लंदन. कनाडा के बाद लंदन में खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया। खालिस्तानी एक बार फिर भारतीय उच्चायोग के बाहर इकट्ठा हुए थे। विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने ब्रिटिश सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी में भारत विरोधी तख्तियां लहराईं और नारे लगाए। लेकिन इस बार भी इन्होंने कुछ ऐसा किया जिससे आपका खून खौल जाएगा। इन खालिस्तानियों ने भारत के तिरंगे पर गोमूत्र फेंक दिया। लेकिन इसी समय एक भारतीय युवक ने तिरंगे को उठाया और उसकी लाज बचा ली। लंदन में यह ताजा प्रदर्शन ऐसे समय में हुआ है जब हाल ही में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में भारतीय राजनयिक को गुरुद्वारे के अंदर दाखिल होने से रोका गया था। इस साल मार्च में भी भारतीय दूतावास पर इसी तरह से खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया था।
भारत को दी धमकी
गांधी जयंती के मौके पर खालिस्तानियों ने उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन परमजीत सिंह पम्मा के नेतृत्व में हो रहा था। प्रदर्शन में शामिल दल खालसा यूके के सिख शामिल हुए थे। इसी संगठन के मुखिया गुरुचरण सिंह ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे पर गोमूत्र फेंक दिया। उन्होंने इसके साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से भी यही गोमूत्र पीने के लिए कहा। प्रदर्शन के दौरान पम्मान ने भारत को चुनौती दी और निज्जर की हत्या का बदला लेने के लिए धमकाया भी। दल खालसा, गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) से ही जुड़ा संगठन है। पम्मा खालिस्तान टाइगर फोर्स का हिस्सा है और वह भी एनआईए की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है।
मार्च में भी तिरंगे का अपमान
खालिस्तानियों ने मार्च में भी इसी तरह से उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया था। उस समय अवतार सिंह खांडा ने तिरंगे को निकालकर फेंक दिया था। साथ ही वहां पर खालिस्तान का झंडा लगा दिया था। लंदन में नए प्रदर्शन के बाद से उच्चायोग पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। करीब चार दिन पहले ही यूके में भारतीय उच्चायुक्त, विक्रम दोरवाईस्वामी को खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा ग्लासगो शहर में एक गुरुद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। इस घटना को भारतीय मिशन ने यूके सरकार को रिपोर्ट करने से पहले ‘अपमानजनक’ करार दिया था।
खालिस्तानी हो जाएंगे बेकाबू
खालिस्तान को लेकर यूके की सरकार के पूर्व सलाहकार की तरफ से बड़ी चेतावनी दी गई। चरमपंथ की घटनाओं में हुए इजाफे पर कॉलिन ब्लूम चिंता जताई हे। उन्होंने ने कहा कि स्थिति इसलिए बिगड़ गई है क्योंकि ‘पश्चिमी सरकारों’ ने खालिस्तानियों के डरावने और आक्रामक व्यवहार से निपटने के लिए जरूरी एक्शन ही नहीं लिया है। ब्लूम ने इस बात पर जोर दिया कि ब्रिटेन और कनाडा, दोनों सरकारों को इस मुद्दे के समाधान के लिए अधिक सक्रिय कदम उठाने चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समस्या का समाधान नहीं किया गया तो स्थिति ‘नियंत्रण से बाहर’ हो सकती है।
साभार : नवभारत टाइम्स
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