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राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों पर लगा प्रतिबंध, प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस का एक्शन

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जयपुर. राजस्थान में इस साल होने वाले छात्रसंघ चुनाव अब नहीं होंगे। देर रात उच्च शिक्षा विभाग की अहम बैठक में यह फैसला किया गया। सरकार के इस फैसले के कुछ ही देर बाद प्रदेशभर में विरोध का सिलसिला भी शुरू हो गया है। राजधानी जयपुर में छात्र नेताओं ने कहा कि अगर सरकार ने जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार कर छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान नहीं किया तो प्रदेशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी।

स्टूडेंट्स के प्रदर्शन की चेतावनी को देखते हुए राजस्थान यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश की दूसरी यूनिवर्सिटीज बड़ी सुख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। रविवार सुबह राजस्थान यूनविर्सिटी के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे स्टूडेंट्स को पुलिस ने हिरासत में लिया। दरअसल, छात्रसंघ चुनाव को लेकर उच्च शिक्षा विभाग की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने के साथ ही यूनिवर्सिटी में चल रही एडमिशन और रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने की बात कही, जिस पर सर्वसम्मति से इस साल चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया।

इधर, छात्रसंघ चुनाव रद्द करने के खिलाफ आज सुबह 11:30 बजे राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्र नेता प्रदर्शन करने वाले थे। पुलिस ने विरोध प्रदर्शन से पहले ही छात्र नेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। सुबह 10:30 बजे से ही यूनिवर्सिटी में पहुंचने वाले छात्र नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लेना शुरू कर दिया। पुलिस अब तक 30 से ज्यादा स्टूडेंट्स को हिरासत में ले चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा वाहन जब्त किए हैं।छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर 6 सदस्यों का डेलिगेशन, जिसमें छात्र नेता महेश चौधरी, हितेश यादव, डॉ. रामसिंह सामोता, डॉ. महेन्द्र जाट, मोहित गुर्जर, नीरज खीचड़ ने मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचकर बात की। छात्र नेता महेश चौधरी ने बताया कि उनको शाम को मुख्यमंत्री से मिलने का आश्वासन दिया है। अगर मुख्यमंत्री से बात नहीं हुई और फिर से छात्र संघ चुनाव करवाने की घोषणा नहीं की गई तो कल से पूरे प्रदेश में उग्र आंदोलन होगा। प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर इसकी जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी।

लाठी के दम पर युवाओं की आवाज दबाने का प्रयास
RLP के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जयपुर में छात्रसंघ के चुनाव करवाने की मांग को लेकर आंदोलित छात्र नेताओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लेने की जानकारी मिली थी। इसके बाद मैंने जयपुर पुलिस कमिश्नर से बात कर छात्र नेताओं को रिहा करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को अपनी बात रखने का हक है। सरकार लाठी के दम पर युवाओं की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव नही करवाने का निर्णय पूर्ण रूप से गलत है। छात्रसंघ चुनाव से युवाओं को राजनीति में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त होता है, लेकिन राजस्थान की हठधर्मी सरकार किसी को आगे बढ़ते हुए देखना शायद पसंद नहीं कर रही है। राजस्थान की सरकार प्रदेश में बढ़ते तीसरे मोर्चे के प्रभाव, छात्र संघ चुनावों में भी थर्ड फ्रंट के बढ़ते बोलबाले से घबरा गई है। ऐसे में इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना निर्णय सरकार द्वारा लिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के स्तर से यदि जल्द ही छात्र संघ चुनाव को करवाने का निर्णय नहीं लिया गया, तो RLP प्रदेश भर में आंदोलन करेगी।

NSUI की संभावित हार से बचने के लिए चुनाव पर लगाई रोक
राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी होते हैं। पिछले छात्रसंघ चुनाव में कांग्रेस का छात्र संगठन एनएसयूआई का एक भी प्रत्याशी किसी यूनिवर्सिटी में नहीं जीता था। इस बार भी यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में एनएसयूआई की मिट्टी पलीत होने और संभावित हार से बचने के लिए तानाशाही सरकार ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के उल्लंघन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होने का हवाला देने वाली सरकार की मंशा चुनाव कराने की नहीं है, क्योंकि चुनावी साल में सरकार भली भांति समझ गई है कि राज्य का युवा छात्र संगठन एनएसयूआई को वोट नहीं देगा, इसलिए चुनाव ही नहीं करवाए जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में न्यूनतम 180 दिन अध्यापन कार्य करवाना भी चुनौतीपूर्ण हो रहा है तो राज्य की शैक्षणिक स्थिति की दुर्दशा का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है।

