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पांच दिवसीय दौरे पर कानपुर आयेंगे संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत

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लखनऊ (मा.स.स.). 6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक कानपुर के दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इण्टर कालेज में सम्पन्न होने वाले स्वर संगम घोष शिविर में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का प्रवास रहेगा। वह 9 अक्टूबर को बाल्मीकि समाज द्वारा नानाराव पार्क में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे तथा 10 अक्टूबर को सायंकाल 4.30 बजे वी.एस.एस.डी. कालेज के प्रांगण से समाज को सम्बोधित करेंगे। यह जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कानपुर प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. अनुपम ने प्रेस वार्ता के माध्यम से दी। डा. अनुपम ने बताया उक्त शिविर की दृष्टि से प्रांत प्रचारक श्रीरामजी का प्रत्येक जिले में प्रवास हो चुका है तथा वर्तमान समय में अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक का जिला स्तर पर प्रवास चल रहा है। सूत्रों के अनुसार उनका कानपुर प्रवास पांच दिनों का होगा। सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि शेष तीन दिन वो व्यक्तिगत लोगों से मिलेंगे और संघ के पदाधिकारियों से चर्चा करेंगे, इसलिए अभी इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।

प्रान्त शीरीरिक प्रमुख ओंकार ने बताया कि संघ में घोष शारीरिक विभाग का एक महत्वपूर्ण अंग है। 1925 में संघ की स्थापना के दो वर्ष बाद ही 1927 में घोष वादन का कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया था। घोष के विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्रों के श्रेष्ठ वादक संघ में है। कानपुर प्रान्त के 21 जिलों में जो पुराने ज्येष्ठ वादक हैं, उनकों भी स्वर संगम घोष शिविर में आमंत्रित किया गया है। शिविर के चारो दिन इन ज्येष्ठ वादकों का मार्ग दर्शन युवा नवीन वादकों को प्राप्त होगा। प्रान्त के घोष प्रमुख संतोष कुमार ने बताया कि प्रान्त के 21 जिलो से जो वादक चयनित होकर आएंगे, उनका प्रदर्शन संघ प्रमुख के समक्ष होगा, जिनकी संख्या लगभग 1500 रहने वाली है, जो कि 17 प्रकार के वाद्ययंत्रों का वादन करेंगे। प्रान्त के सभी जिलों में 25 सितम्बर को संचलन के माध्यम से अंतिम अभ्यास होगा। इस अन्तिम अभ्यास के उपरांत जो वादक चयनित होंगे वह स्वर संगम घोष शिविर में भाग ले सकेंगे।

संतोष कुमार ने कहा प्रदर्शन के साथ-साथ समाज में विलुप्त हो रहे लगभग 70 प्रकार के वाद्ययंत्रों की प्रदर्शनी भी शिविर में लगायी जाएगी। शिविर में एक दिन भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित संगीत के विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम भी होंगे, जैसे लोकगीत, शास्त्रीय संगीत, आल्हा आदि। इस सम्पूर्ण शिविर की व्यवस्था में लगभग 500 कार्यकर्ता लगेंगे।

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