नई दिल्ली. स्वीडन में पवित्र कुरान जलाने की घटना के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पाकिस्तान एक प्रस्ताव लाया था। धार्मिक घृणा से जुड़े इस ड्राफ्ट प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। भारत ने भी पाकिस्तान के इस प्रस्ताव का समर्थन किया। पिछले महीने स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में एक शख्स ने मस्जिद के सामने पवित्र कुरान का अपमान किया था। सभी इस्लामिक देशों के साथ यूरोपीय संघ, पोप फ्रांसिस और खुद स्वीडन की सरकार ने इस घटना की निंदा की थी।
UNHRC की ओर से ट्वीट कि गया, ‘मसौदा प्रस्ताव L.23 को एक बार पेश किए जाने के बाद मौखिक रूप से संशोधित किया गया था। इसका शीर्षक ‘भेदभाव, शत्रुता या हिंसा को बढ़ावा देने वाली धार्मिक घृणा का मुकाबला करना’ है।’ 57 देशों के संगठन OIC की ओर से पाकिस्तान ने मसौदा प्रस्ताव पेश किया था जिसमें कुछ यूरोपीय और अन्य देशों में पवित्र कुरान को सार्वजनिक रूप से बार-बार जाने की घटनाओं की निंदा की गई थी।
12 देशों ने प्रस्ताव का किया विरोध
UNHRC में कुल 47 सदस्य हैं। OIC के सिर्फ 19 देश इसमें हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी देशों के कुछ राजनयिकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। चीन ने इस प्रस्ताव पर पाकिस्तान का समर्थन किया। अमेरिका, यूके, फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, रोमानिया, लिथुआनिया, कोस्टा रीका और फिनलैंड समेत 12 देशों ने प्रस्ताव का विरोध किया। नेपाल समेत सात देशों ने इस पर मतदान से परहेज किया। कुल 28 देशों ने इसका समर्थन किया है।
पाकिस्तानी अखबार डॉन ने प्रस्ताव पास होने को पश्चिमी देशों के लिए एक बड़ी हार करार दिया। इसके साथ ही लिखा कि UNHRC में OIC का दबदबा है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि मिशेल टेलर ने कहा कि इस पहल के बारे में US की चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया गया। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि एक खुली चर्चा और थोड़ा समय देने के बाद हम इस प्रस्ताव पर एक साथ आगे बढ़ने का रास्ता ढूंढ सकते थे।’
साभार : नवभारत टाइम्स
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