतीय मूल की एक सांसद भी यहां की संसद में है। अमेरिका के समाजसेवी अनूप भार्गव ने विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश अमेरिका के चुनावों के बारे में बताया और उसकी कुछ खामियों को भी गिनवाया। उन्होंने बताया कि यहां के चुनावों में प्रवासी भारतीयों की भागीदारी भी होती है। अधिकांश भारतीय लेबर पार्टी के साथ होते हैं। उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति पद पर भारतीय मूल की कमला हैरिस के अलावा दो सांसद भी है।

नीदरलैंड्स के सूचना प्रौद्योगिकी निदेशक विश्वास दुबे ने अपने सारगर्भित और शोध पूर्ण वक्तव्य में बताया कि यह देश लोकतांत्रिक देशों की श्रेणी में 9वें स्थान पर है। यहाँ कई दशकों से गठबंधन की सरकार बनती हैं। बहुत सारी पार्टियां देश में है और उन सभी की विचारधारा अलग होती है। अब मलेशिया में बैलट पेपर से ही मतदान होता है। मतदान के कुछ देर बाद ही परिणाम आ जाते हैं। पालिकाओं में अनेक भारतवंशी है। वक्ताओं ने अलग-अलग देशों की महत्वपूर्ण जानकारी साझा की और इस व्याख्यानमाला को समृद्ध किया।समारोह का कुशल संचालन कनाडा के जाने माने साहित्यकार धर्मपाल महेंद्र जैन ने किया।सहयोगी संस्था हंसराज कॉलेज की ओर से डॉ. प्रभांशु ओज्ञा ने स्वागत भाषण दिया जबकि दूसरी सहयोगी संस्था बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय की ओर से पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रोफेसर डॉ. कौशल त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह के प्रारंभ में श्रीमती कांतिदेवी जैन के जीवन पर डाक्यूमेंट्री दिखाई गई।

चाणक्य वार्ता के संपादक डॉ. अमित जैन ने प्रस्तावना भाषण देते हुए देश विदेश के हजारो शुभचिंतकों का अपने परिवार की और से हार्दिक आभार प्रकट किया। समारोह में विशेष रूप से प्रोफेसर अवनीश कुमार, लक्ष्मीनारायण भाला, सारांश कनौजिया, डॉ. बी एल आच्छा, शुभदा वराडकर आदि उपस्थित रहे।

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