नई दिल्ली (मा.स.स.). सरकार की तरफ से निरंतर नीतिगत पहलों और रक्षा उद्योग के अभूतपूर्व योगदान के माध्यम से भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में रक्षा निर्यात में अहम उपलब्धि हासिल की है। इस वित्त वर्ष में निर्यात अपने लगभग 16,000 करोड़ रुपये के अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 3,000 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह 2016-17 के बाद से 10 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। इसका विवरण नीचे दिया गया हैः
वित्त वर्ष | कुल निर्यात मूल्य
(करोड़ रुपये में) |
2016-17 | 1,521 |
2017-18 | 4,682 |
2018-19 | 10,745 |
2019-20 | 9,115 |
2020-21 | 8,434 |
2021-22 | 12,814 |
2022-23 | 15,920 |
भारत फिलहाल 85 से ज्यादा देशों को निर्यात कर रहा है। भारतीय उद्योग ने वर्तमान में रक्षा उत्पादों का निर्यात करने वाली 100 कंपनियों के साथ डिजाइन और विकास की अपनी क्षमता दुनिया को दिखाई है। बढ़ता रक्षा निर्यात और एयरो इंडिया 2023 में 104 देशों की भागीदारी भारत की बढ़ती रक्षा निर्माण क्षमताओं का प्रमाण है। एक ट्वीट में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस उपलब्धि का भारत की प्रतिभा और ‘मेक इन इंडिया’ के प्रति उत्साह की स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में वर्णन किया है। उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि पिछले पांच साल के दौरान इस क्षेत्र में हुए सुधारों के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। हमारी सरकार भारत को रक्षा उत्पादन का एक हब बनाने के लिए अपना समर्थन देने के प्रयास जारी रखेगी।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रिकॉर्ड रक्षा निर्यात को देश की एक उल्लेखनीय उपलब्धि बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणादायी नेतृत्व में रक्षा निर्यात आगे भी इसी तरह बढ़ता रहेगा।” लगभग आठ साल पहले तक एक आयातक के तौर पर पहचाना जाने वाला भारत, आज ड्रोनियर-228, 155 एमएम एडवांस्ड टोड आर्टिनरी गन्स (एटीएजी), ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम्स, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, एम्युनिशन, थर्मल इमेजर, बॉडी आर्मर, सिस्टम, लाइन रिप्लेसिएबिल यूनिट्स और एवियॉनिक्स और स्मॉल आर्म्स के भाग और घटकों जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स का निर्यात करता है। दुनिया में एलसीए-तेजस, लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर, एयरक्राफ्ट कैरियर, एमआरओ गतिवधियों की मांग बढ़ रही है।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने पिछले 5-6 वर्षों के दौरान कई नीतिगत पहल की हैं और सुधार किए हैं। पूरी तरह से ऑनलाइन निर्यात की व्यवस्था के साथ देरी को कम करने और कारोबारी सुगमता के साथ निर्यात प्रक्रियाओं को सरल और उद्योग के अनुकूल बना दिया गया है। सरकार ने प्रौद्योगिकी/ बड़े प्लेटफॉर्म्स और और उपकरणों के अंगों और घटकों के निर्यात/ हस्तांतरण के लिए तीन ओपन जनरल एक्सपोर्ट लाइसेंग (ओजीईएल) अधिसूचित किए हैं। ओजीईएल एक बार में दिया जाने वाला निर्यात लाइसेंस है, जो ओजीईएल की वैधता के दौरान निर्यात अधिकार की मांग किए बिना ओजीईएल में उल्लिखित विशिष्ट वस्तुओं में से निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्यात करने की अनुमति देता है।
विभिन्न देशों से प्राप्त निर्यात के अनुरोधों को वास्तविक समय के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से पंजीकृत भारतीय रक्षा निर्यातकों तक पहुंचाया जाता है, ताकि वे निर्यात अवसरों पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो सकें। भारतीय रक्षा उत्पादों को बढ़ावा देने और भारतीय उद्योग को सहूलियत प्रदान करने के लिए विदेश में स्थित भारतीय मिशनों के साथ नियमित समीक्षा की जाती है। उद्योग संघों की भागीदारी के तहत मित्रवत देशों (एफएफसी) के साथ 40 से अधिक वेबिनार आयोजित की गईं।
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