कुलपतियों का तर्क- धनबल-बाहुबल का उपयोग किया जा रहा
उच्च शिक्षा विभाग ने आदेश में कहा- विवि के कुलपतियों ने यह स्पष्ट किया है कि छात्रसंघ चुनावों में धनबल और बाहुबल का खुलकर उपयोग किया जा रहा है और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन किया जा रहा है। यदि चुनाव कराए जाते हैं तो पढ़ाई प्रभावित होगी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं हो पाएगा, इसलिए छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है। छात्र नेता मनु दाधीच ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव टालने के फैसले के बाद राजस्थान कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई हैं, जिस राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 का हवाला देकर सरकार छात्रसंघ चुनाव नहीं करने का फैसला किया गया है, वह 2020 से अब तक लागू हो जानी चाहिए थी, लेकिन सरकार और यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही की वजह से वह आज तक लागू नहीं हो पाई, तो अब कैसे लागू हो जाएगी।

मनु ने कहा कि इस साल राजस्थान यूनिवर्सिटी में एडमिशन की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है, जिसके लिए स्टूडेंट नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकार जिम्मेदार है, लेकिन इसकी सजा आम छात्रों को दी जा रही है। यह हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार ने अगर अगले 24 घंटे में छात्र संघ चुनाव कराने का फैसला नहीं किया तो प्रदेशभर के युवा एक साथ मिलकर इस चुनाव में इसका जवाब देंगे। राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता देव पलसानिया ने कहा कि राजस्थान की तानाशाह कांग्रेस सरकार ने NSUI की हार के डर से इस साल चुनाव नहीं करने का फैसला किया है, जो भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। इसके साथ ही हम यह मांग करते हैं कि सरकार एक बार फिर अपने फैसले पर रिव्यू कर छात्रसंघ चुनाव की तारीख का ऐलान करे। राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र नेता महेश चौधरी ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्रदेशभर के कुलपति द्वारा गलत तथ्य पेश कर छात्रसंघ चुनाव स्थगित कराने का षड्यंत्र रचा गया है।

6 स्टूडेंट्स लीडर हिरासत में
राजस्थान में रद्द हुए छात्रसंघ चुनाव के खिलाफ आज राजस्थान यूनिवर्सिटी में सुबह 11:30 बजे छात्र नेताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जाना था, लेकिन पुलिस द्वारा विरोध प्रदर्शन से पहले ही छात्रों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। आज सुबह 10:30 बजे से ही पुलिस द्वारा राजस्थान यूनिवर्सिटी में पहुंचने वाले छात्र नेताओं को हिरासत में लिया जा रहा है। अब तक पुलिस छह छात्र नेताओं को हिरासत में ले चुकी है। जबकि 10 वाहनों को जब्त किया गया है।

CM ने कहा था, मैने फिर से शुरू करवाए थे चुनाव इससे पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव को लेकर शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ही फैसला करेंगे। हालांकि मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि जब चुनाव बंद हो गए थे, तब मैं ही वह मुख्यमंत्री हूं, जिसने फिर से चुनाव शुरू करवाए थे। हमसे बड़ा कमिटमेंट चुनाव को लेकर किसी और का नहीं हो सकता। गहलोत ने कहा था कि आज चुनाव से पहले ही स्टूडेंट इस तरह पैसे खर्च कर रहे हैं, जैसे एमएलए-एमपी के चुनाव लड़ रहे हों। आखिर कहां से पैसा आ रहा है और इतने पैसे क्यों खर्च किए जा रहे हैं, जबकि यह सब लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ है। छात्र नेता इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं, हम इसे पसंद नहीं करते हैं।

इन यूनिवर्सिटी और कॉलेज में नहीं होंगे चुनाव
राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर, कोटा विश्वविद्यालय कोटा, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा, राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय जोधपुर, पं. दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय सीकर, महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय भरतपुर, राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर, गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय बांसवाड़ा, हरिदेव जोशी पत्रकारिता एवं जन संचार विश्वविद्यालय जयपुर, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विधि विश्वविद्यालय, जयपुर और एम.बी.एम. विश्वविद्यालय जोधपुर के साथ ही प्रदेश के 400 सरकारी और 500 से अधिक प्राइवेट कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव पर रोक लग गई है। इस वजह से प्रदेश के 6 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे।

राजस्थान में साल 2005 छात्रसंघ चुनाव के दौरान काफी हंगामा और हुड़दंग हुआ था, जिसके बाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की गई थी। साल 2006 में कोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसके बाद साल 2010 में एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की शुरुआत हुई थी।हालांकि, साल 2020 और 2021 में भी कोरोना संक्रमण की वजह से छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए थे। लेकिन पिछले साल 29 जुलाई को एक बार फिर सरकार ने छात्रसंघ चुनाव कराने का फैसला किया था। इसके बाद प्रदेशभर में पिछले साल 26 अगस्त को वोटिंग, जबकि 27 अगस्त को काउंटिंग और रिजल्ट की प्रक्रिया पूरी की गई थी।

साभार : दैनिक भास्कर

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