लखनऊ. सपा नेता आजम खान के कार्यालय (दारूल आवाम) और रामपुर पब्लिक स्कूल (आरपीएस) की जमीन योगी सरकार ने वापस लेने का आदेश जारी कर दिया है। इसका पत्र रामपुर के जिलाधिकारी कार्यालय को मिल चुका है। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया रामपुर पब्लिक स्कूल और दारुल आवाम को खाली करने के लिए पांच अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है।
इसमें मुख्य विकास अधिकारी नंदकिशोर कलाल, एसडीएम सदर जगमोहन गुप्ता, एएसपी डॉ. संसार सिंह व जिला विद्यालय निरीक्षक मुन्ने अली को शामिल किया गया है। यह कमेटी भवन संचालक को नोटिस जारी करेगी। इसके बाद शासन के आदेश के तहत आजम खान के कब्जे वाली सरकारी जमीन को जल्द वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
दो दिन पहले योगी कैबिनेट ने आजम खान के जौहर ट्रस्ट की जमीन की लीज खत्म कर दी थी। गुरुवार को इसका पत्र डीएम कार्यालय को प्राप्त हो चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में सपा सरकार के कद्दावर मंत्री आजम खान द्वारां स्थापित मौलाना मोहम्मद जौहर ट्रस्ट को माध्यमिक शिक्षा विभाग की लीज पर दी गई मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के भवन व भूमि को वापस लेने का फैसला किया गया।
सरकारी जमीन को मात्र 100 रुपये सालाना किराए पर आजम के ट्रस्ट को दे दिया था। सरकार के इस फैसले के बाद आजम खान को बड़ा झटका लगा है। पत्र के अनुसार जौहर ट्रस्ट ने 30 वर्षों के लिए सरकार से लीज पर मिली जमीन की शर्तों का पालन नहीं किया। जौहर ट्रस्ट को दी गई भूमि से संबंधित पट्टा विलेख की शर्तों के उल्लंघन के संबंध में जिलाधिकारी रामपुर ने चार सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। समिति ने जांच के बाद शासन को आख्या भेजी थी। इस पर विचार के बाद भूमि और भवन को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। 41181 वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली इस भूमि का स्वामित्व राज्य सरकार (माध्यमिक शिक्षा विभाग) में निहित किया गया है।
बता दें कि 2007 में सपा शासनकाल में रामपुर के मुर्तजा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में स्थापित जिला विद्यालय निरीक्षक व बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को पट्टे पर दे दिया था। इसके लिए 100 रुपये वार्षिक प्रीमियम की दर निर्धारित की गई थी। ट्रस्ट ने पट्टे की शर्त का उल्लंघन करते हुए यहां पर पार्टी का कार्यालय खोल दिया था। इस जमीन की कीमत सर्किल रेट के हिसाब से 10 करोड़ व बाजार दाम के अनुसार 100 करोड़ से ज्यादा है।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं