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नये भारत में सामाजिक भेदभाव और विघटनकारी रुझानों की कोई जगह नहीं : पीयूष गोयल

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हैदराबाद (मा.स.स.). केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने भारत के व्यापार समुदाय से आग्रह किया है कि वह भारत में बने उत्पादों को प्रधानता दे। वे हैदराबाद में ऑल इंडिया वैश्य फेडरेशन (एआईवाईएफ) को सम्बोधित कर रहे थे। गोयल ने भारत में उद्योग और निर्माण-कार्य को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि इससे रोजगार बढ़ेगा और हमारे नागरिकों के जीवन में समृद्धता आयेगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यात्रियों और पर्यटकों का आह्वान किया था कि वे अपने यात्रा बजट का कम से कम पांच प्रतिशत स्थानीय उत्पादों को खरीदने में व्यय करें। गोयल ने प्रधानमंत्री के इस आह्वान का स्वागत करते हुये कहा हमारे प्रतिभाशाली शिल्पकार, दस्तकार और उद्यमी समर्थन तथा प्रोत्साहन के हकदार हैं।

पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 11.8 गुना बढ़ा था। उन्होंने कहा कि उस समय आबादी का बड़ा वर्ग जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में ही लगा रहता था, जैसे रोटी, कपड़ा और मकान। उन्होंने कहा कि ढांचागत सुधारों पर सरकार की विस्तृत नजर के कारण हालात में जबरदस्त बदलाव आया है। इससे लोगों को जीवन की जरूरतों के लिये लगातार संघर्ष करने से मुक्ति मिल गई है। गोयल ने कहा कि सुधार उन्हें बहुत प्रिय हैं। सरकार ने 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाकर, साफ-सफाई को बढ़ावा देकर लोगों तथा हर घर की बहुत बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा, “बात तो महज़ शौचालय की थी, लेकिन इसने सभी के और खासतौर से महिलाओं के आत्म-सम्मान के भाव को बनाये रखा।”

गोयल ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत लगभग 80 करोड़ नागरिकों को खाद्यान्न आपूर्ति करके खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया है। इसके अलावा हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अतिरिक्त खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि करदाताओं के लिये यह संतोष का विषय होना चाहिये कि उनका धन जरूरतमंद लोगों की मदद करने में लगाया जा रहा है। गोयल ने कहा कि 50 करोड़ लोगों को अब मुफ्त, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है तथा जल जीवन मिशन के तहत हर घर में नल से पानी पहुंचाया जा रहा है। गोयल ने इन सभी पहलों का उल्लेख करते हुये कहा कि ऐसे बुनियादी कामों से हमारी आबादी, खासतौर से हमारे युवाओं के लिये यह सुनिश्चित कर दिया गया है कि वे विकास तथा प्रगति को बढ़ाने वाला हर काम करने के लिये मुक्त हैं; इस तरह हमारे यहां मौजूद विविधता की पूरी क्षमता का उपयोग होगा। उन्होंने कहा, “हमारे युवा अब जरूरतों के लिये संघर्ष करने से आजाद हो चुके हैं और वे बहुत आकांक्षी हैं। वे नवोन्मेषक और उद्यमी बनना चाहते हैं तथा देश के विकास में योगदान करना चाहते हैं।”

उन्होंने महिलाओं की बुनियादी जरूरतें पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया, खासतौर से रजोधर्म-स्वास्थ्य के क्षेत्र में। किशोरावस्था में पहुंची लड़कियों द्वारा स्कूल बीच में छोड़ देने पर चिंता व्यक्त करते हुये गोयल ने कहा कि सरकार बहुत कम कीमत पर सेनेटरी पैड उपलब्ध करा रही है। उन्होंने और अधिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर बल दिया, ताकि रजोधर्म-स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर महिलाओं को शिक्षित किया जाये ताकि वे सुरक्षित हों। गोयल ने एआईवीएफ से कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि अगले एक वर्ष में देश की एक-एक महिला जागरूक बने और सेनेटरी पैड तक उसकी पहुंच हो जाये। गोयल ने जोर देते हुये कहा कि भारत विकसित राष्ट्र, विश्वगुरु बनने की दिशा में निर्णायक कदम उठाने के लिये तैयार है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत की विशाल युवा आबादी इस प्रयास को आगे ले जाने में समर्थ है। उन्होंने कहा, “विश्व में अकेला भारत आशा की किरण है। पूरी दुनिया भारत की तरफ आशा से देख रही है।” उन्होंने कहा कि विकसित राष्ट्र अब भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के आकांक्षी हैं; इस संदर्भ में सबसे तेज एफटीए सिर्फ 88 दिनों में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच सम्पन्न हुआ। उन्होंने कहा कि शेष जीसीसी राष्ट्र भी भारत के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर करने के लिये तैयारी कर रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी जड़ों की तरफ लौटने पर बल देते हैं; ऐसा इसलिये है कि भारत के इतिहास, उसकी संस्कृति, परंपराओं और मूल्य प्रणालियों में बहुत शक्ति है। उन्होंने सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान किया और कहा कि नये भारत में विघटनकारी रुझानों की कोई जगह नहीं है। गोयल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रतिपादित ‘पंच प्रण’ का उल्लेख किया और कहा कि एकता और एकात्म का प्रण, पंच प्रण का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि अगर भारत वाकई अपनी अपार क्षमता का इस्तेमाल करना चाहता है, तो यह बहुत जरूरी है कि एक राष्ट्र के रूप में हम एकता तथा एकात्म की भावना के साथ काम करें। गोयल ने भरोसा जताया कि अगर हम एक राष्ट्र के रूप में मिलकर काम करेंगे, तो हमारे बच्चे राजाओं, निजामों और उपनिवेशवाद के शाही दिनों के बजाय अपनी इतिहास की पुस्तकों में हमारे प्रयासों, हमारी चेष्टाओं से सीखेंगे।

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