सोमवार, नवंबर 18 2024 | 08:00:15 PM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / डॉ. मनसुख मांडविया ने जापानी चिकित्सा उपकरण कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की

डॉ. मनसुख मांडविया ने जापानी चिकित्सा उपकरण कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की

Follow us on:

नई दिल्ली (मा.स.स.). “चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक और अभिन्न घटक है। इस क्षेत्र का योगदान और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि भारत ने चिकित्सा उपकरणों और नैदानिक किटों के बड़े पैमाने पर किए गए उत्पादन के माध्यम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ घरेलू और वैश्विक लड़ाई में व्यापक योगदान दिया है।” केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने यह बात जापानी चिकित्सा उपकरण कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के दौरान कही। डॉ. मांडविया ने कहा कि “चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में वर्ष 2030 तक अपने 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वर्तमान आकार के मुकाबले 4 गुना तक वृद्धि करने की क्षमता है”। उन्होंने यह भी कहा कि “स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती हुई जरूरतों और विकास को सुगम बनाने के बारे में सरकार की प्रतिबद्धता की सहायता से, भारतीय चिकित्सा उपकरण उद्योग में अगले 25 वर्षों के दौरान विनिर्माण और नवाचार क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरने की शक्ति है। हम भारत की जी20 अध्‍यक्षता के ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ मंत्र के अनुरूप सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य की दिशा में आत्मनिर्भर बनने और योगदान देने के निमित्‍त विकास और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’

डॉ. मांडविया ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि “पूरी दुनिया के निवेशकों को आमंत्रित करने के लिए भारत ग्रीनफ़ील्ड और ब्राउनफ़ील्ड दोनों सेटअप्‍स के लिए स्वचालित मार्ग के तहत शतप्रतिशत प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे रहा है। घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने 400 मिलियन अमरीकी डॉलर के वित्तीय प्रोत्साहन के साथ चिकित्सा उपकरणों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ शुरू कीं हैं। हमारे निवेशक समुदाय को सहायता प्रदान करने के लिए सरकार ने राज्यों में 4 चिकित्सा उपकरण पार्क स्‍थापित करने की मंजूरी भी दी है। ये पार्क विनिर्माण लागत को काफी कम कर देंगे और संसाधनों को अधिकतम बनाने, बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करने और मानक परीक्षण तथा बुनियादी ढांचा सुविधाओं तक आसान पहुंच प्रदान करने में मदद भी करेंगे। डॉ मांडविया ने बताया कि चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के व्यवस्थित विकास को सुविधाजनक बनाने और पहुंच, सामर्थ्य, गुणवत्ता तथा नवाचार के सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, भारत ने अभी हाल ही में अपनी पहली राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति को मंजूरी दी है। उन्‍होंने कहा कि हमने इस क्षेत्र की क्षमता का पूरा लाभ उठाने और उद्योग को एक प्रतिस्पर्धी, आत्मनिर्भर, लचीला और अभिनव उद्योग के रूप में मजबूती प्रदान करने के लिए छह रणनीतियों की पहचान की है। यह उद्योग भारत और विश्व की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करता है। चिकित्सा उपकरण नीति के अलावा, हम भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर एक राष्ट्रीय नीति का भी प्रस्ताव कर रहे हैं ताकि मजबूत सहयोग और ट्रांसलेशनल अनुसंधान को सक्षम बनाया जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए अपने संबोधन का समापन किया कि “नवाचार में तेजी प्रगति होने से भारत अब चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में वैश्विक रूप से कदम रखते हुए एक महत्वपूर्ण यात्रा की ओर अग्रसर है।” भारत ने “मेक इन इंडिया”, “इनोवेट इन इंडिया” और “डिस्कवर इन इंडिया” द्वारा सृजित अवसरों का लाभ उठाने के लिए जापानी चिकित्सा/कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव विशाल चौहान और केंद्र सरकार के अन्य अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे।

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

भारत का आर्थिक विकास एवं अतिगरीबी में कमी

– प्रहलाद सबनानी विश्व के विभिन्न देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, में अतिगरीबी को …