चेन्नई. तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने CBI को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बुधवार को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए राज्य में जांच के लिए CBI को दी जाने वाली आम सहमति वापस ले ली है। यानी अब राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए CBI को पहले राज्य सरकार से परमिशन लेनी होगी। यह पहली बार नहीं है, जब किसी राज्य की सरकार ने CBI को लेकर ऐसा आदेश दिया हो। इससे पहले, 9 राज्य- छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ऐसा ऑर्डर जारी कर चुके हैं। हालांकि, राज्य सरकारों के इस कदम से ED या NIA की जांच प्रभावित नहीं होती हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग केस में तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बुधवार सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरेस्ट कर लिया। जांच एजेंसी मंगलवार सुबह सात बजे बालाजी के घर पहुंची थी। यहां उनसे 24 घंटे पूछताछ हुई। ED की कार्रवाई और पूछताछ के दौरान सेंथिल ने सीने में दर्द की शिकायत की। इसके बाद उन्हें मेडिकल जांच के लिए चेन्नई के एक सरकारी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। यहां वे दर्द से रोते हुए दिखे। अस्पताल की तरफ से जारी मेडिकल बुलेटिन में सेंथिल बालाजी को CABG-बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई है। इसके बाद ED ने उन्हें जिला जज के सामने पेश किया। चेन्नई के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज एस अली ने उन्हें 28 जून तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
तमिलनाडु के कानून मंत्री बोले – बालाजी को प्रताड़ित किया जा रहा
तमिलनाडु के कानून मंत्री एस रघुपति ने कहा, सेंथिल बालाजी को निशाना बनाया गया और प्रताड़ित किया गया। ED उनसे 24 घंटे लगातार पूछताछ करता रहा। यह पूरी तरह मानवाधिकार के खिलाफ है। DMK राज्यसभा सांसद एनआर एलंगो ने बताया कि, बालाजी को घर पर नजरबंद कर दिया गया था। 14 जून की रात 2:30 बजे तक उन्हें किसी भी दोस्त, रिश्तेदार और उनके वकील से मिलने नहीं दिया गया।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने घर पर बुलाई बैठक
सेंथिल को गिरफ्तार किए जाने के बाद DMK एक्टिव हो गई है। पार्टी ने उनकी गिरफ्तार को असंवैधानिक बताते हुए कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है। राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने घर पर राज्य के सीनियर मंत्रियों की बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, स्टालिन अपनी कानून टीम के साथ भी बैठक करेंगे।
यह मामला राज्य के परिवहन विभाग में नौकरी के बदले पैसे देने से जुड़ा है। साल 2011-16 के दौरान AIADMK शासन में बालाजी ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे। इस स्कैम के सामने आने के बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की। बालाजी और 46 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। इसमें मंत्री के साथ परिवहन निगमों के कई सीनियर अधिकारी नामजद थे। मामला बाद में ED के पास पहुंचा। ED ने बालाजी को समन भेजा। मगर मंत्री ने इसके खिलाफ कोर्ट का रुख किया। मगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और ED को उनके खिलाफ जांच करने की अनुमति दी थी।
साभार : दैनिक भास्कर
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