रविवार, दिसंबर 22 2024 | 01:21:58 PM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / एक कीड़े के काटने के कारण अब तक भारत में हो चुकी है 14 लोगों की मौत

एक कीड़े के काटने के कारण अब तक भारत में हो चुकी है 14 लोगों की मौत

Follow us on:

नई दिल्ली. भारत में इस समय कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. डेंगू फैल रहा है और केरल में निपाह ने फिर से दस्तक दे दी है. इस बीच देश में स्क्रब टाइफस बीमारी भी फैल रही है. इस बीमारी की चपेट में आने से ओडिशा और शिमला में मिलाकर 14 लोगों की मौत हो चुकी है. स्क्रब टाइफस एक ऐसी बीमारी है जो कीड़े के काटने से होती है. इस कीड़े को चिगर्स कहते हैं. ये कीड़ा घास में और जंगलों में रहता है. अगर ये किसी इंसान को काट लेता है तो उसको स्क्रब टाइफस का संक्रमण हो जाता है.

इस बीमारी के लक्षण एक से दो सप्ताह बाद दिखते हैं. ये कीड़ा कुछ जानवरों के शरीर पर भी रहता है. जंगल वाले इलाकों में रहने वाले लोग आसानी से इस कीड़े के संपर्क में आ जाते हैं. अगर समय पर इलाज ने मिले तो 15 से 20 दिन में मरीज की मौत हो जाती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक,स्क्रब टाइफस बीमारी को बूश टाइफस भी कहा जाता है. इस बीमारी के होने के बाद पहले बुखार आता है और उसके बाद शरीर में तेज दर्द होने लगता है. शरीर के जिस हिस्से पर कीड़े ने काटा है वहां लाल रंग का निशान होने लगता है. चिंता की बात यह है कि संक्रमित होने के काफी दिनों बाद इसके लक्षण दिखते हैं. इतने समय में इस बीमारी का संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है. ऐसे में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है.

इन लोगों को खतरा

सीडीसी ने कहा है कि स्क्रब टाइफस से प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को बुखार की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए. अगर बुखार है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इस मामले में की गई देरी मौत का कारण बन सकती है. जो लोग जंगल के इलाकों में रहते हैं या अपने रोजाना के काम के लिए जंगल जाते हैं उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. कीड़े के काटने के बाद होने वाली इस बीमारी में मृत्यु दर काफी ज्यादा है. ऐसे में इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए.

क्या है इलाज

वेटनरी डॉ. एन.आर रावत बताते हैं कि स्क्रब टाइफस के लक्षण फ्लू या वायरल बुखार की तरह ही होते हैं. फर्क बस इतना है कि इस बीमारी में कीड़ा काटने वाले स्थान पर लाल रंग का घाव हो जाता है. यही इस बीमारी की सबसे बड़ी पहचान है. अगर ऐसी कोई परेशानी दिख रही है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए बीमारी की पहचान कर सकता है. कुछ एंटीबायोटिक दवाओं से बीमारी का को काबू में किया जा सकता है.हालांकि इस बीमारी का कोई निर्धारित इलाज नहीं है और न ही आज तक कोई वैक्सीन बन चुकी है. स्क्रब टाइफस को दुनियाभर में आए 100 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन ये अब भी लोगों की मौत का कारण बन रही है. एक कीड़े से होने वाली ये बीमारी काफी खतरनाक है.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

संसद का शीतकालीन सत्र खत्म, लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए हुई स्थगित

नई दिल्ली. 18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार (20 दिसंबर) को समाप्त हो गया। यह …