अहमदाबाद (मा.स.स.). केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आज केवड़िया, गुजरात में ‘न्यायालयिक विज्ञान क्षमताएं : समयबद्ध और वैज्ञानिक जांच के लिए सुदृढ़ीकरण’ विषय पर गृह मंत्रालय से सम्बद्ध संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक हुई। बैठक में समिति के दोनों सदनों के सदस्य, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्रा, निशिथ प्रामाणिक और केन्द्रीय गृह सचिव सहित गृह मंत्रालय, एनसीआरबी और राष्ट्रीय फॉरेन्सिक विज्ञान विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में देश में उपलब्ध फोरेंसिक विज्ञान क्षमताओं, विशेष रूप से फोरेंसिक जांच पर आपराधिक न्याय प्रणाली की बढ़ती निर्भरता को ध्यान में रखते हुए, की समीक्षा की गई।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को सबसे अधिक महत्व देती हैऔर अपराध का पता लगाने और रोकथाम के लिए प्रणालियों को मजबूत करने और प्रभावी कानून प्रवर्तन के माध्यम से लोक कल्याण के प्रति कटिबद्ध है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में केंद्रीय गृह मंत्रालय 90% तक दोषसिद्धि दर हासिल करने और देश में एक नागरिक अनुकूल और प्रभावी आपराधिक न्याय प्रणाली प्रदान करने के प्रति कटिबद्ध है।
अमित शाह ने अपराधियों द्वारा प्रौद्योगिकी के उपयोग के मद्देनज़र जांच ऐजेंसियों को उनसे एक कदम आगे रहने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और कहा कि मोदी सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर पुलिस जांच, अभियोजन और फोरेंसिक के क्षेत्र में सुधारों के लिए त्रि-आयामी दृष्टिकोण पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि लक्षित दोषसिद्धि दर हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी आधारित और साक्ष्य आधारित जांच पर ध्यान देने का ये सही समय है।
शाह ने उन्नत जांच तकनीकों के उपयोग में कांस्टेबल से लेकर उच्चस्तरीय पुलिसकर्मियों की क्षमता निर्माण पर ज़ोर दिया। उन्होंने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में प्रस्तावित व्यापक संशोधन के माध्यम से प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में एक स्वतंत्र अभियोजन निदेशालय और एक स्वतंत्र फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय स्थापित किए जाने की बात कही। शाह ने कहा कि मोदी सरकार 6 साल से अधिक कारावास की सजा वाले अपराधों के सभी मामलों में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने समिति के सदस्यों को प्रस्तावित सुधारों को लागू करने के लिए आवश्यक क्षमता निर्माण की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जनशक्ति के प्रशिक्षण के लिए की गई है ताकि उन्हें अपराध, विशेष रूप से साइबर अपराध, डार्क-नेट आदि का मुकाबला करने के लिए नई तकनीक के उपयोग में प्रशिक्षण दिया जा सके। इसके अलावा युवाओं की नई तकनीकों में विशेषज्ञता और नवाचार को आकर्षित करने के लिए हैकाथॉन भी आयोजित किए जा रहे हैं।
फोरेंसिक क्षेत्र के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है और केंद्र सरकार ने राज्यों से प्रत्येक राज्य में कम से कम एक कॉलेज को एनएफएसयू के साथ संबद्ध करने का अनुरोध किया है। शाह ने कहा कि अपराध की रोकथाम के लिए अपराध के पैटर्न की पहचान करने के लिए एक मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो की स्थापना भी की गई है।
अमित शाह ने सदस्यों को बताया कि प्रत्येक जिले में मोबाइल फोरेंसिक विज्ञान इकाइयों की स्थापना सहित देश भर में फोरेंसिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए केन्द्र सरकार धनराशि उपलब्ध करा रही है, और ये इकाई एक जिले में कम से कम तीन ब्लॉकों को सेवा देगी। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले फोरेंसिक परिणामों के लिए देश के सभी एफएसएल में फोरेंसिक उपकरणों, उपकरण अंशांकन (कैलिब्रेशन), मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को मानकीकृत करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं।
समिति के सदस्यों ने सलाहकार समिति की बैठक में ‘फॉरेन्सिक विज्ञान’ जैसे महत्वपूर्ण विषय को उठाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री को धन्यवाद दिया और अपने सुझाव दिए। समिति की बैठक में एन के प्रेमचंद्रन, कुंवर दानिश अली, प्रोफ़ेसर (डॉ.) राम शंकर कठेरिया, सी एम रमेश, राजेन्द्र अग्रवाल, लॉकेट चटर्जी, विजय कुमार हंसदक, नीरज शेखर, पी पी चौधरी, के सी राममूर्ति, नबा (हीरा) कुमार सरानिया, के रविन्द्र कुमार और के जी माधव ने भाग लिया।