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पाकिस्तान का फैसला अमानवीय, संयुक्त राष्ट्र करे हस्तक्षेप : अफगानिस्तान

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काबुल. पाकिस्तान ने अवैध रूप से रह रहे अफगान अप्रवासियों को 1 नवंबर तक देश छोड़ने का आदेश दिया है। इनकी संख्या 11 लाख के आसपास बताई जा रही है। पाकिस्तान का दावा है कि अफगान नागरिक उनके देश में घटित आतंकवादी घटनाओं में लिप्त हैं। वहीं, तालिबान ने इस दावे का खंडन किया है और पाकिस्तान के फैसले की आलोचना की है। एक दिन पहले ही तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अफगान नागरिकों को देश निकाला देने पर पाकिस्तान को जमकर खरीखोटी सुनाई थी। अब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे और अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने पाकिस्तान की आलोचना की है। उन्होंने पाकिस्तान के फैसले को अमानवीय, अनुचित और बर्बर करार दिया है। याकूब ने संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने की मांग की है।

अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुजाहिद ने काबुल में पुलिस अकादमी के 14वें स्नातक समारोह को संबोधित करते हुए अफगान शरणार्थियों के निष्कासन के संबंध में पाकिस्तान के फैसले को अमानवीय, अनुचित और बर्बर” करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला अफगानिस्तान और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों को कठिन और खराब बना देगा। अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान के लोगों, धार्मिक विद्वानों और प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से आगे आकर इसे रोकने का आह्वान किया।

याकूब ने यूएन से हस्तक्षेप की मांग की

उन्होंने कहा कि मैं संयुक्त राष्ट्र से पाकिस्तान को इस क्रूरता से रोकने और मानवाधिकार सुनिश्चित करने का आह्वान करता हूं।’ मुजाहिद ने पाकिस्तान में निवेश करने वाले अफगानी व्यापारियों से भी आग्रह किया कि वे अपना निवेश अफगानिस्तान में स्थानांतरित कर दें। आपके व्यवसाय उन्हें (पाकिस्तान) लाभान्वित करते हैं, इस लाभ को अपने (अपने) देश में लाएं।

पाकिस्तान ने अफगानों के निष्कासन पर दी सफाई

तालिबान के कड़े रुख के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अफगान नागरिकों के निष्कासन पर सफाई दी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलोच ने कहा कि देश में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ चल रहा अभियान किसी विशेष देश के नागरिकों को टारगेट करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चल रही कार्रवाई में उन व्यक्तियों को वापस भेजा जाएगा, जो या तो अपने वीजा से अधिक समय तक रुके हैं या उनके पास देश में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन का उन 14 लाख अफगान शरणार्थियों से कोई लेना-देना नहीं है, जिनकी पाकिस्तान अपनी सीमित आर्थिक स्थिति के बावजूद दशकों से मेजबानी कर रहा है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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