लखनऊ. वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि जब साल में एक बार श्रृंगार गौरी की पूजा करने से मस्जिद के चरित्र को कोई खतरा नहीं है, तो रोजाना पूजा करने से मस्जिद के चरित्र को कैसे खतरा हो सकता है। बता दें कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने ये टिप्पणी की।
श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि मां श्रृंगार गौरी की पूजा के अधिकार को लागू करने के लिए कहना एक ऐसा काम नहीं है, जो ज्ञानवापी मस्जिद के चरित्र को मंदिर में बदल देता है। यानी मंदिर में रोजाना पूजा करने मस्जिद के चरित्र को कोई खतरा नहीं है। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस जेजे मुनीर ने अपने 65 पन्नों के आदेश में कहा है कि वर्ष 1990 तक मां श्रंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा होती थी। लेकिन कुछ वर्षों बात साल में सिर्फ एक बार ही पूजा की अनुमति दी गई। कोर्ट ने कहा है कि नियमित पूजा की व्यवस्था कानून से संबंधित नहीं है। यह साफ तौर पर प्रशासन स्तर का मामला है। हाईकोर्ट ने इस मामले में वाराणसी जिला कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है।
बता दें कि हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा की अर्जी लगाई थी। इस पर अर्जी पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी। वाराणसी कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया। इसके बाद अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया गया। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इस आपत्ति को खारिज कर दिया है।
साभार : न्यूज़24
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं