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राम राज्य की ओर बढ़ती अयोध्या, भाग – 1

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– सारांश कनौजिया

जब हम राम राज्य की बात करते हैं, तो ऐसे आदर्श शासन का स्मरण होता है, जहाँ प्रजा हर प्रकार से सुखी व संपन्न हो. यहाँ सम्पन्नता का तात्पर्य भोग-विलास की वस्तुओं का उपभोग नहीं, बल्कि कार्यों का बिना किसी विघ्न के समाप्त होना होता है. इन कार्यों में दैनिक भोजन की आवश्यकता से लेकर विवाह आदि संस्कार भी शामिल होता है.

अभी जिस अयोध्या को हम देख रहे हैं, वो राम की नगरी बनने की ओर तेजी से अग्रसर है. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बन रहा है. पूरी अयोध्या राममय दिखने लगी है. जब ये सभी कार्य पूर्ण हो जाएंगे, तो अयोध्या में सभी दिशाओं में श्री राम ही नजर आएंगे. जिस मुस्लिम समाज से राम मंदिर को लेकर विवाद चल रहा था. इस समय वह भी सहयोग की भूमिका में नजर आ रहा है. इसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि पूजा पद्धति अपने राजा राम के सम्मान में बाधक नहीं होगी.

भक्ति की शक्ति, व्यक्ति को गलत रास्ते पर जाने से रोकती है. मंदिर में पूर्ण श्रद्धा से जाने पर मन के विकार उस मंदिर की चौखट पर ही छूट जाते हैं. यदि पूरी अयोध्या ही एक मंदिर की तरह दिखने लगेगी तो यहाँ आकर आचार-विचार में परिवर्तन आना निश्चित है. अयोध्या में पांच शताब्दियों से अधिक का अँधियारा अब छटने को है. लेकिन इसमें समय लगेगा. इसकी शुरुआत हो चुकी है. 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला के नवनिर्मित मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में श्री राम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा इसका सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है. क्योंकि भगवान यहीं से तो राम राज्य की कल्पना को साकार करने के लिए अपना मार्गदर्शन देंगे.

अयोध्या के विकास के लिए कई कार्य चल रहे हैं. ये सभी धीरे-धीरे अपनी पूर्णता की ओर अग्रसर हैं. रामनगरी का विकास अभी अगले कई वर्षों तक चलने वाला है. उदहारण के लिए अयोध्या विकास प्राधिकरण ने वर्ष-2031 तक का रोडमैप तैयार किया है.इस सम्बन्ध में प्राधिकरण ने 210 पन्नों की एक रिपोर्ट भी तैयार की है. केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से वर्तमान में अयोध्या के अंदर 30 हजार 500 करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार यदि इसमें प्राइवेट सेक्टर द्वारा कराये जा रहे कार्यों को भी जोड़ लिया जाए, तो आंकड़ा बढ़कर 50 हजार करोड़ का हो जाता है.

रामनगरी अयोध्या में विकास कार्य इसके धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए हों, इसके लिए योगी सरकार ने अयोध्या तीर्थ विकास परिषद का गठन भी किया है. इस परिषद के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ होंगे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में बन रहे राम पथ के बीच में एक मस्जिद ‘बद्र’ आ रही थी. जिसे स्थानांतरित करने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और मस्जिद से रईस अहमद के बीच अनुबंध ही हुआ है. इस प्रकार जहाँ भी आवश्यकता लग रही है, सरकार और ट्रस्ट अनुबंधों को कर कार्य में तेजी लाने का प्रयास कर रहे हैं.

यदि कोई व्यक्ति अयोध्या आता है, तो सबसे पहले उसे इस बात की जानकारी होना आवश्यक है कि वो श्रीराम के मंदिर के अतिरिक्त भी कहाँ-कहाँ जा सकता है, क्या-क्या कर सकता है? इसके लिए 4.40 एकड़ के क्षेत्र में 130 करोड़ की लागत से टूरिज्म सेंटर बनाया जा रहा है. इस सेंटर में पर्यटन कार्यालय, यात्री निवास व शापिंग माल सहित विभिन्न सुविधाएं होंगी. जो कुछ भी आपको अयोध्या भ्रमण के लिए जरुरी होगा, वह सामग्री या उसकी जानकारी आपको यहाँ मिल जाएगी. इस केंद्र को राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और 330 के निकट बनाया जाएगा, जिससे यहाँ पहुँचाना आसान रहे.

(क्रमशः)

लेखक मातृभूमि समाचार के संपादक हैं.

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