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अमृत काल की 25 वर्षों की यात्रा देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण : नरेंद्र सिंह तोमर

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हैदराबाद (मा.स.स.). केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज, हैदराबाद में अगले महीने होने जा रही, जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक की तैयारियों का जायजा लिया व बैठक की। तोमर ने विस्तार शिक्षा संस्थान (EEI), हैदराबाद के स्थापना दिवस की 60वीं वर्षगांठ (हीरक जयंती) के उपलक्ष में अत्याधुनिक ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया। तोमर ने हैदराबाद में राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान (NIPHM) में जैव नियंत्रण प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन भी किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत संचालित विस्तार शिक्षा संस्थान, हैदराबाद के कार्यक्रम में तोमर ने कहा कि इस बार जी-20 की अध्यक्षता भारत के पास है। देश में 50 जगह जी-20 के विभिन्न श्रेणियों के कार्यक्रम विविध विषयों को लेकर हो रहे हैं।

आयोजन की थीम एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य पर पूरा कार्यक्रम केंद्रित है। भारत पुरातन काल से ही वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा के साथ विश्व कल्याण के बारे में सोचता आ रहा है और उसी रास्ते पर चलते भारत की शक्ति, प्रतिष्ठा के साथ देश के नागरिकों का सम्मान भी बढ़ रहा है। हमने देश की आजादी के 75 साल होने पर अमृत महोत्सव मनाया। इन 75 सालों में आज हम कुछ कर पाने की स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं- 75 वर्ष पूरे हुए हैं, 100 साल 2047 में पूरे होंगे, ये 75 व 100 वर्षों के बीच की 25 वर्षों की यात्रा (अमृत काल) देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह कालखंड ऐसा है, जिसमें भारत जो भी साचेगा, उसे पूरा करने का दमखम रखता है। हमारी जिम्मेदारी है कि इन 25 वर्षों में ऐसा कुछ करें, जिससे हिंदुस्तान को विकसित राष्ट्रों की अंग्रपक्ति में हम खड़ा कर सकें। इसके लिए हमें सभी क्षेत्रों में समग्र रूप से काम करने की जरूरत है।

तोमर ने कहा कि भारत के लिए कृषि क्षेत्र रीढ़ की तरह है, इसलिए कृषि को मजबूत रखना, इसे उन्नत कृषि के रूप में तब्दील करना और यह देश की आवश्यकताओं के साथ दुनिया की जरूरतें पूर्ण करने में भी सक्षम हों, इस दिशा में सोचने व काम करने की जरूरत है। यह जिम्मेदारी किसानों व सरकारों के साथ कृषि से जुड़े उद्यमियों, स्टार्टअप्स, किसानों, वैज्ञानिकों सभी की है। आज केंद्र व राज्य सरकारों की कृषि हितैषी नीतियों और किसानों के परिश्रम की वजह से अधिकांश कृषि उत्पादों में भारत, दुनिया में पहले या दूसरे स्थान पर हैं। हमारी कोशिश है कि हर उत्पाद में भारत नंबर वन बनें। दूसरी ओर, आज दुनिया का राजनीतिक परिदृश्य बदल गया है, भारत अब मांगने वाला नहीं, बल्कि दुनिया को देने वाला देश बन गया है। ऐसे में हमें अपने मित्र देशों और हमसे अपेक्षा करने वालों के प्रति भी जवाबदेह रहना है। वर्ष 2050 तक हमें आबादी एवं जरूरतों के साथ-साथ दुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी तैयार रहना है। केंद्र एवं राज्य सरकारों दोनों की प्राथमिकता कृषि है। कृषि को जितना ताकतवर बनाएंगे, देश उतना ताकतवर बनेगा।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था एवं हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत की बहुत बड़ी ताकत है। हम खाद्यान्न की दृष्टि से सरप्लस है, निर्यात भी चार लाख करोड़ रु. से अधिक का हुआ, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। कृषि क्षेत्र में संतुलन बनाना भी हम सब की जिम्मेदारी है। आज जरूरत इस बात की है कि जो भी काम लैब में हो रहा है, वह लैंड तक पहुंचे। कृषि से जुड़े संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ किसानों तक पहुंचाते हुए कृषि विस्तार के काम को आगे बढ़ाना चाहिए। टेक्नालाजी का लाभ कृषि क्षेत्र व किसानों को मिलना चाहिए। कार्यक्रम में राज्य के कृषि मंत्री निरंजन रेड्डी, केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा, संस्थान के निदेशक एम. जगनमोहन रेड्डी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन संस्थान, हैदराबाद में जैव नियंत्रण प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन करने के साथ ही तोमर ने अवलोकन किया, जहां संस्थान के महानिदेशक डा. सागर हनुमान सिंह ने उन्हें संस्थान की गतिविधियों की जानकारी दी। एनआईपीएचएम राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, जो देश में स्थायी कृषि पद्धतियों के विकास के लिए विशिष्ट रूप से डिजाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है। यह संस्थान केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नीतियों व अनुसंधान में उपयुक्त परिवर्तनों/सुझावों के माध्यम से वनस्पति स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में सुधार के लिए मास्टर ट्रैनर्स तैयार करने में मदद करता है। संस्थान की गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र सरकार ने इस अत्याधुनिक एकीकृत जैव नियंत्रण प्रयोगशाला के निर्माण के लिए वित्तपोषण कर भवन निर्माण कार्य पूरा कराया है।

यह प्रयोगशाला विभिन्न फसलों के कीट, रोग आदि के जैविक नियंत्रण को बढ़ावा देने के साथ-साथ मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता बनाए रखने के लिए उन्नत पद्धतियों को समझने में उपयोगी ज्ञान एवं कौशल प्रदान करने में सक्षम है। प्रयोगशाला एक ही स्थान पर प्रशिक्षु अधिकारियों, किसानों, छात्रों और अन्य आगंतुकों को एक्सपोजर देने के लिए जैव नियंत्रण एजेंटों, जैव उर्वरकों, जैव कीटनाशकों, एंटोमोपैथोजेनिक नेमाटोड आदि के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन सुविधाओं के साथ-साथ व्याख्यान कक्ष, प्रदर्शनी हॉल, कीट संग्रहालय व खरपतवार प्रबंधन संग्रहालय तथा व्यावहारिक प्रदर्शनी से सुसज्जित है। इसके माध्यम से प्रशिक्षित कृषि अधिकारी विभिन्न राज्यों में जैविक तरीकों से फसल स्वास्थ्य को बढ़ावा देकर एक ओर जहां कृषि लागत कम कर सकेंगे, वहीं कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग को भी नियंत्रित कर पाएंगे। यह प्रयोगशाला देश में जैविक खेती, प्राकृतिक खेती और अंततः टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने के लिए कारगर साबित होगी।

 

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