नई दिल्ली (मा.स.स.). सरकार ने अगले पांच वर्षों यानि, वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक, सालाना 50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां आमंत्रित करने का फैसला किया है। आईएसटीएस (अंतर-राज्य पारेषण ट्रांसमिशन) से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की इन वार्षिक बोलियों में प्रति वर्ष कम से कम 10 गीगावॉट की पवन ऊर्जा क्षमता की स्थापना भी शामिल होगी। केंद्रीय बिजली और एनआरई मंत्री आर.के. सिंह की अध्यक्षता में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की पिछले सप्ताह हुई बैठक में इस योजना को अंतिम रूप दिया गया, जो कॉप26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन (नवीकरणीय ऊर्जा + परमाणु) स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने की बात कही थी।
वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 168.96 गीगावॉट (28 फरवरी 2023 तक) है, जिसमें लगभग 82 गीगावॉट कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं, जबकि लगभग 41 गीगावॉट निविदा चरण के तहत है। इसमें 64.38 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 51.79 गीगावॉट पन-बिजली ऊर्जा, 42.02 गीगावॉट पवन ऊर्जा और 10.77 गीगावॉट जैविक-ऊर्जा शामिल हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं को चालू होने में लगभग 18-24 महीने लगते हैं, बोली योजना से 250 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि होगी और 2030 तक 500 गीगावॉट की स्थापित क्षमता सुनिश्चित होगी। विद्युत मंत्रालय गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट बिजली के लिए पारेषण प्रणाली की क्षमता के उन्नयन और जोड़ने पर पहले से ही काम कर रहा है।
बैठक के दौरान केंद्रीय ऊर्जा और एनआरई मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा अल्पकालिक और दीर्घकालिक आरई क्षमता वृद्धि की घोषणा, 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा ऊर्जा स्रोतों में तेजी से बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सिंह ने कहा, “भारत ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में से एक के रूप में उभरा है और यह उस विकास से स्पष्ट है, जो हमने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हासिल किया है। हम 2030 तक 500 गीगावॉट का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बोली प्रक्रिया इस दिशा में एक और प्रोत्साहन का कार्य करेगी। संरचना युक्त बोली प्रक्रिया आरई डेवलपर्स को अपने वित्त की योजना बनाने, अपनी व्यावसायिक योजनाओं को विकसित करने और आपूर्ति श्रृंखला को अधिक कुशलता से प्रबंधित करने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करेगी। यह उद्योग जगत के लिए इस क्षेत्र में निवेश करने का एक सुनहरा अवसर है।“
बी. एस. भल्ला, सचिव, एमएनआरई ने कहा कि बोली प्रक्रिया वितरण कंपनियों सहित बिजली खरीददारों को अपनी आरई खरीद योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम बनाएगी। एमएनआरई सचिव ने कहा, “बोली प्रक्रिया, उपकरणों के लिए पैदा होने वाली मांग के जरिये देश में आरई विनिर्माण उद्योग को भी बढ़ावा देगी।” इसके अलावा, मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बोलियों की तिमाही योजना की घोषणा की है, जिसमें वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही (क्रमशः, अप्रैल-जून 2023 और जुलाई-सितंबर 2023) में से प्रत्येक में कम से कम 15 गीगावॉट और वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही (क्रमशः अक्टूबर-दिसंबर 2023 और जनवरी-मार्च 2024) में कम से कम 10 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां शामिल हैं।
यह क्षमता वृद्धि, उन आरई क्षमताओं के अतिरिक्त है, जो मंत्रालय की रूफटॉप सोलर और पीएम-कुसुम जैसी योजनाओं के तहत आएगी, जिसके अंतर्गत बोलियां विभिन्न राज्यों द्वारा सीधे जारी की जातीं हैं और इनमें वे क्षमताएं भी शामिल हैं जो खुली पहुँच (ओपन एक्सेस) नियमों के तहत आ सकती हैं। वर्तमान में, सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई), एनटीपीसी लिमिटेड और एनएचपीसी लिमिटेड को ऐसी बोलियों को आमंत्रित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) के रूप में अधिसूचित किया है। यह निर्णय लिया गया है कि एसजेवीएन लिमिटेड, जो भारत सरकार के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, को आरईआईए के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लक्षित बोली क्षमता चार आरईआईए के बीच आवंटित की जाएगी। आरईआईए को सौर, पवन, सौर-पवन हाइब्रिड, आरटीसी आरई पावर, आदि – सभी भंडारण के साथ या बिना – के लिए बोलियां जारी करने की अनुमति होगी, जो आरई बाजार के उनके आकलन के अनुसार या सरकार के निर्देशों के अनुसार होंगी।
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