नई दिल्ली (मा.स.स.). केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज केन्द्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पॉल, उत्तराखंड राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ डॉ. आर एस शर्मा की उपस्थिति में दो दिवसीय आरोग्य मंथन 2022 कार्यक्रम का उद्घाटन किया। आरोग्य मंथन आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के 4 साल और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के 1 साल पूरे होने का प्रतीक है।
डॉ. मनसुख मांडविया ने सबसे बड़ी वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा योजना में पीएम-जेएवाई लाभार्थियों को सबसे महत्वपूर्ण हितधारक के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि देश में 33 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 19 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए गए हैं, और 24 करोड़ से अधिक एबीएचए नंबरों का सृजन किया गया है। यह देश में स्वास्थ्य रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रतिदिन 4.5 लाख कार्ड बनाने की वर्तमान दर को बढ़ाकर 10 लाख आयुष्मान कार्ड प्रतिदिन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं को प्रौद्योगिकी द्वारा सक्षम डिलीवरी श्रृंखला के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने पर केन्द्रित है। डॉ. मांडविया ने कहा कि पीएम-जेएवाई देश में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच के मामले में समृद्ध और वंचित वर्गों के बीच की खाई को पाटने में सफल रहा है।
उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य की परस्पर क्रिया से देश में स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में देश के प्रत्येक गांव को हाई स्पीड ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ दिया जाएगा, जिससे सभी तक कनेक्टिविटी और निरंतर स्वास्थ्य पहुंच सुनिश्चित होगी। वैष्णव ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सरकार स्वास्थ्य लाभार्थियों के डेटा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कानूनी ढांचा बना रही है।
डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि देश न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में प्रौद्योगिकी को अपनाने में अग्रणी है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि इसे जमीनी स्तर पर लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए समग्र रूप से काम कर रही है। डॉ. पवार ने पीएम-जेएवाई के 4 साल पूरे होने और एबीडीएम के 1 साल पूरे होने की सराहना की और कहा कि यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि एबीडीएम का देश में स्वास्थ्य ढांचे के डिजिटलीकरण में कई गुना प्रभाव पड़ेगा।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने 2030 तक सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व और आवश्यकता को रेखांकित किया। एनएचए के सीईओ डॉ. आर एस शर्मा ने स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाने की यात्रा में सक्रिय भागीदार होने के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर सभी हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पहुंच, गुणवत्ता और वित्तीय सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य दावा विनिमय (एचसीएक्स), राष्ट्रीय ई-रूपी पोर्टल और डिजिटलीकरण के लिए रूपरेखा सहित कई नई पहल की शुरुआत की। एनएचए, कॉफी टेबल बुक और बेस्ट प्रैक्टिस बुकलेट के लिए वार्षिक रिपोर्ट के डिजिटल संस्करण का भी अनावरण किया गया। ये प्रकाशन pmjay.gov.in पर देखे जा सकते हैं। डॉ. मांडविया ने ‘‘डिजिटल हेल्थ एक्सपो’’ का उद्घाटन किया, जिसमें एनआईसी (ई-हॉस्पिटल और आरोग्य सेतु को प्रदर्शित करते हुए), सी-डैक, कर्नाटक सरकार, विशाखापट्टनम के मेडिकल डिवाइसेज स्टार्ट-अप, एडब्ल्यूएस इंडिया, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स, रिलायंस डिजिटल हेल्थ, हिताची एमजीआरएम, पेटीएम, बजाज फिनसर्व हेल्थ सहित अन्य सरकारी और निजी क्षेत्र से डिजिटल स्वास्थ्य नवोन्मेषकों की उत्साहजनक भागीदारी देखी गई।
आरोग्य मंथन के पहले दिन भारत में स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े विभिन्न विशेषज्ञों तथा अग्रणी व्यक्तियों के साथ-साथ हांगकांग अस्पताल प्राधिकरण, राष्ट्रमंडल डिजिटल स्वास्थ्य केन्द्र, विश्व बैंक, सेंटर फॉर मेडिकेयर एंड मेडिकेड इनोवेशन, अमेरिका की ग्लोबल हेल्थ पेमेंट एलएलसी, मेक्सिको के स्वास्थ्य मंत्रालय, थाईलैंड के मंत्रालय और ऑस्ट्रेलिया की फार्मास्युटिकल लाभ सलाहकार समिति जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों / मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ सूचनात्मक सत्रों का आयोजन किया गया। सत्र के दौरान सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए रोडमैप, डिजिटल स्वास्थ्य में अंतर-पारस्परिकता को बढ़ावा देने, पीएम-जेएवाई की दक्षता बढ़ाने, डिजिटल स्वास्थ्य को अपनाने में वृद्धि, साक्ष्य आधारित पीएम-जेएवाई निर्णयों के लिए स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी आकलन और भारत में डिजिटल स्वास्थ्य के लिए गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित रोचक चर्चाएं की गईं।
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं
https://vyaparapp.in/store/Pustaknama/15
https://www.meesho.com/hindi-paperback-history-books/p/2r4nct