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शरद पवार अपना उत्तराधिकारी देने में विफल रहे : सामना

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मुंबई. महाराष्ट्र में राकांपा के नेतृत्व को लेकर जारी घमासान भले ही थम गया हो, पर इसका राज्य की राजनीति पर जबरदस्त असर पड़ा है। दरअसल, शरद पवार की ओर से पार्टी के अगले अध्यक्ष का एलान न किए जाने और अपना इस्तीफा वापस लेने के फैसले को लेकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने तंज कसा था। अब इसे लेकर खुद शरद पवार ने बयान दिया है और उद्धव शिवसेना को आड़े हाथों लिया है।

क्या था उद्धव शिवसेना का पवार पर तंज?
उद्धव शिवसेना ने कहा था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को आगे ले जाने के लिए शरद पवार एक राजनीतिक उत्तराधिकारी खड़ा करने में विफल रहे। उद्धव शिवसेना के मुखपत्र सामना में यह भी कहा गया था कि शरद पवार के बाद राकांपा का नया अध्यक्ष चुनने के लिए जो बड़ी कमेटी बनाई गई थी, उसके ही कई सदस्य वह थे जो सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने के लिए बेताब थे। लेकिन इन सदस्यों को पवार को ही आगे अध्यक्ष बने रहने के लिए कहना पड़ा, क्योंकि उन पर राकांपा के काडरों की ओर से दबाव बना हुआ था।

शरद पवार क्या बोले?
सामना में छपे इस लेख पर पवार ने प्रतिक्रिया दी। सतारा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि वे और उनके पार्टी नेता दूसरे क्या कहते हैं, इस पर ध्यान नहीं देते और न ही ऐसे लेखों (सामना के लेख) को अहमियत देते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं। सतारा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान पवार ने कहा कि राकांपा में सभी को पता है कि पार्टी को कैसे आगे ले जाना है और उन्हें यह भी मालूम है कि पार्टी का नया नेतृत्व कैसे खड़ा करना है।

सामना के लेख को लेकर हुए सवाल पर पवार ने कहा कि हम ऐसे लेख को कोई अहमियत नहीं देते। यह लिखना उनका नजरिया है, लेकिन हम इसे नजरअंदाज करते हैं। हमें पता है हम क्या कर रहे हैं और उससे संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि 1999 में कांग्रेस और राकांपा सत्ता में आए थे और तब  राकांपा से कैबिनेट में जयंत पाटिल, अजित पवार, दिलीप वल्से पाटिल और आरआर पाटिल को जगह मिली थी। मैंने राजनीतिक करियर की शुरुआत में राज्यमंत्री के तौर पर शुरुआत की और मुझे बाद में प्रमोशन मिला। लेकिन 1999 में ही मैंने इन नेताओं को कैबिनेट मंत्री बना दिया और पूरे महाराष्ट्र ने इनका काम देखा।

साभार : अमर उजाला

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