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अनिल मणिभाई नाइक ने एल एंड टी का चेयरमैन पद छोड़ते हुए दान दी 75 प्रतिशत दौलत

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मुंबई. लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के नॉन एक्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल मणिभाई नाइक ने पद से हटने का फैसला कर लिया। ए एम नाइक ने 30 सिंतबर 2023 को अपना पदभार छोड़ने का फैसला किया है। 58 सालों तक L&T की कमान संभालने के बाद वह अब कंपनी के नेतृत्व की जिम्मेदारी से हट रहे है। उन्हें बोर्ड ने चेयरमैन एमेरिटस का स्टेटस दिया है। ए एम नाइक जिन्होंने 58 सालों तक L&T की कमान संभाली कभी उसी कंपनी में नौकरी के लिए रिजेक्ट हो गए थे।

नाइक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं उनके पिता और दादा दोनों ही शिक्षक थे। गुजरात के गांव में स्कूल में पढ़ाते थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई भी गांव से ही हुई। उन्होंने गुजरात के बिड़ला विश्वकर्मा माहविद्यालय से ग्रेजुएट किया। नौकरी की बात आई तो उन्होंने L&T में नौकरी के लिये आवेदन किया है, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। एलएंडटी में उस समय IIT के स्टूडेंट्स को अधिक वरीयता दी जाती थी।ETPanache को साल 2018 को एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि पहली बार Larsen & Toubro (L&T) में रिजेक्ट होने के बाद उन्होंने नेस्टर बॉयलर्स में नौकरी शुरू की । बाद में पता चला की एलएंडटी में हायरिंग चल रही है। फिर से वो वहां पहुंच गए। इंटरव्यू में उनसे सवाल पूछे गए। उनकी कमजोर अंग्रेजी को सुधारने की सलाह दी गई। बाद में उन्हें पहले से भी कम सैलरी पर जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर लिया गया। 15 मार्च 1965 में उन्होंने एलएंडटी में नौकरी ज्वाइन कर ली।

उनका वेतन एनएंडटी में 670 रुपये प्रति महीने था। उस वक्त उन्हें लगता था कि वे 1000 रुपये की सैलेरी पर रिटायर होंगे। छह महीने बीत जाने के बाद कंफर्मेशन पर उन्हें 760 रुपये महीना वेतन मिलने लगा। एक साल बाद उनकी सैलेरी 950 रुपये हो गई। यूनियन एग्रीमेंट के बाद सैलेरी में 75 रुपये की और बढ़ोतरी हुई और उनका वेतन एक साल बाद ही 1025 रुपये हो गया। जूनियर इंजीनियर से उन्हें असिस्टेंड इंजीनियर बना दिया गया। साल 1965 में जहां नौकरी करते हुए उन्हें 670 रुपये की सैलरी मिलती थी साल 1999 में वह उसी कंपनी के सीईओ बने। जुलाई 2017 में वह एलएंडटी समूह के चेयरमैन बने। उन्होंने अपने काम से ये मुकाम हासिल किया। उनके नेतृत्व में L&T ने खूब तरक्की की। साल 2023 में कंपनी का कुल असेट 41 अरब डॉलर था। कंपनी ने डिफेंस, आईटी, रियल एस्टेट, हर तरफ अपना दबदबा कायम कर लिया। आज की तारीख में एलएंडटी का 90 फीसदी रेवेन्यू उन कारोबार से आता है, जिसे नाइक ने शुरू किया है।

नाइक कभी दिखावा नहीं करते हैं। वह जमीन से जुड़े व्यक्ति हैं। गांव में पले-बढ़े नाइक को कपड़े-फैशन का भी बहुत शौक नहीं रहा है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उनकी आलमारी में मात्र 2 जोड़ी जूते, 6 शर्ट और 2 सूट शामिल है। वह इन सब बातों पर बहुत गौर नहीं करते हैं कि उनका वार्डरोब भरा है कि नहीं, उनके पास कितने जूते-चप्पल हैं। बस काम चल जाना चाहिए, उतने सामान ही रखते हैं। साल 2017-18 में नाइक की सैलरी 137 करोड़ रुपये थी। उनका नेटवर्थ 400 करोड़ रुपये था। उन्होंने साल 2016 में अपनी 75 फीसदी संपत्ति दान कर दी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके बेटे-बहू भारत नहीं लौटे तो वो अपनी सौ फीसदी संपत्ति दान कर देंगे। नाइक के बेटे और बहू अमेरिका में रहते हैं। बेटी-दामाद भी अमेरिका में डॉक्टर हैं। बच्चों को अमेरिका भेजना वह अपनी सबसे बड़ी गलती मानते हैं। नाइक अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा स्कूल-अस्पताल की चैरिटी पर खर्च करते हैं। साल 2022 में उन्होंने 142 करोड़ रुपए दान में दिया था।

साभार : नवभारत टाइम्स

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