जम्मू. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर आज सदन में चर्चा हुई. इस चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विपक्षी दलों पर निशाना साधा और बताया कि 2019 में धारा 370 को खत्म करने के बाद से लेकर अब तक राज्य में क्या कुछ बदला है. उन्होंने कहा कि पुनर्गठन को लेकर किसी ने कहा कि पहले से हो रहा था किसी ने कहा कि सिर्फ नाम बदल रहा है. मैं कहना चाहता हूं कि अगर पिछड़े वर्ग के लोगों के प्रति जरा भी संवेदना है तो उनके नाम के साथ सम्मान जुड़ा है. और ये सम्मान वही लोग देख पाते हैं जो उन्हें अपने से पीछे रह गए भाई समझते हैं. जो उन्हें ऊंगली पकड़ आगे लाना चाहते हैं. वो नहीं समझ सकते हैं जो इन्हें सिर्फ वोट बैंक समझते हैं. मोदी जी ऐसे नेता हैं जो खुद एक गरीब से गरीब घर में पैदा होकर देश के पीएम बने हैं. वो पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं.
अमित शाह ने आगे कहा कि मैंने बीते कुछ दिनों में ढेर सारे सदस्यों के भाषण सुने हैं. ये भाव सिर्फ नाम बदलने से क्या होता ये समझाने के लिए मैं यह कह रहा हूं. मैं ये जो बिल लेकर आया हूं इसकी पृष्टिभूमि भी जानना जरूरी है. जम्मू-कश्मीर के विलय से लेकर अब तक कई उतार चढ़ाव देख चुके है ये राज्य. 80 के दशक में जब कश्मिरी पंडितों के साथ अत्यार हुए उन्हें बेघर किया गया तो कोई मदद के लिए सामने नहीं आया. उस समय की सरकारें अगर पहले आतंकवाद को खत्म करते तो इन लोगों को प्रदेश छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती. जब ये लोग विस्थापित हुए तो उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में जाना पड़ा. एक लाख से ज्यादा लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए. ऐसे विस्थापित हुए कि उनकी जड़े ही अपने क्षेत्र अपने राज्य से उखड़ गए. ये बिल इन लोगों को आधार देने का है.
साभार : एनडीटीवी
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